रांची: खाद्य तेल की कीमत ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़े दिए हैं. सरसों तेल और रिफाइंड तेल की कीमतें आसमान छू रही है. एक तरफ जहां आम उपभोक्ता की बढ़ी खाद्य तेल की कीमत ने घर का बजट गड़बड़ा दिया है, तो वही खुदरा व्यवसायी भी परेशान हैं.
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खाद्य तेल की बढ़ी कीमत ने मध्यम वर्गीय परिवार के घर का बजट पूरी तरह से बिगाड़ दिया है. आम लोग तेल की खपत कम कर महीने भर घर चला रहे हैं, तो वहीं खुदरा व्यवसायी भी ग्राहकों के सवाल का जवाब देने में असमर्थ हैं, क्योंकि उन्हें भी नहीं पता कि किस वजह से खाद्य तेल की कीमतों में इतना ज्यादा इजाफा हुआ है. हालांकि कुछ व्यवसायियों का कहना है कि पहले अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी आई थी और भारत में इंपोर्ट वाले स्टॉक काफी कम मात्रा में बचे थे, इस वजह से दाम बढ़ गए हैं, साथ ही तिलहन के भाव में आई तेजी बरकरार है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद्य तेल की कीमत भी बढ़ी हुई है. वहीं खुदरा व्यवसायियों का कहना है कि बढ़ी तेल की कीमतों की वजह से बिक्री भी कम पड़ गई है, क्योंकि पिछले साल की तुलना में इस साल 1 लीटर खाद्य तेल की कीमत में लगभग 70 की बढ़ोतरी हुई है.
आम लोगों की जेब पर पड़ रही महंगाई की मार
वर्तमान में सरसों तेल की प्रति लीटर कीमत 180 रुपये है, तो वहीं रिफाइंड तेल की कीमत प्रति लीटर 175 से 200 रुपये तक पहुंच गई है आम उपभोक्ताओं का कहना है कि खाद्य तेल की बढ़ी कीमतों की वजह से घर का बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है, कोरोना की वजह से जहां आमदनी बंद हो गई है, वहीं महंगाई लगातार बढ़ रही है, जिससे घर चलाना भी मुश्किल हो गया है.
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कोरोना काल में लोगों की आमदनी पर असर
कोरोना संक्रमण काल में जहां आम लोगों की आमदनी प्रभावित हुई है, वहीं महंगाई चरम पर है. खासकर खाद्य तेल की बढ़ी कीमतों ने आम लोगों पर बोझ बढ़ा दिया है और किचन का बजट भी गड़बड़ा गया है. ऐसे में ग्राहकों के लिए अच्छे दिन कब आएंगे यह कहना बेहद मुश्किल हो गया है.