रांचीः उत्तर प्रदेश एटीएस (Uttar Pradesh ATS) की ओर से धर्मांतरण रैकेट (Conversion Racket) का खुलासा किए जाने के बाद झारखंड में धर्मांतरण का मुद्दा गर्मा गया है. झारखंड में मुस्लिम के बदले ईसाई धर्मावलंबियों पर हिंदुओं का धर्मांतरण करने का आरोप लगता रहा है. इस स्थिति में राज्य में धर्मांतरण के मुद्दे पर सियासत गर्मा गई है. बीजेपी धर्मांतरण बिल को लागू करने की मांग कर रही है, तो कांग्रेस और झामुमो धर्मांतरण को सियासत बता सिरे से खारिज कर दे रहे हैं.
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गरीबी और पिछड़ापन के कारण हिंदू आदिवासियों को ईसाई धर्म में परिवर्तन करने का खेल होता रहा है. इन सबके बावजूद इस मसले को लेकर आदिवासी समाज मुखर नहीं दिखता. हालांकि, कुछ संगठन धर्मांतरण का विरोध करते हैं, तो उनकी बातें दबा दी जाती हैं.
धर्मांतरण बिल को सख्ती से लागू करने की जरूरत
जब भी धर्मांतरण पर चर्चा होती है, तो भाजपा को छोड़ राज्य के सत्ताधारी दल चुप्पी साधकर निकल जाते हैं. बीजेपी विधायक बिरंची नारायण कहते हैं कि पिछली रघुवर सरकार में धर्मांतरण पर बिल लाया गया था. जिसे सख्ती से लागू करने की जरूरत है. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि रघुवर सरकार के समय लाया गया धर्मांतरण बिल का अक्षरशः पालन कराए. उन्होंने कहा कि हिंदू क्यों मुस्लिम और ईसाई धर्म अपनायेगा.
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संविधान में धर्म अपनाने की है आजादी
सत्तारूढ़ दल कांग्रेस और झामुमो ने बीजेपी की मांग को खारिज करते हुए कहा है कि यूपी चुनाव को देखते हुए बीजेपी साम्प्रदायिकता फैलाने की कोशिश कर रही है. कांग्रेस विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी ने कहा कि धर्मांतरण को बीजेपी किस तरह से लेती है, यह नहीं जानते. संविधान में धर्म अपनाने की स्वतंत्रता प्रत्येक नागरिक को है और हर कोई अपने धर्म का प्रचार-प्रसार कर सकता है. यदि जबरन धर्मांतरण होता है तो वह कानून के खिलाफ है.
धर्मांतरण पर बेवजह की जा रही चर्चा
झामुमो महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा है कि यूपी चुनाव नजदीक है. इसलिए धर्मांतरण और जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे जैसी बेवजह बातें की जा रही है. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में आजीविका पर बात होनी चाहिए, लेकिन मुख्य मुद्दा छोड़ इधर-उधर की बात की जा रही है.