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झारखंड में फाइलेरिया बना नासूर, 51 हजार से अधिक लोग हैं बीमारी से लाचार

झारखंड में फाइलेरिया बीमारी (Filarial disease in Jharkhand) से लोग परेशान हैं. राज्य में 51 हजार लोग फाइलेरिया से ग्रस्त हैं. इसमें सबसे अधिक मरीज देवघर में हैं.

filarial disease in Jharkhand
झारखंड में फाइलेरिया बना नासूर
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Published : Nov 26, 2022, 8:20 PM IST

रांचीः झारखंड वेक्टर बोर्न डिजीज मलेरिया को काबू करने में इस साल सफल रहा है. लेकिन क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होनेवाली बीमारी फाइलेरिया (Filarial disease in Jharkhand) बढ़ गया है. फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति का पांव हाथी जैसा फूल जाता है. इससे इसे हाथीपांव (LYMPHOEDEMA) भी कहते है. राज्य में फाइलेरिया ग्रस्त लोगों की संख्या 51 हजार से अधिक हैं. इसमें देवघर ऐसा जिला है, जहां 6 हजार से ज्यादा लोग फाइलेरिया से ग्रस्त हैं.

यह भी पढ़ेंः रांची से फाइलेरिया को भगाना है तो मुफ्त में दी जा रही दवा खाना है, डीसी ने किया अभियान का शुभारंभ

इसके साथ ही राज्य में अंडकोष में सूजन (HYDROCELE) के करीब 39 हजार मरीज हैं, जिसमें करीब 20 हजार को सर्जरी कर ठीक किया गया है. इसके बावजूद 19 हजार लोग हाइड्रोसील से पीड़ित हैं. रांची सदर अस्पताल के डॉ दयानंद सरस्वती ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होनेवाली बीमारी है. क्यूलेक्स मच्छर द्वारा किसी संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में पहुंचता है और उसे संक्रमित कर देता है. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया से संक्रमित व्यक्ति का हाथ और पैर में सूजन, दर्द, बुखार और अंडकोष में सूजन होने लगता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर


फाइलेरिया से बचाव के उपाय वैसे ही हैं, जैसे सभी वेक्टर बोर्न डिजीज के होते हैं. सोने के लिए मच्छरदानी का उपयोग, घर के आसपास में साफ सफाई, जलजमाव नहीं होने देना, हाथ-पांव में दर्द या अंडकोष के बढ़ने या उसमें सूजन होने पर जल्द डॉक्टर्स से सलाह लेना जरूरी है. इसके साथ ही सरकार की ओर से समय समय पर चलाये जाने वाले एमडीए के दौरान खिलाई जानेवाली दवा और एल्बेंडाजोल का सेवन से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

झारखंड के वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के नोडल अधिकारी डॉ अनिल कुमार ने बताया कि अशिक्षा की वजह से इस बीमारी को लेकर जानकारी और गंभीरता दोनों का अभाव है. उन्होंने कहा कि राज्य में फाइलेरिया को समाप्त करने के लिए पहले चरण में राज्य के सात जिलों गोड्डा, दुमका, चतरा, लातेहार, जामताड़ा, सरायकेला और पलामू में एमडीए की जगह आईडीए यानि इंटेग्रेटेड ड्रग अडमिस्ट्रेशन अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के दौरान ग्रासरूट लेवल पर लोगों को फाइलेरिया से बचाने के लिए डीईसी टेबलेट्स, एल्बेंडाजोल के साथ साथ आइवरमेक्टिन की दवा खिलाई जाएगी.

एक नजर में फाइलेरिया

  • भारत में विश्व का 55% फाइलेरिया मरीज
  • देश के 20 राज्य और यूटी के 328 जिले में फाइलेरिया
  • भारत मे 739 M पॉपुलेशन फाइलेरिया के रिस्क केटेगरी में
  • विश्व के 17 देशों ने अपने अपने देश से फाईलेरिया का उन्मूलन कर लिया है
  • पड़ोसी देश बांग्लादेश भी फाईलेरिया को खत्म करने का दावा के साथ डोजियर किया सबमिट

डॉ अनिल कुमार ने बताया कि विश्व में जितने मरीज फाइलेरिया के हैं, जिसमें 55 प्रतिशत मरीज सिर्फ भारत में हैं. भारत सरकार ने देश के 256 जिलों में फाइलेरिया के खतरे को देखते हुए दो की जगह तीन दवाओं का अभियान चलाने का फैसला लिया है, जो अब झारखंड में भी शुरू होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार अलर्ट है. साल 2019 में सिमडेगा जिले में दो दवा एल्बेंडाजोल और डीईसी की जगह ज्यादा प्रभावशाली दवा का वितरण किया गया.

रांचीः झारखंड वेक्टर बोर्न डिजीज मलेरिया को काबू करने में इस साल सफल रहा है. लेकिन क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होनेवाली बीमारी फाइलेरिया (Filarial disease in Jharkhand) बढ़ गया है. फाइलेरिया संक्रमित व्यक्ति का पांव हाथी जैसा फूल जाता है. इससे इसे हाथीपांव (LYMPHOEDEMA) भी कहते है. राज्य में फाइलेरिया ग्रस्त लोगों की संख्या 51 हजार से अधिक हैं. इसमें देवघर ऐसा जिला है, जहां 6 हजार से ज्यादा लोग फाइलेरिया से ग्रस्त हैं.

यह भी पढ़ेंः रांची से फाइलेरिया को भगाना है तो मुफ्त में दी जा रही दवा खाना है, डीसी ने किया अभियान का शुभारंभ

इसके साथ ही राज्य में अंडकोष में सूजन (HYDROCELE) के करीब 39 हजार मरीज हैं, जिसमें करीब 20 हजार को सर्जरी कर ठीक किया गया है. इसके बावजूद 19 हजार लोग हाइड्रोसील से पीड़ित हैं. रांची सदर अस्पताल के डॉ दयानंद सरस्वती ने बताया कि फाइलेरिया मच्छर के काटने से होनेवाली बीमारी है. क्यूलेक्स मच्छर द्वारा किसी संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में पहुंचता है और उसे संक्रमित कर देता है. उन्होंने कहा कि फाइलेरिया से संक्रमित व्यक्ति का हाथ और पैर में सूजन, दर्द, बुखार और अंडकोष में सूजन होने लगता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर


फाइलेरिया से बचाव के उपाय वैसे ही हैं, जैसे सभी वेक्टर बोर्न डिजीज के होते हैं. सोने के लिए मच्छरदानी का उपयोग, घर के आसपास में साफ सफाई, जलजमाव नहीं होने देना, हाथ-पांव में दर्द या अंडकोष के बढ़ने या उसमें सूजन होने पर जल्द डॉक्टर्स से सलाह लेना जरूरी है. इसके साथ ही सरकार की ओर से समय समय पर चलाये जाने वाले एमडीए के दौरान खिलाई जानेवाली दवा और एल्बेंडाजोल का सेवन से इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है.

झारखंड के वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के नोडल अधिकारी डॉ अनिल कुमार ने बताया कि अशिक्षा की वजह से इस बीमारी को लेकर जानकारी और गंभीरता दोनों का अभाव है. उन्होंने कहा कि राज्य में फाइलेरिया को समाप्त करने के लिए पहले चरण में राज्य के सात जिलों गोड्डा, दुमका, चतरा, लातेहार, जामताड़ा, सरायकेला और पलामू में एमडीए की जगह आईडीए यानि इंटेग्रेटेड ड्रग अडमिस्ट्रेशन अभियान चलाया जाएगा. इस अभियान के दौरान ग्रासरूट लेवल पर लोगों को फाइलेरिया से बचाने के लिए डीईसी टेबलेट्स, एल्बेंडाजोल के साथ साथ आइवरमेक्टिन की दवा खिलाई जाएगी.

एक नजर में फाइलेरिया

  • भारत में विश्व का 55% फाइलेरिया मरीज
  • देश के 20 राज्य और यूटी के 328 जिले में फाइलेरिया
  • भारत मे 739 M पॉपुलेशन फाइलेरिया के रिस्क केटेगरी में
  • विश्व के 17 देशों ने अपने अपने देश से फाईलेरिया का उन्मूलन कर लिया है
  • पड़ोसी देश बांग्लादेश भी फाईलेरिया को खत्म करने का दावा के साथ डोजियर किया सबमिट

डॉ अनिल कुमार ने बताया कि विश्व में जितने मरीज फाइलेरिया के हैं, जिसमें 55 प्रतिशत मरीज सिर्फ भारत में हैं. भारत सरकार ने देश के 256 जिलों में फाइलेरिया के खतरे को देखते हुए दो की जगह तीन दवाओं का अभियान चलाने का फैसला लिया है, जो अब झारखंड में भी शुरू होगा. उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार अलर्ट है. साल 2019 में सिमडेगा जिले में दो दवा एल्बेंडाजोल और डीईसी की जगह ज्यादा प्रभावशाली दवा का वितरण किया गया.

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