रांचीः झारखंड में सियासत का बड़ा मुद्दा नियोजन नीति रहा है. राज्य गठन के बाद से राजनीतिक दलों के लिए खास रहा यह मुद्दा सुलझने की बजाय उलझता ही जा रहा है. यही वजह है कि आज एक बार फिर झारखंड के छात्र सड़कों पर हैं और राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप लगाने में व्यस्त हैं. झारखंड के छात्रों ने वर्तमान 60-40 नियोजन नीति के खिलाफ दो दिनों का झारखंड बंद बुलाकर साफ कर दिया है कि अब बहुत हो गया, अब इस तरह का छलावा नाय चलतो.
नियोजन नीति को लेकर राजनीतिक दलों ने नहीं किया ईमानदार प्रयासः दरअसल, नियोजन नीति को लेकर झारखंड के राजनीतिक दलों ने कभी ईमानदारी से प्रयास नहीं किया. इतने गंभीर विषय पर सर्वदलीय बैठक बुलाकर समन्वय बनाने के बजाय हर समय सत्तारूढ़ दल अपने-अपने तरीके से नियोजन नीति बनाते रहे. जिस वजह से हर बार न्यायालय द्वारा इसे गैर संवैधानिक बताकर खारिज किया जाता रहा है. 15 नवंबर 2000 को अलग राज्य के रूप में झारखंड बनने के बाद पहले मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता संभालने वाले बाबूलाल मरांडी ने भी नियोजन और स्थानीय नीति बनाने का प्रयास किया था, जो विवादों में आने के बाद आखिरकार झारखंड हाईकोर्ट से निरस्त हो गया. इसी तरह पहली बार गैर आदिवासी मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की सत्ता पर आसीन हुए रघुवर दास ने भी नियोजन नीति बनाकर बड़े पैमाने पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन उसे भी हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसके बाद 2019 में राज्य की गद्दी संभालने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार ने भी नियोजन और स्थानीय नीति पर फैसले लिए, जो एक बार फिर विवादों में है. हेमंत सरकार द्वारा तैयार नियोजन नीति में झारखंड से मैट्रिक-इंटर पास होने की अनिवार्यता विवादों में रहा और 2021 में बनी हेमंत सरकार की नियोजन नीति को आखिरकार हाईकोर्ट ने खारिज कर दी.
60-40 नियोजन नीति को हकमारी मानते हैं झारखंड के मूलवासीः वर्तमान स्थिति में सरकार ने ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत आरक्षण के साथ राज्य में 60 प्रतिशत सीटें आरक्षित रखी हैं, जबकि शेष 40 प्रतिशत सीटों पर झारखंड सहित देश के अन्य राज्यों के विद्यार्थी ग्रेड थ्री के निकलने वाले विज्ञापन में आवेदन कर सकते हैं. विवाद यहीं पर है. 40 फीसदी सीटों पर देश के अन्य राज्यों के अभ्यर्थियों द्वारा आवेदन किए जाने के प्रावधान से झारखंड के छात्र कहीं ना कहीं से इसे हकमारी मानते हैं. आंदोलनरत छात्रों का मानना है बिहार सहित देश के अन्य राज्यों में नियोजन नीति के तहत उन्हीं राज्यों के विद्यार्थियों के लिए सीटें निर्धारित की जाती हैं, लेकिन झारखंड ही एक ऐसा राज्य है जहां सभी लोगों को मौका दिया जा रहा है.
जेएमएम ने भाजपा पर लगाया छात्रों को भड़काने का आरोपः नियोजन नीति के मुद्दे पर एक बार फिर सियासत तेज हो गई है. सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा ने छात्रों के द्वारा 10 और 11 जून को झारखंड बंद के आह्वान के पीछे भारतीय जनता पार्टी का हाथ होने का आरोप लगाया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता तनुज खत्री ने आरोप लगाते हुए कहा है कि भारतीय जनता पार्टी आंदोलनरत छात्रों को बैक डोर से समर्थन कर रही है और आज तक जो नियोजन नीति नहीं बन पाने के पीछे कहीं ना कहीं भारतीय जनता पार्टी का हाथ रहा है. जिसका प्रमाण न्यायालय में भारतीय जनता पार्टी के समर्थित नेता और कार्यकर्ता द्वारा याचिका दाखिल किया जाना है.
भाजपा ने कहा-युवाओं से किया गया वादा हेमंत सरकार ने नहीं निभायाः इधर, भारतीय जनता पार्टी ने सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा पर पलटवार करते हुए कहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव में जिस तरह से घोषणापत्र के जरिए झारखंड मुक्ति मोर्चा ने राज्य के युवाओं से जो वादा किया था उसे पूरा करने में कहीं ना कहीं विफल रही है. इस वजह से छात्र नाराज हैं और आज झारखंड बंद बुलाकर सत्तारूढ़ दल से हिसाब मांग रहे हैं. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने कहा कि न्यायालय में झारखंड मुक्ति मोर्चा के द्वारा समुचित जवाब नहीं देने की वजह से नियोजन नीति रद्द हुई है. इसके पीछे भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाना सरासर अनुचित है. बहरहाल, 2024 के चुनावी संग्राम की तैयारी के बीच नियोजन नीति का जिन्न एक बार फिर झारखंड में बाहर निकल चुका है. जिसको लेकर सियासत तेज है और छात्र इस तपती गर्मी में नाय चलतो-नाय चलतो का नारा लगाकर झारखंड बंद को सफल बनाने में लगे हैं.