रांची: हाल के दिनों में बढ़ रही ईडी की दबिश से हेमंत सरकार घिरती हुई नजर आ रही है. माइनिंग लीज मामले के बाद जमीन खरीद बिक्री मामले में ईडी द्वारा भेजे गए दो लगातार समन के बाद हाजिर होने से बच रहे सीएम हेमंत सोरेन के लिए आने वाला समय बेहद ही चुनौतीपूर्ण होने वाला है. सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को गुहार लगाने पहुंचे हेमंत सोरेन को उम्मीद है कि उन्हें न्यायालय से राहत जरूर मिल जायेगी.
इन सबके बीच राज्य में छत्तीसगढ़ मॉडल पर पिछले साल लाई गई नई शराब नीति सरकार के लिए गले की हड्डी बनती जा रही है. इस मामले में जिस तरह से बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी हुई और उसमें वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव और उनके पुत्र के घर ईडी ने दस्तक दी, इससे कहीं ना कहीं सरकार की छवि पर आंच आनी शुरू हो गई है. जानकारों की मानें तो राजनीतिक चश्मे से देखने के बजाय भ्रष्टाचार के विरुद्ध केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई का हिस्सा इसे माना जाए.
ईडी की कार्रवाई से सियासत तेज: ईडी की कार्रवाई ने झारखंड की सियासत को गर्म कर दिया है. सत्तारूढ़ कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के बाद वित्तमंत्री पर ईडी की दबिश को साजिश का हिस्सा बताते हुए इसके पीछे बीजेपी का चाल बताया है. प्रदेश कांग्रेस महासचिव राकेश सिन्हा ने केंद्र की भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि जिन राज्यों में गैर भाजपा शासित सरकारे हैं. वहां जानबूझकर के केंद्रीय एजेंसी का सहारा लिया जाता है और वहां की सरकारों को अस्थिर करने की कोशिश की जाती है.
बीजेपी ने किया आरोप पर पलटवार: केंद्र पर लग रहे आरोप को खारिज करते हुए झारखंड बीजेपी ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध ईडी की कार्रवाई का हिस्सा बताया है. भाजपा मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कांग्रेस के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा है कि ईडी के समन पर आखिर मुख्यमंत्री क्यों नहीं जाना चाहते हैं, इसे राज्य की जनता को बताना चाहिए.