रांची: झारखंड में चल रही सरकार के कामकाज का तरीका क्या है, विकास के मापदंड क्या है, मायने क्या हैं, योजनाएं कहां हैं, विकास की नीतियां कहां हैं, विकास के लिए किस तरह का काम किया जा रहा है, कितना काम चल रहा है यह पता नहीं है. राजनीति में उठापटक है, कुछ पार्टियों के लोग छोड़ करके दूसरी पार्टी में चले जा रहे हैं. पड़ोसी राज्य बिहार के नीतीश कुमार की पार्टी के लोग जदयू छोड़कर के बीजेपी में चले गए. यह कहा जा रहा है कि चीजें चल रही हैं, लेकिन इसका कोई आधार बहुत बड़ा होता नहीं दिख रहा है, जितना बड़ा झारखंड में नीति को लेकर राजनेताओं के जांच की चर्चा चल रही है. झारखंड में जिस तरीके से एजेंसियां जांच कर रही हैं उसमें सूबे के मुखिया से लेकर नौकरशाह पक्की गिरेबान जांच की गिरफ्त में हैं.
खनन लीज आवंटन मामले में पूजा सिंघल से पूछताछ शुरू हुई तो जांच का दायरा इतना बढ़ गया कि प्रवर्तन निदेशालय को पूजा सिंघल की रिमांड तीन बार मांगनी पड़ी और इस मामले में कई लोगों को पूछताछ के लिए बुलाए गए और इस मामले से जुड़े लोगों के यहां लगातार रेड भी हो रहा है. 25 मई को पूजा सिंघल की दूसरी बार के रिमांड की अवधि भी खत्म हो रही है ऐसे में चर्चा शुरू है कि अब ईडी अपनी जांच की दिशा को किधर ले जाएगी. क्योंकि पूरे झारखंड में कुछ चले न चले जांच चल रही है. यह झारखंड के हर जनमानस को समझ आ रहा है.
ईडी ने पूजा सिंघल से जुड़े मामले में कई जिले के खनन पदाधिकारियों को बुलाया और उनसे भी भ्रष्टाचार से जुड़े कई मामले बतौर सबूत पाए गए हैं. उन पर क्या कार्रवाई की जाएगी यह तो आने वाले समय में पता चलेगा. क्योंकि पूजा सिंघल जब तक रिमांड में है तब तक जांच की पूरी दिशा पूजा सिंघल पर ही टिकी हुई है, उसके बाद जांच का दायरा और बड़ा होगा. इससे इनकार इसलिए नहीं किया जा सकता है क्योंकि जिन लोगों के यहां आईडी ने रेड किया है उन तमाम लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया भी जा रहा है और कुछ लोगों को हिरासत में भी रखा गया है. राजनीति में इस बात की चर्चा जोर से हो गई है. जो कुछ झारखंड की राजनीति में हो रहा है यह सरकार झारखंड के विकास के लिए नहीं बल्कि झारखंड में सरकार बनाने वाले लोग सिर्फ और सिर्फ अपने विकास के लिए काम करते हैं और यही बचा है कि जब सरकारी कामकाज अपने मूल आधार से भटकता है तो जेंसियां जांच में जुट जाती है.
झारखंड में चल रही बात जांच की करें झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खनन पट्टा लीज आवंटन, शेल कंपनियां और साथ ही उनके भाई बसंत सोरेन भी गलत तरीके से खनन आवंटन के मामले में जांच की जद में हैं. मुख्यमंत्री पर चल रहे जांच के मामले जो खनन पट्टा और सेल कंपनियों से जुड़ा है, वह कोर्ट में है. वहीं, ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के मामले में एक जांच निर्वाचन आयोग भी कर रहा है, जिसमें 31 तारीख को सीएम हेमंत सोरेन को जवाब देना है, जबकि 30 तारीख को बसंत सोरेन अपना पक्ष रखेंगे, इसकी जांच भी तेजी से चल रही है.
अब बात विपक्ष की करें तो भाजपा के बाबूलाल मरांडी पर दलबदल कानून की जांच चल रही है और इसकी सुनवाई भी लगातार विधानसभा न्यायाधिकरण में हो रही है. वहीं से पूर्ववर्ती सरकार रघुवर दास के फैसलों की बात करें तो बात खेल गांव के निर्माण की हो या विधानसभा या फिर झारखंड हाईकोर्ट भवन निर्माण की इससे जुड़े कई निर्णय हेमंत सरकार ने जांच की जद में लगा रखा है और इन तमाम मामलों पर जांच भी चल रही है.
झारखंड की राजनीति का यह अजीब हाल हो गया है कि झारखंड में विकास के लिए सरकार बात करे ना करे विकास नहीं हो रहा है. इस पर विपक्ष सरकार से सवाल पूछने का काम करे अथवा ना करे लेकिन जिस तरह की राजनीतिक और सियासी हालात झारखंड में हैं और भ्रष्टाचार में राजनीति या राजनीति का भ्रष्टाचार झारखंड में जांच एजेंसियों के हाथ में है उसमें और कुछ चले न चले झारखंड में जांच चल रही है.... जय जोहार