रांची: राजधानी रांची में मुख्यमंत्री का सरकारी आवास कहां है. इस सवाल का जवाब ज्यादातर लोग दे देंगे. कांके रोड का रास्ता दिखा देंगे. लेकिन जब उसी सीएम आवास के पास खड़ा होकर कैफोर्ड हाउस का पता पूछेंगे तो गिने-चुने लोग ही उसके बारे में बता पाएंगे. क्योंकि आज का सीएम हाउस ही झारखंड बनने से पहले तक कैफोर्ड हाउस के रूप में जाना जाता था. अब यह भवन इतिहास का हिस्सा बनने की ओर अग्रसर है. इस भवन को तोड़कर सीएम के लिए नया भवन बनाने की तैयारी चल रही है. भवन निर्माण विभाग इस काम में जुटा है.
सीएम हाउस रहा है कैफोर्ड हाउस
1853 में बंगाल के लेफ्टिनेंट गवर्नर के प्रिंसिपल एजेंट कमिश्नर एलियन ने इस हाउस की नींव रखी थी. भवन बनने से पहले एलियन का ट्रांसफर हो गया और कैफोर्ड ने पद संभाला. उनके पद संभालते ही भवन निर्माण में तेजी आई और साल भर के अंदर 1854 में ब्रिटिश हुकूमत ने कमिश्नर सिस्टम को इंप्लीमेंट किया और कैफोर्ड को छोटा नागपुर का पहला कमिश्नर बनाया गया. वह इस हाउस में रहने वाले पहले अधिकारी बने. तभी से इस भवन का नाम कैफोर्ड हाउस पड़ा.
सीएम हाउस से जुड़ा है कई मिथक
झारखंड बनने के बाद अस्थायी सरकार बनने की वजह से सीएम के चेहरे बदलते रहे. इसकी वजह से इस हाउस को अशुभ कहा जाने लगा. बात भी सही थी. साल 2014 में रघुवर दास के सीएम बनने से पहले बाबूलाल मरांडी, अर्जुन मुंडा, शिबू सोरेन, मधु कोड़ा ने सीएम की कुर्सी संभाली लेकिन कोई भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया. इस मिथक को तोड़ा सीएम रघुवर दास ने. उन्होंने इस आवास में रहते हुए पांच साल का कार्यकाल पूरा करने का रिकॉर्ड भी बनाया. इससे पहले उन्हें कुछ वास्तु बदलाव करना पड़ा. उन्होंने कांके रोड वाले गेट से आना-जाना करने के बजाए मोरहाबादी वाले गेट का इस्तेमाल किया. वहीं सीएम रहते हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त होने पर अर्जुन मुंडा ने सीएम कैंपस में हनुमान मंदिर का निर्माण करवाया था.
13 जुलाई 2013 को पहली बार सीएम बने हेमंत सोरेन इस आवास में नहीं गये. इसकी एक वजह यह भी रही कि उनका आवास सीएम आवास से सटा हुआ है. एक दीवार का फर्क है. लिहाजा, सीएम हेमंत इस आवास का इस्तेमाल विधायकों की मीटिंग के लिए करते रहे हैं. अब देखना है कि कैफोर्ड हाउस की जगह किस तरह का भवन बनता है. यह भी देखना है कि नया भवन बनने के बाद सीएम के रूप में हेमंत सोरेन उसमें शिफ्ट होते हैं या नहीं.
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