ETV Bharat / state

प्रेम प्रकाश और छवि रंजन जमीन घोटाले में विष्णु अग्रवाल के मददगार, फेसटाइम से जुड़े थे तार

झारखंड में जमीन घोटाले मामले में गिरफ्तार आईएएस अधिकारी और रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन और पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश और विष्णु अग्रवाल तीनों ही एक दूसरे के बड़े राजदार थे. रांची के कई बड़े जमीन को हथियाने के लिए तीनों की तिकड़ी एक साथ काम कर रही थी. बातचीत किसी भी तरह से कहीं लीक न हो जाय इसलिए सभी फेसटाइम, व्हाट्सएप कॉल पर ही बातें किया करते थे.

Jharkhand land scam
Jharkhand land scam
author img

By

Published : Aug 1, 2023, 10:22 PM IST

Updated : Aug 1, 2023, 10:53 PM IST

रांची: झारखंड में जमीन घोटाले में गिरफ्तार रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, सत्ता के पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश और विष्णु अग्रवाल एक दूसरे के मददगार रहे हैं. रांची के चेशायर होम रोड की जमीन से लेकर सेना की सिरमटोली स्थित जमीन को हथियाने में छवि रंजन की भूमिका मददगार की रही है. ईडी ने विष्णु अग्रवाल के खिलाफ दिए रिमांड पीटिशन में सनसनीखेज खुलासे किए हैं.

ये भी पढ़ें- पुगड़ु जमीन विवाद का सच! SIT और LRDC के अलग-अलग हैं दावे, सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार, जानें क्या है पूरा मामला

ईडी ने कोर्ट को बताया है कि फेसटाइम, व्हाट्सएप कॉल पर भी दोनों के बीच लगातार बातचीत होती थी. दोनों ने सरकारी ड्राफ्ट ऑर्डर, गोपनीय दस्तावेज का आदान प्रदान किया था. ईडी की जांच से जुड़े संदेश भी दोनों ने एक दूसरे से साझा किए थे. ईडी ने छवि के फाइव स्टार होटल में बुकिंग की सुविधा से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए हैं. जांच में यह बात भी सामने आई है कि छवि रंजन ने अपने परिजनों को नौकरी दिलाने के लिए दर्जनों बायोडाटा विष्णु अग्रवाल को भेजा था.

चेशायर होम जमीन की कैसे हुई हेराफेरी: ईडी के मुताबिक विष्णु अग्रवाल ने चेशायर होम रोड स्थित 01 एकड़ जमीन प्रेम प्रकाश के करीबी पुनीत भार्गव से 1 अप्रैल 2021 को 1.80 करोड़ में खरीदी थी. खास बात है कि इसी जमीन को पुनीत भार्गव ने लखन सिंह से 6 फरवरी 2021 को 1.78 करोड़ में खरीदी थी. आप समझ सकते हैं कि महज 2 माह के भीतर सिर्फ दो लाख के अंतर में जमीन की खरीद बिक्री हुई.

ईडी का दावा है कि इस जमीन के कागजात साल 1948 का दिखाते हुए फर्जी तरीके से तैयार किया गया था. इस काम में भरत प्रसाद, सद्दाम हुसैन, अफसर अली और इम्तियाज अहमद समेत कई अन्य ने भूमिका निभाई थी. इस जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी इम्तियाज अहमद और भरत प्रसाद ने लिया था. इस जमीन पर कब्जा दिलाने में प्रेम प्रकाश ने अहम भूमिका निभाई थी. गांधीनगर स्थित डायरेक्टरेट ऑफ फॉरेंसिक ने इस जमीन से जुड़े कागजात को जांच में फर्जी पाया था.

पुगड़ू की खासमहाल जमीन का खेल: ईडी का दावा है कि रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन ने न सिर्फ चेशायर होम की जमीन बल्कि नामकुम के पुगड़ू स्थित 9.30 एकड़ जमीन दिलाने में भी मदद की थी. इस जमीन के ड्राफ्ट की कॉपी विष्णु अग्रवाल ने छवि रंजन को भेजी थी. उसी ड्राफ्ट के आधार पर रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन ने संयुक्त सचिव अंजनी कुमार मिश्रा को पत्र लिखा था. बेशक एसआईटी ने अपनी जांच में नामकुम की जमीन को खासमहाल का नहीं बताया था. खास बात है कि एसआईटी की रिपोर्ट को सरकार ने भी मानने से इंकार कर दिया था. इसके बावजूद छवि रंजन ने तथ्यों को अनदेखा करते हुए विष्णु अग्रवाल के पक्ष में फैसला दिया था.

ये भी पढ़ें- न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल न्यायिक हिरासत में भेजे गए जेल, रिमांड पर बुधवार को सुनवाई


सिरमटोली की सेना की जमीन का खेल: इसके अलावा रांची नगर निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या 6 में सिरम टोली स्थित एमएस प्लॉट नंबर 908, 851(P) और 910(P) के 5.88 एकड़ जमीन भी अवैध तरीके से खरीदी थी. खास बात है कि सिरम टोली स्थित सेना की जमीन को भारत सरकार ने 1949 में अधिग्रहण किया था. लेकिन सब कुछ जानते हुए भी विष्णु अग्रवाल ने इस जमीन को अपने और अपनी पत्नी अनुश्री अग्रवाल के नाम से अवैध तरीके से खरीदा था. राज्य सरकार के लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट के रजिस्टर-2 में सिरमटोली की जमीन सेना के पास दिखाई गई है. बिहार गजट नंबर 31 के मुताबिक सिरमटोली की जमीन को 20 जुलाई 1949 को सेना ने अधिग्रहित की थी.

तीनों जमीन की खरीद बिक्री में बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. सिरमटोली स्थित सेना वाली जमीन के बदले महुआ मित्रा और संजय घोष के नाम से 15 करोड़ रुपए की अदायगी का विष्णु अग्रवाल ने जिक्र किया है. जबकि इसके बदले महुआ मित्रा और संजय घोष को सिर्फ डेढ़-डेढ़ करोड़ दिए गए. शेष राशि का का जिक्र जिस चेक के जरिए दिखाया गया, उसे कभी दिया ही नहीं गया. इससे जुड़े चेक का फर्जी तरीके से डीड में जिक्र किया गया. ईडी का दावा है कि इससे साफ है कि विष्णु अग्रवाल ने पीएमएलए, 2002 के सेक्शन 3 का उल्लंघन करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग किया है.

रांची: झारखंड में जमीन घोटाले में गिरफ्तार रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन, सत्ता के पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश और विष्णु अग्रवाल एक दूसरे के मददगार रहे हैं. रांची के चेशायर होम रोड की जमीन से लेकर सेना की सिरमटोली स्थित जमीन को हथियाने में छवि रंजन की भूमिका मददगार की रही है. ईडी ने विष्णु अग्रवाल के खिलाफ दिए रिमांड पीटिशन में सनसनीखेज खुलासे किए हैं.

ये भी पढ़ें- पुगड़ु जमीन विवाद का सच! SIT और LRDC के अलग-अलग हैं दावे, सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार, जानें क्या है पूरा मामला

ईडी ने कोर्ट को बताया है कि फेसटाइम, व्हाट्सएप कॉल पर भी दोनों के बीच लगातार बातचीत होती थी. दोनों ने सरकारी ड्राफ्ट ऑर्डर, गोपनीय दस्तावेज का आदान प्रदान किया था. ईडी की जांच से जुड़े संदेश भी दोनों ने एक दूसरे से साझा किए थे. ईडी ने छवि के फाइव स्टार होटल में बुकिंग की सुविधा से जुड़े दस्तावेज भी बरामद किए हैं. जांच में यह बात भी सामने आई है कि छवि रंजन ने अपने परिजनों को नौकरी दिलाने के लिए दर्जनों बायोडाटा विष्णु अग्रवाल को भेजा था.

चेशायर होम जमीन की कैसे हुई हेराफेरी: ईडी के मुताबिक विष्णु अग्रवाल ने चेशायर होम रोड स्थित 01 एकड़ जमीन प्रेम प्रकाश के करीबी पुनीत भार्गव से 1 अप्रैल 2021 को 1.80 करोड़ में खरीदी थी. खास बात है कि इसी जमीन को पुनीत भार्गव ने लखन सिंह से 6 फरवरी 2021 को 1.78 करोड़ में खरीदी थी. आप समझ सकते हैं कि महज 2 माह के भीतर सिर्फ दो लाख के अंतर में जमीन की खरीद बिक्री हुई.

ईडी का दावा है कि इस जमीन के कागजात साल 1948 का दिखाते हुए फर्जी तरीके से तैयार किया गया था. इस काम में भरत प्रसाद, सद्दाम हुसैन, अफसर अली और इम्तियाज अहमद समेत कई अन्य ने भूमिका निभाई थी. इस जमीन का पावर ऑफ अटॉर्नी इम्तियाज अहमद और भरत प्रसाद ने लिया था. इस जमीन पर कब्जा दिलाने में प्रेम प्रकाश ने अहम भूमिका निभाई थी. गांधीनगर स्थित डायरेक्टरेट ऑफ फॉरेंसिक ने इस जमीन से जुड़े कागजात को जांच में फर्जी पाया था.

पुगड़ू की खासमहाल जमीन का खेल: ईडी का दावा है कि रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन ने न सिर्फ चेशायर होम की जमीन बल्कि नामकुम के पुगड़ू स्थित 9.30 एकड़ जमीन दिलाने में भी मदद की थी. इस जमीन के ड्राफ्ट की कॉपी विष्णु अग्रवाल ने छवि रंजन को भेजी थी. उसी ड्राफ्ट के आधार पर रांची के तत्कालीन डीसी छवि रंजन ने संयुक्त सचिव अंजनी कुमार मिश्रा को पत्र लिखा था. बेशक एसआईटी ने अपनी जांच में नामकुम की जमीन को खासमहाल का नहीं बताया था. खास बात है कि एसआईटी की रिपोर्ट को सरकार ने भी मानने से इंकार कर दिया था. इसके बावजूद छवि रंजन ने तथ्यों को अनदेखा करते हुए विष्णु अग्रवाल के पक्ष में फैसला दिया था.

ये भी पढ़ें- न्यूक्लियस मॉल के मालिक विष्णु अग्रवाल न्यायिक हिरासत में भेजे गए जेल, रिमांड पर बुधवार को सुनवाई


सिरमटोली की सेना की जमीन का खेल: इसके अलावा रांची नगर निगम क्षेत्र के वार्ड संख्या 6 में सिरम टोली स्थित एमएस प्लॉट नंबर 908, 851(P) और 910(P) के 5.88 एकड़ जमीन भी अवैध तरीके से खरीदी थी. खास बात है कि सिरम टोली स्थित सेना की जमीन को भारत सरकार ने 1949 में अधिग्रहण किया था. लेकिन सब कुछ जानते हुए भी विष्णु अग्रवाल ने इस जमीन को अपने और अपनी पत्नी अनुश्री अग्रवाल के नाम से अवैध तरीके से खरीदा था. राज्य सरकार के लैंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट के रजिस्टर-2 में सिरमटोली की जमीन सेना के पास दिखाई गई है. बिहार गजट नंबर 31 के मुताबिक सिरमटोली की जमीन को 20 जुलाई 1949 को सेना ने अधिग्रहित की थी.

तीनों जमीन की खरीद बिक्री में बड़े पैमाने पर मनी लॉन्ड्रिंग हुई है. सिरमटोली स्थित सेना वाली जमीन के बदले महुआ मित्रा और संजय घोष के नाम से 15 करोड़ रुपए की अदायगी का विष्णु अग्रवाल ने जिक्र किया है. जबकि इसके बदले महुआ मित्रा और संजय घोष को सिर्फ डेढ़-डेढ़ करोड़ दिए गए. शेष राशि का का जिक्र जिस चेक के जरिए दिखाया गया, उसे कभी दिया ही नहीं गया. इससे जुड़े चेक का फर्जी तरीके से डीड में जिक्र किया गया. ईडी का दावा है कि इससे साफ है कि विष्णु अग्रवाल ने पीएमएलए, 2002 के सेक्शन 3 का उल्लंघन करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग किया है.

Last Updated : Aug 1, 2023, 10:53 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.