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ऐसे पूरा होगा स्वच्छ भारत का सपना! रांची के सार्वजनिक मॉड्यूलर टॉयलेट में पसरी गंदगी, दुर्गंध से लोग परेशान

रांची के सार्वजनिक मॉड्यूलर टॉयलेट में पसरी गंदगी से लोग परेशान हैं. राजधानी में बनाए गए 170 टॉयलेट पर हर महीने दो करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं. फिर भी उचित रखरखाव और साफ-सफाई के अभाव में इनकी स्थिति काफी बदहाल हो चुकी है. Bad condition of modular toilets in Ranchi.

People troubled by dirt in public modular toilets at intersections of Ranchi
रांची के सार्वजनिक मॉड्यूलर टॉयलेट में पसरी गंदगी से लोग परेशान
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 6, 2023, 5:47 PM IST

Updated : Nov 6, 2023, 7:29 PM IST

रांची के सार्वजनिक मॉड्यूलर टॉयलेट में पसरी गंदगी

रांची: भारत सरकार स्वच्छ भारत अभियान चला रही है ताकि भारत की छवि स्वच्छ देश के रूप में पूरी दुनिया में बन सके. भारत सरकार के प्रयास को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार भी प्रयास करती दिख रही है. लेकिन उनका ये प्रयास कितना सफल हो रहा है इसकी बानगी दिखी राजधानी रांची में. जहां करोड़ों की लागत से बने 170 मॉड्यूलर टायलेट्स की स्थिति बदहाल है.

इसे भी पढ़ें- Jamtara News: सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणी के बाद भी नहीं सुधरी जामताड़ा कोर्ट परिसर में शौचलाय की स्थिति, लोग परेशान

स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए झारखंड में सार्वजनिक टॉयलेट बनाए गए हैं. राजधानी की बात करें तो रांची नगर निगम की तरफ से राजधानी के विभिन्न चौक चौराहों पर मॉड्यूलर टॉयलेट लगाए गए हैं. जिससे राजधानी को ओडीएफ फ्री बनाया जा सके. इसके साथ ही लोगों को सुविधा भी मिल सके. लेकिन राजधानी के मॉड्यूलर टॉयलेट की बात करें तो सभी टॉयलेट्स की स्थिति बद से बदतर है.

रांची का मुख्य चौराहा अल्बर्ट एक्का चौक पर लगाए गए दो मॉड्यूलर टॉयलेट की ईटीवी भारत ने पड़ताल की. जिस स्थान पर शौचालय है वहां तक जाना ही मुश्किल है, क्योंकि दूर इसकी दुर्गंध फैली है. टॉयलेट के आसपास काफी गंदगी पसरी है, देखकर ऐसा लग रहा है कि कई-कई दिनों तक इसकी सफाई नहीं की जाती है. आसपास के लोगों से बात करने पता चला कि शौचालय में कभी भी पानी नहीं रहता है और ना ही कभी इसकी सफाी होती है. इस कारण शौचालय के चारों ओर गंदगी पसरी रहती है. गंदगी की वजह से लोग टॉयलेट रहने के बावजूद भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

अल्बर्ट एक्का चौक पर व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए तैनात पुलिसकर्मियों ने कहा कि टॉयलेट की नियमित सफाई नहीं होने की वजह से ड्यूटी करना मुश्किल हो रहा है. टॉयलेट में पसरी गंदगी की दुर्गंध से पुलिसकर्मी ड्यूटी करना नहीं चाहते हैं. यह हालत सिर्फ अल्बर्ट एक्का चौक की नहीं बल्कि राजधानी के विभिन्न चौक चौराहे पर बने हुए मॉड्यूलर टॉयलेट की है. ईटीवी भारत की टीम ने रातू रोड चौक पर बने मॉड्यूलर टॉयलेट का भी जायजा लिया. इसका उपयोग करने आए लोगों ने कहा कि टॉयलेट के अंदर इतनी गंदगी पसरी हुई है कि इसका उपयोग करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. कचहरी चौक पर बनाए गए मॉड्यूलर टॉयलेट की भी स्थिति ऐसी ही है. आसपास के लोग टॉयलेट में पसरी गंदगी से परेशान हैं.

राजधानी के विभिन्न मॉड्यूलर टॉयलेटों की खराब स्थिति को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने रांची नगर निगम के उप प्रशासक रजनीश कुमार से बात की. इस पर उन्होंने कहा कि राजधानी में कुल 170 यूनिट मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए गए हैं. जिनकी देखरेख की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल कंपनी को दी गई है. उन्होंने बताया कि मॉड्यूलर टॉयलेट की सफाई को लेकर निर्देश देते हुए कहा गया है कि दिन में तीन बार सभी टॉयलेटों की सफाई होनी है. अगर साफ सफाई के निर्देश का पालन नहीं किया जाता है तो कंपनी को दी जाने वाली राशि में कटौती की जाएगी.

रांची नगर निगम के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार मॉड्यूलर टॉयलेट की साफ सफाई के लिए प्रतिमाह डेढ़ से दो करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इतने पैसे मॉड्यूलर टॉयलेट की साफ सफाई में निगम द्वारा खर्च किया जा रहा है तो फिर लोगों को इसका लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है. इस दिशा में नगर निगम ठोस कदम उठाए ताकि चौक चौराहों पर लगे टॉयलेट्स में पसरी गंदगी से परेशान पुलिसकर्मियों और राहगीरों को राहत मिल सके.

इसे भी पढ़ें- कबाड़ में तब्दील हो रहा है लाखों की लागत से बना मॉड्यूलर टॉयलेट, गंदगी और बदबू बनी परेशानी का सबब

रांची के सार्वजनिक मॉड्यूलर टॉयलेट में पसरी गंदगी

रांची: भारत सरकार स्वच्छ भारत अभियान चला रही है ताकि भारत की छवि स्वच्छ देश के रूप में पूरी दुनिया में बन सके. भारत सरकार के प्रयास को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार भी प्रयास करती दिख रही है. लेकिन उनका ये प्रयास कितना सफल हो रहा है इसकी बानगी दिखी राजधानी रांची में. जहां करोड़ों की लागत से बने 170 मॉड्यूलर टायलेट्स की स्थिति बदहाल है.

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स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए झारखंड में सार्वजनिक टॉयलेट बनाए गए हैं. राजधानी की बात करें तो रांची नगर निगम की तरफ से राजधानी के विभिन्न चौक चौराहों पर मॉड्यूलर टॉयलेट लगाए गए हैं. जिससे राजधानी को ओडीएफ फ्री बनाया जा सके. इसके साथ ही लोगों को सुविधा भी मिल सके. लेकिन राजधानी के मॉड्यूलर टॉयलेट की बात करें तो सभी टॉयलेट्स की स्थिति बद से बदतर है.

रांची का मुख्य चौराहा अल्बर्ट एक्का चौक पर लगाए गए दो मॉड्यूलर टॉयलेट की ईटीवी भारत ने पड़ताल की. जिस स्थान पर शौचालय है वहां तक जाना ही मुश्किल है, क्योंकि दूर इसकी दुर्गंध फैली है. टॉयलेट के आसपास काफी गंदगी पसरी है, देखकर ऐसा लग रहा है कि कई-कई दिनों तक इसकी सफाई नहीं की जाती है. आसपास के लोगों से बात करने पता चला कि शौचालय में कभी भी पानी नहीं रहता है और ना ही कभी इसकी सफाी होती है. इस कारण शौचालय के चारों ओर गंदगी पसरी रहती है. गंदगी की वजह से लोग टॉयलेट रहने के बावजूद भी खुले में शौच करने को मजबूर हैं.

अल्बर्ट एक्का चौक पर व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए तैनात पुलिसकर्मियों ने कहा कि टॉयलेट की नियमित सफाई नहीं होने की वजह से ड्यूटी करना मुश्किल हो रहा है. टॉयलेट में पसरी गंदगी की दुर्गंध से पुलिसकर्मी ड्यूटी करना नहीं चाहते हैं. यह हालत सिर्फ अल्बर्ट एक्का चौक की नहीं बल्कि राजधानी के विभिन्न चौक चौराहे पर बने हुए मॉड्यूलर टॉयलेट की है. ईटीवी भारत की टीम ने रातू रोड चौक पर बने मॉड्यूलर टॉयलेट का भी जायजा लिया. इसका उपयोग करने आए लोगों ने कहा कि टॉयलेट के अंदर इतनी गंदगी पसरी हुई है कि इसका उपयोग करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. कचहरी चौक पर बनाए गए मॉड्यूलर टॉयलेट की भी स्थिति ऐसी ही है. आसपास के लोग टॉयलेट में पसरी गंदगी से परेशान हैं.

राजधानी के विभिन्न मॉड्यूलर टॉयलेटों की खराब स्थिति को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने रांची नगर निगम के उप प्रशासक रजनीश कुमार से बात की. इस पर उन्होंने कहा कि राजधानी में कुल 170 यूनिट मॉड्यूलर टॉयलेट बनाए गए हैं. जिनकी देखरेख की जिम्मेदारी सुलभ इंटरनेशनल कंपनी को दी गई है. उन्होंने बताया कि मॉड्यूलर टॉयलेट की सफाई को लेकर निर्देश देते हुए कहा गया है कि दिन में तीन बार सभी टॉयलेटों की सफाई होनी है. अगर साफ सफाई के निर्देश का पालन नहीं किया जाता है तो कंपनी को दी जाने वाली राशि में कटौती की जाएगी.

रांची नगर निगम के कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार मॉड्यूलर टॉयलेट की साफ सफाई के लिए प्रतिमाह डेढ़ से दो करोड़ रुपए खर्च किए जाते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि इतने पैसे मॉड्यूलर टॉयलेट की साफ सफाई में निगम द्वारा खर्च किया जा रहा है तो फिर लोगों को इसका लाभ क्यों नहीं मिल पा रहा है. इस दिशा में नगर निगम ठोस कदम उठाए ताकि चौक चौराहों पर लगे टॉयलेट्स में पसरी गंदगी से परेशान पुलिसकर्मियों और राहगीरों को राहत मिल सके.

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Last Updated : Nov 6, 2023, 7:29 PM IST

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