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राष्ट्रपति चुनाव में कांग्रेस की गुटबाजी उजागर, द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में हुई क्रॉस वोटिंग, क्या हैं इसके मायने

राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड में जमकर क्रॉस वोटिंग हुई है. झारखंड के 10 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है, यह माना जा रहा है कि इसमें से अधिकतर कांग्रेस के विधायक हैं. झारखंड की राजनीति में इसकी खूब चर्चा हो रही है.

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Published : Jul 22, 2022, 8:41 PM IST

रांची: राष्ट्रपति चुनाव ने झारखंड कांग्रेस की गुटबाजी को सतह पर ला दिया है. झारखंड के कुल 80 विधायकों ने मतदान किया था लेकिन चुनावी नतीजे चौकाने वाले आए. दरअसल, द्रौपदी मुर्मू को भाजपा, आजसू और निर्दलीय विधायक अमित यादव का समर्थन प्राप्त था. साथ ही अंतिम समय में झामुमो ने भी आदिवासी महिला का हवाला देते हुए समर्थन की घोषणा की थी.

इस लिहाज से द्रौपदी मुर्मू को भाजपा का 25, झामुमो का 30, आजसू का दो और निर्दलीय विधायक अमित यादव का एक वोट मिलना तय था. इसका कुल जोड़ 58 होता है. लेकिन द्रौपदी मुर्मू को कुल 70 वोट मिले. वहीं यशवंत सिन्हा के खाते में सिर्फ नौ वोट गये जबकि एक वोट अमान्य हो गया. अब सवाल है कि द्रौपदी मुर्मू को अतिरिक्त 12 वोट कहां से आया. इसमें निर्दलीय विधायक सरयू राय और एनसीपी के विधायक कमलेश सिंह को एक-एक वोट को जोड़ते हैं तो द्रौपदी मुर्मू को कुल 60 वोट मिलने थे. अब शेष वोट में कांग्रेस के 18 और राजद का एक और भाकपा माले का एक वोट विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को मिलना था लेकिन उन्हें 20 की जगह सिर्फ नौ वोट मिले.

अब सवाल है कि द्रौपदी को अतिरिक्त मिले दस वोट में माले और राजद का वोट भी शामिल हो सकता है. इसको इसलिए नहीं माना जा सकता क्योंकि दोनों ने पार्टी लाइन पर वोट देने की बात कही थी. ऐसे में जाहिर है कि कांग्रेस के 18 विधायकों में से दस ने क्रॉस वोटिंग की. गुप्त मतदान की वजह से यह कहना मुश्किल है कि कांग्रेस के किन-किन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. ऐसी सूरत में दो सवाल खड़े होते हैं. एक तो यह कि क्या कांग्रेस के उन विधायकों ने पहली बार उम्मीदवार बनीं आदिवासी महिला के नाम पर अंतरात्मा की सुनी या फिर यह एनडीए की तरफ झुकाव का इशारा है. झारखंड में इसकी खूब चर्चा हो रही है.

रांची: राष्ट्रपति चुनाव ने झारखंड कांग्रेस की गुटबाजी को सतह पर ला दिया है. झारखंड के कुल 80 विधायकों ने मतदान किया था लेकिन चुनावी नतीजे चौकाने वाले आए. दरअसल, द्रौपदी मुर्मू को भाजपा, आजसू और निर्दलीय विधायक अमित यादव का समर्थन प्राप्त था. साथ ही अंतिम समय में झामुमो ने भी आदिवासी महिला का हवाला देते हुए समर्थन की घोषणा की थी.

इस लिहाज से द्रौपदी मुर्मू को भाजपा का 25, झामुमो का 30, आजसू का दो और निर्दलीय विधायक अमित यादव का एक वोट मिलना तय था. इसका कुल जोड़ 58 होता है. लेकिन द्रौपदी मुर्मू को कुल 70 वोट मिले. वहीं यशवंत सिन्हा के खाते में सिर्फ नौ वोट गये जबकि एक वोट अमान्य हो गया. अब सवाल है कि द्रौपदी मुर्मू को अतिरिक्त 12 वोट कहां से आया. इसमें निर्दलीय विधायक सरयू राय और एनसीपी के विधायक कमलेश सिंह को एक-एक वोट को जोड़ते हैं तो द्रौपदी मुर्मू को कुल 60 वोट मिलने थे. अब शेष वोट में कांग्रेस के 18 और राजद का एक और भाकपा माले का एक वोट विपक्षी उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को मिलना था लेकिन उन्हें 20 की जगह सिर्फ नौ वोट मिले.

अब सवाल है कि द्रौपदी को अतिरिक्त मिले दस वोट में माले और राजद का वोट भी शामिल हो सकता है. इसको इसलिए नहीं माना जा सकता क्योंकि दोनों ने पार्टी लाइन पर वोट देने की बात कही थी. ऐसे में जाहिर है कि कांग्रेस के 18 विधायकों में से दस ने क्रॉस वोटिंग की. गुप्त मतदान की वजह से यह कहना मुश्किल है कि कांग्रेस के किन-किन विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की है. ऐसी सूरत में दो सवाल खड़े होते हैं. एक तो यह कि क्या कांग्रेस के उन विधायकों ने पहली बार उम्मीदवार बनीं आदिवासी महिला के नाम पर अंतरात्मा की सुनी या फिर यह एनडीए की तरफ झुकाव का इशारा है. झारखंड में इसकी खूब चर्चा हो रही है.

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