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प्लस टू स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई, सरकार ने कहा- पद स्वीकृति के लिए भेजा गया है प्रस्ताव

प्लस टू स्कूल में शिक्षक नियुक्ति मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई (Plus 2 Schools Teachers Appointment Contempt Case) हुई. इस दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि 1033 पद स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेज दिया गया है.

Plus 2 Schools Teachers Appointment Contempt Case
Plus 2 Schools Teachers Appointment Contempt Case
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Published : Dec 8, 2022, 8:35 PM IST

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में प्लस टू स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति से संबंधित अवमानना वाद मामले पर गुरुवार को सुनवाई (Plus 2 School Teacher Appointment Contempt Case) हुई. राज्य सरकार की ओर से मामले की सुनवाई के दौरान शपथ के माध्यम से हाई कोर्ट को जानकारी दी गई कि हाई लेवल कमेटी की अनुशंसा पर राज्य के प्लस टू स्कूल में 1033 पद स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया (Proposal Has Sent For Acceptance Of Posts) है. वित्त विभाग के अप्रूवल के बाद इसे कैबिनेट की अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा.

ये भी पढे़ं-संगीत शिक्षक नियुक्ति मामले में सरकार के जवाब पर हाई कोर्ट नाराज, निदेशक को किया तलब

सोशियोलॉजी के लिए नहीं दर्शाया गया है पदः इसमें सोशियोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस, फिलॉस्फी, एंथ्रोपोलॉजी, कंप्यूटर, जियोलॉजी, क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा आदि 20 विषय शामिल हैं. इनमें से सोशियोलॉजी के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई पद नहीं दर्शाया गया (No Post For Sociology Teacher) है. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को इस पर जवाब देने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.


पूर्व में भी मामले में डाली गई थी जनहित याचिकः बता दें कि राज्य में प्लस टू स्कूलों में सोशियोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस, फिलासफी, एंथ्रोपोलॉजी क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा आदि के शिक्षक नहीं होने को लेकर एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation) पूर्व में दाखिल की गयी थी. जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि ओड़िशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के स्कूलों में प्लस टू पढ़ाई से संबंधित डाटा का कलेक्शन हाई लेवल कमेटी करेगी. ऐसा नहीं होने पर इस मामले में पूर्व में अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी. जिस पर सुनवाई के क्रम में स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव ने शपथ पत्र दाखिल कर कहा था कि मल्टी मेंबर कमेटी की रिपोर्ट आ गयी है. कुछ सुधार के लिए फिर से कमेटी के पास भेजा गया है और फाइनल रिपोर्ट जल्द आ जाएगी. जिस पर कोर्ट ने चार माह में पूरे एक्सरसाइज को पूरा करने का आदेश देते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया था. साथ ही प्रभावित व्यक्तियों को छूट दी थी कि अगर कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है तो वह फिर कोर्ट आ सकता है.


प्लस 2 शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन में कई विषयों का जिक्र नहींः इस बीच प्लस 2 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन सरकार की ओर से निकाला गया. इसमें प्रार्थी द्वारा जिन विषयों का जिक्र किया गया था उसे शामिल नहीं किया गया था. जिसके बाद जन्मजय महतो और अन्य की ओर से फिर से हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की (Plus 2 School Teacher Appointment Contempt Case) गई. इस पर बीते दिनों सुनवाई के दौरान कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि सब कुछ फाइनल स्टेज में है और मामले में सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि राजकीय प्लस 2 स्कूलों के लिए 1033 पद की स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को भेजा गया है. इस मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कोर्ट ने प्रार्थी के जवाब पर प्रतिउत्तर दायर करने का आदेश दिया है.

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में प्लस टू स्कूलों में शिक्षक नियुक्ति से संबंधित अवमानना वाद मामले पर गुरुवार को सुनवाई (Plus 2 School Teacher Appointment Contempt Case) हुई. राज्य सरकार की ओर से मामले की सुनवाई के दौरान शपथ के माध्यम से हाई कोर्ट को जानकारी दी गई कि हाई लेवल कमेटी की अनुशंसा पर राज्य के प्लस टू स्कूल में 1033 पद स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को प्रस्ताव भेजा गया (Proposal Has Sent For Acceptance Of Posts) है. वित्त विभाग के अप्रूवल के बाद इसे कैबिनेट की अप्रूवल के लिए भेजा जाएगा.

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सोशियोलॉजी के लिए नहीं दर्शाया गया है पदः इसमें सोशियोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस, फिलॉस्फी, एंथ्रोपोलॉजी, कंप्यूटर, जियोलॉजी, क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा आदि 20 विषय शामिल हैं. इनमें से सोशियोलॉजी के लिए राज्य सरकार की ओर से कोई पद नहीं दर्शाया गया (No Post For Sociology Teacher) है. जिस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को इस पर जवाब देने को कहा है. अब मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होगी.


पूर्व में भी मामले में डाली गई थी जनहित याचिकः बता दें कि राज्य में प्लस टू स्कूलों में सोशियोलॉजी, पॉलिटिकल साइंस, फिलासफी, एंथ्रोपोलॉजी क्षेत्रीय और जनजातीय भाषा आदि के शिक्षक नहीं होने को लेकर एक जनहित याचिका (Public Interest Litigation) पूर्व में दाखिल की गयी थी. जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि ओड़िशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के स्कूलों में प्लस टू पढ़ाई से संबंधित डाटा का कलेक्शन हाई लेवल कमेटी करेगी. ऐसा नहीं होने पर इस मामले में पूर्व में अवमानना याचिका दाखिल की गयी थी. जिस पर सुनवाई के क्रम में स्कूली शिक्षा विभाग के सचिव ने शपथ पत्र दाखिल कर कहा था कि मल्टी मेंबर कमेटी की रिपोर्ट आ गयी है. कुछ सुधार के लिए फिर से कमेटी के पास भेजा गया है और फाइनल रिपोर्ट जल्द आ जाएगी. जिस पर कोर्ट ने चार माह में पूरे एक्सरसाइज को पूरा करने का आदेश देते हुए याचिका को निष्पादित कर दिया था. साथ ही प्रभावित व्यक्तियों को छूट दी थी कि अगर कमेटी की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं है तो वह फिर कोर्ट आ सकता है.


प्लस 2 शिक्षक नियुक्ति के विज्ञापन में कई विषयों का जिक्र नहींः इस बीच प्लस 2 शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन सरकार की ओर से निकाला गया. इसमें प्रार्थी द्वारा जिन विषयों का जिक्र किया गया था उसे शामिल नहीं किया गया था. जिसके बाद जन्मजय महतो और अन्य की ओर से फिर से हाइकोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की (Plus 2 School Teacher Appointment Contempt Case) गई. इस पर बीते दिनों सुनवाई के दौरान कोर्ट में राज्य सरकार की ओर से बताया गया था कि सब कुछ फाइनल स्टेज में है और मामले में सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर बताया गया कि राजकीय प्लस 2 स्कूलों के लिए 1033 पद की स्वीकृति के लिए वित्त विभाग को भेजा गया है. इस मामले में गुरुवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार को कोर्ट ने प्रार्थी के जवाब पर प्रतिउत्तर दायर करने का आदेश दिया है.

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