रांची: राज्य सरकार के द्वारा नियोजन नीति में किया गया संशोधन भले ही उनकी मजबूरी रही हो, लेकिन विपक्ष इसे सरकार की विफलता के रूप में देख रही है. यही वजह है कि झारखंड विधानसभा के छठे दिन सदन की कार्यवाही शुरू होने से ठीक पहले भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने विधानसभा परिसर में जमकर प्रदर्शन किया. हाथों में तख्तियां लिए सरकार के इस निर्णय का विरोध कर रहे भाजपा विधायकों ने कहा कि सरकार के कथनी और करनी में अंतर होने की वजह से यहां के छात्र नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहे हैं. एक बार फिर सरकार के द्वारा अपनी ही नियोजन नीति में संशोधन की गई है, जिससे झारखंड के बेरोजगार छात्रों का अहित होगा.
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विपक्ष का कहना है कि विधानसभा में वे इस मुद्दे को मुखरता से उठाएंगे. भारतीय जनता पार्टी ने कार्य स्थगन के माध्यम से सदन में इसे लाने की तैयारी की है. विधानसभा में विरोधी दल के मुख्य सचेतक बिरंची नारायण ने सरकार के इस निर्णय की आलोचना की. उन्होंने कहा कि पहले मुख्यमंत्री 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता पर गोलमोल जवाब देते रहे, फिर उसे लागू करने के लिए सरकार विधेयक लायी. इसी तरह नियोजन नीति पर मुख्यमंत्री के द्वारा हर समय अलग-अलग बातें की जाती रही. ऐसे में एक बार फिर कैबिनेट की बैठक में इसे संशोधित किया गया है, जिससे झारखंड के छात्रों का अहित होगा और नियुक्ति प्रक्रिया जिस रफ्तार से चलनी चाहिए, वह चीजें नहीं हो पायेंगी. इस मौके पर भाजपा विधायक अनंत ओझा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि झारखंड के युवाओं के साथ हम अन्याय नहीं होने देंगे. सदन में कार्य स्थगन के जरिए विपक्ष सरकार की इस संशोधन पर आपत्ति जतायेगी.
मूलवासियों को न्याय दिलाने के लिए आजसू करेगा आंदोलन-सुदेश: नियोजन नीति में हुए संशोधन पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए सुदेश महतो ने कहा है कि आजसू पार्टी शुरू से हेमंत सरकार के द्वारा बनाई गई नियोजन नीति का विरोध कर रही थी. पार्टी का मानना है कि यहां के स्थानीय लोगों को ध्यान में रखकर नियोजन नीति बनाई जाए, लेकिन सरकार इसमें बार-बार संशोधन कर उलझाने की कोशिश करती रही है. आजसू पार्टी सरकार पर दबाव बनाने के लिए और मूलवासियों को अधिकार दिलाने के लिए अपना आंदोलन जारी रखेगी और जल्द ही पार्टी के अंदर पूरी मंथन कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी.
जनभावनाओं के अनुरूप सरकार ने उठाया है कदम-मुख्यमंत्री: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन नियोजन नीति में किए गए संशोधन को जन भावनाओं के अनुरूप सरकार के द्वारा उठाया गया कदम मान रहे हैं. शुक्रवार को विधानसभा में मीडियाकर्मियों से बातचीत के क्रम में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने विपक्ष के द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था कि इस संशोधन से पहले सरकार ने यहां के युवाओं की राय जानी थी, जिसके बाद सरकार ने बेहतर निर्णय लिए हैं.
अब तक तीन बार बनी नियोजन नीति: गौरतलब है कि राज्य में अब तक तीन बार नियोजन नीति बनी है, जो लगातार हाई कोर्ट के द्वारा और संवैधानिक करार दिए जाने के कारण रद्द होता रहा है. ऐसे में 2021 में बनी हेमंत सरकार की नियोजन नीति को रद्द किए जाने के बाद राज्य सरकार की मजबूरी बन गई कि हाईकोर्ट के निर्देश और सुझाव के अनुरूप झारखंड से मैट्रिक और इंटर पास होने की अनिवार्यता और क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी को इसमें जोड़ा जाये. राज्य में ठप्प पड़े नियुक्ति प्रक्रिया को शुरू करना सरकार की मजबूरी है क्योंकि अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने हैं. विपक्ष लगातार सरकार पर युवाओं को सरकारी नौकरी देने में फेल होने का आरोप लगाती रही है. युवा नौकरी की मांग को लेकर सड़कों पर हैं, जिसका प्रभाव कहीं ना कहीं रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव में भी देखने को मिला है और सत्तारूढ़ दल को हार का सामना करना पड़ा है.