रांची: पलामू के दारोगा लालजी यादव मौत के मामले (Lalji Yadav Death Case) की सीबीआई जांच कराने की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में झारखंड सरकार के पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री मिथिलेश ठाकुर और उनके भाई बीनू ठाकुर को प्रतिवादी बनाया गया है. इससे पूर्व इसी मामले की सीबीआई जांच की मांग को लेकर लालजी यादव के भाई ने भी हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. जिसमें पलामू एसपी, डीएसपी, डीटीओ एवं अन्य को प्रतिवादी बनाया गया है. यह हत्या है या आत्महत्या इसकी जांच की मांग की गई है. प्रार्थी का कहना है कि मामले में प्रभावशाली व्यक्ति पर आरोप है, इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से की जानी चाहिए.
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याचिकाकर्ता ने याचिका के माध्यम से अदालत को जानकारी दी है कि इस मामले के पीछे अवैध रूप से कोयला एवं अन्य खनिज खनन और उसके लूटपाट का बड़ा षड्यंत्र है. दारोगा इस में अवरोध पैदा कर रहे थे. जिसके कारण से उन्हें प्रताड़ित किया गया और वह अंततः इस तरह के कदम उठाने को विवश हुए. मामले में मंत्री और एसपी स्तर के अधिकारी पप आरोप है. इसलिए इस मामले की निष्पक्ष जांच झारखंड पुलिस से नहीं हो पाएगी. इसलिए इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए.
लालजी यादव नावाबाजार के थाना प्रभारी थे. पलामू एसपी चंदन सिन्हा को लालजी के खिलाफ वरीय पदाधिकारी से अभद्र व्यवहार करने, अधिकारियों के आदेश का उल्लंघन करने की लगातार शिकायत मिल रही थी. जिसके बाद एसपी ने लालजी यादव को 6 जनवरी को निलंबित कर दिया था. निलंबन के बाद वे काफी परेशान से थे. लालजी यादव ने थाना कैंपस में ही आत्महत्या कर ली. निलंबन के 4 दिन बाद उन्होंने आत्महत्या की थी. इससे पहले लालजी रांची के बुढमू में मालखाना का प्रभार देने गए थे. वहां से वापस लौटने के बाद उन्होंने आत्महत्या की. लालजी यादव 2012 बैच के दारोगा थे.