रांची: राज्यभर के CHOs अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार शनिवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए जाकिर हुसैन पार्क में इकट्ठा हुए थे. बड़ी संख्या में एकजुट हुए सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को पुलिस ने मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़ने ही नहीं दिया. इसके बाद सभी CHO राजभवन के पास ही धरना पर बैठ गए. झारखंड राज्य के 1600 से अधिक हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में मरीजों की सेवा से लेकर स्वास्थ्य विभाग की फ्लैगशिप योजनाओं को धरातल पर उतारने में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी अहम भूमिका निभाते हैं.
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कांके स्थित मुख्यमंत्री आवास घेरने का था कार्यक्रम: राज्यभर के सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने 23 फरवरी को नेपाल हाउस सचिवालय का घेराव किया था. इसके बाद शुक्रवार को सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने डोरंडा स्थित स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के आवास का घेराव किया. दोनों दिन मांगों को लेकर लिखित आश्वासन नहीं मिलने पर वार्ता बेनतीजा रहा. इसलिए शनिवार को समुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी मुख्यमंत्री आवास घेरने के लिए निकले थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें जाकिर हुसैन पार्क से आगे ही नहीं बढ़ने दिया.
बड़ी संख्या में महिला CHO भी प्रदर्शन में हैं शामिल: झारखंड के दूरदराज के दुर्गम इलाकों में जहां चिकित्सक भी नहीं पहुंचते, वहां स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने में अहम भूमिका निभाने वाले सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों में बड़ी संख्या में महिला CHO भी हैं. मुख्यमंत्री आवास घेराव में शनिवार को राज्य के सभी 24 जिलों से आये सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी शामिल रहे. पिछले तीन दिनों से पलामू, लातेहार, दुमका, पाकुड़, साहिबगंज, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला खरसावां सहित कई दूरदराज के इलाकों से रांची आकर CHOs प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल स्वास्थ्य विभाग की ओर से नहीं किया गया है.
ये हैं सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की मुख्य मांगें: झारखंड कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले राज्य भर के CHO लगातार अपनी मांगों को अलग-अलग तरीके से बुलंद कर रहे हैं. शनिवार को मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने के लिए निकलने से पहले CHOs राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के स्टेट प्रोजेक्ट डायरेक्टर कार्यालय, सचिवालय और स्वास्थ्य मंत्री आवास का घेराव कर चुके हैं. सभी CHO काला बिल्ला लगाकर सेवा देने और 23 जनवरी से ऑनलाइन रिपोर्टिंग भी बंद कर चुके हैं. आंदोलित सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती तो पूर्ण हड़ताल पर जाने के सिवाय कोई रास्ता नहीं बचता है. पद सृजन, बॉन्ड आधारित सेवा की जगह नियमितीकरण, मानदेय और प्रोत्साहन राशि का समायोजन, अतिरिक्त कार्य करने की अनिवार्यता समाप्त करने, सभी CHO, खासकर महिला सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की सुरक्षा और अन्य कर्मियों की तरह ट्रांसफर पॉलिसी लागू करना शामिल है. आंदोलित CHO का कहना है कि 23 फरवरी से ही ऑनलाइन रिपोर्टिंग बंद होने और सभी सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मियों के आंदोलन की वजह से राज्य के दूरदराज के क्षेत्र और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी है. इसके बावजूद स्वास्थ्य महकमे की ओर से आंदोलन को समाप्त करने के लिए कोई सार्थक पहल नहीं की गई है.