ETV Bharat / state

झारखंड में हड़िया-दारू से महिलाओं ने की तौबा, फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान ने बदली जिंदगी

झारखंड में हड़िया-दारू बनाने और बेचने को विवश महिलाओं के अब हालात बदल रहे हैं. फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान के तहत एक साल के भीतर 13 हजार 356 ग्रामीण महिलाएं सम्मानजमक आजीविका के साधन से जुड़ चुकी हैं. साथ ही इस अभियान के तहत करीब 15 हजार 456 ग्रामीण महिलाओं को चिह्नित किया गया है.

women quit selling liquor in jharkhand
रखंड में हड़िया-दारू बेचना छोड़ सम्मान के रास्ते पर बढ़ रही हैं महिलाएं
author img

By

Published : Jun 16, 2021, 6:29 PM IST

रांचीः फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान ऐसी महिलाओं के लिए वरदान साबित होने लगा है जो हड़िया-दारू बनाने और बेचने को विवश थीं. इस काम से जुड़ी महिलाओं को दो पैसे कमाने के लिए कई तरह के अपमान झेलने पड़ते थे लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. अभियान शुरू होने के एक साल के भीतर 13 हजार 356 ग्रामीण महिलाएं सम्मानजनक आजीविका के साधन से जुड़ चुकी हैं.

ये भी पढ़ेंः-Jharkhand News: झारखंड मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट, दिल्ली में लगेगी अंतिम मुहर

इस अभियान के तहत राज्य के ग्रामीण इलाकों में सर्वेक्षण कर हड़िया-दारू की बिक्री और निर्माण से जुड़ीं करीब 15 हजार 456 ग्रामीण महिलाओं को चिह्नित किया गया है. इन्हें काउंसलिंग कर पहले सखी मंडल से जोड़ा गया और ब्याजमुक्त कर्ज देकर सम्मानजनक आजीविका अपनाने की राह दिखाई गई है.

सिमडेगा जिला के कोलेबिरा प्रखंड के कोम्बाकेरा गांव की सोमानी देवी पहले हड़िया-दारू बेचती थी और लोगों के बुरे व्यवहार को झेलती थीं. आज उसी हाट-बाजार में अपना छोटा सा होटल चला रहीं हैं.

आजीविका के कई साधन हैं मौजूद

जेएसएलपीएस के सहयोग से महिलाओं को उनकी इच्छानुसार स्थानीय संसाधनों के आधार पर वैकल्पिक आजीविका के साधनों से जोड़ा जा रहा है. कृषि आधारित आजीविका, पशुपालन, वनोपज संग्रहण, मछली पालन, रेशम उत्पादन, मुर्गीपालन, वनोत्पाद से जुड़े कार्य और सूक्ष्म उद्यमों आदि से जोड़ा जा रहा है. सखी मंडलों ने इस अभियान के तहत चिह्नित महिलाओं के आजीविका प्रोत्साहन के लिए 10 हजार रुपये ऋण राशि का प्रावधान किया है, जो एक साल तक ब्याजमुक्त है.

सखी मंडल से ले सकती हैं अधिक ऋण

वहीं सामान्य व्यवस्था के तहत चिह्नित महिलाएं और अधिक ऋण सखी मंडल से ले सकती हैं. इन्हीं चिह्नित महिलाओं में से कुछ दीदियों को सामुदायिक कैडर के रूप में भी चुना गया है, जो दूसरों के लिए मिसाल बनकर हड़िया-दारू के खिलाफ इस अभियान का नेतृत्व कर रही हैं.

रांचीः फूलो-झानो आशीर्वाद अभियान ऐसी महिलाओं के लिए वरदान साबित होने लगा है जो हड़िया-दारू बनाने और बेचने को विवश थीं. इस काम से जुड़ी महिलाओं को दो पैसे कमाने के लिए कई तरह के अपमान झेलने पड़ते थे लेकिन अब हालात बदल रहे हैं. अभियान शुरू होने के एक साल के भीतर 13 हजार 356 ग्रामीण महिलाएं सम्मानजनक आजीविका के साधन से जुड़ चुकी हैं.

ये भी पढ़ेंः-Jharkhand News: झारखंड मंत्रिमंडल में फेरबदल की सुगबुगाहट, दिल्ली में लगेगी अंतिम मुहर

इस अभियान के तहत राज्य के ग्रामीण इलाकों में सर्वेक्षण कर हड़िया-दारू की बिक्री और निर्माण से जुड़ीं करीब 15 हजार 456 ग्रामीण महिलाओं को चिह्नित किया गया है. इन्हें काउंसलिंग कर पहले सखी मंडल से जोड़ा गया और ब्याजमुक्त कर्ज देकर सम्मानजनक आजीविका अपनाने की राह दिखाई गई है.

सिमडेगा जिला के कोलेबिरा प्रखंड के कोम्बाकेरा गांव की सोमानी देवी पहले हड़िया-दारू बेचती थी और लोगों के बुरे व्यवहार को झेलती थीं. आज उसी हाट-बाजार में अपना छोटा सा होटल चला रहीं हैं.

आजीविका के कई साधन हैं मौजूद

जेएसएलपीएस के सहयोग से महिलाओं को उनकी इच्छानुसार स्थानीय संसाधनों के आधार पर वैकल्पिक आजीविका के साधनों से जोड़ा जा रहा है. कृषि आधारित आजीविका, पशुपालन, वनोपज संग्रहण, मछली पालन, रेशम उत्पादन, मुर्गीपालन, वनोत्पाद से जुड़े कार्य और सूक्ष्म उद्यमों आदि से जोड़ा जा रहा है. सखी मंडलों ने इस अभियान के तहत चिह्नित महिलाओं के आजीविका प्रोत्साहन के लिए 10 हजार रुपये ऋण राशि का प्रावधान किया है, जो एक साल तक ब्याजमुक्त है.

सखी मंडल से ले सकती हैं अधिक ऋण

वहीं सामान्य व्यवस्था के तहत चिह्नित महिलाएं और अधिक ऋण सखी मंडल से ले सकती हैं. इन्हीं चिह्नित महिलाओं में से कुछ दीदियों को सामुदायिक कैडर के रूप में भी चुना गया है, जो दूसरों के लिए मिसाल बनकर हड़िया-दारू के खिलाफ इस अभियान का नेतृत्व कर रही हैं.

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.