रांची: टीएसी की बैठक का बीजेपी की ओर से बहिष्कार करने पर पर राजनीति तेज हो गई है. टीएसी सचिव और राज्य सरकार के मंत्री चंपाई सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी के मनोनीत सदस्यों के बैठक में अनुपस्थित रहने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की. चंपाई सोरेन ने बैठक के बाद नाराजगी जताते हुए बीजेपी पर आदिवासी विरोधी होने का आरोप लगाया था. जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने भी सरकार पर पलटवार किया है.
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आदिवासी विरोधी कौन वह जनता जानती है-भाजपा
भारतीय जनता पार्टी ने टीएसी की वैधता पर सवाल खड़ा करते हुए लगातार दूसरे बैठक से भी अपने को अलग रखा है. मंत्री चंपाई सोरेन के बयान पर झारखंड बीजेपी ने नाराजगी जताते हुए कहा है कि आदिवासी विरोधी कौन है वह जनता जानती है. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने टीएसी की वैधता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि जिस तरह से राज्यपाल के अधिकार का हनन कर मुख्यमंत्री को टीएसी में कई अधिकार दिये गये हैं. भाजपा उसका विरोध कर रही है ना कि आदिवासी हितों के लिए बनने वाली योजना का. उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल ने आदिवासियों की हित नहीं बल्कि स्वार्थवश यह कदम उठाया है. टीएसी में भाजपा की ओर से विधायक बाबूलाल मरांडी और नीलकंठ सिंह मुंडा बतौर सदस्य शामिल है.
टीएसी के पदेन अध्यक्ष मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हैं. वहीं, कल्याण मंत्री चंपाई सोरेन को टीएसी उपाध्यक्ष बनाया गया है. 19 सदस्यीय समिति में मुख्यमंत्री, मंत्री समेत 17 विधायक और दो मनोनीत सदस्य हैं. मुख्यमंत्री के पदेन अध्यक्ष और कल्याण मंत्री के पदेन उपाध्यक्ष के अलावा अनुसूचित जनजाति के जिन 15 विधायकों को सदस्य बनाया गया है जिसमें प्रो. स्टीफन मरांडी, नीलकंठ सिंह मुंडा, बाबूलाल मरांडी, बंधू तिर्की, सीता सोरेन, दीपक बिरुवा, चमरा लिंडा, कोचे मुंडा, भूषण तिर्की, सुखराम उरांव, दशरथ गगराई, विकास कुमार मुंडा, नमन विक्सल कोंगाड़ी, राजेश कच्छप, सोनाराम सिंकू शामिल हैं. वहीं विश्वनाथ सिंह सरदार और जमल मुंडा को मनोनीत सदस्य बनाया गया.