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झारखंड में कोरोना वैक्सीन के 94 हजार डोज बर्बाद, फिर भी सराहना के काबिल, आखिर कैसे ?

झारखंड में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है. वहीं दूसरी तरफ लोगों को टीका लेने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. कई अस्पतालों के गेट पर पर्चा लगा दिया गया है, कि वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. नौबत ऐसी आ गई कि स्वास्थ्य विभाग को यहां-वहां से टीका मंगवाना पड़ रहा है.

Corona Vaccine Sartage in Jharkhand
कोरोना वैक्सीन की कमी
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Published : Apr 5, 2021, 6:11 PM IST

Updated : Apr 5, 2021, 9:42 PM IST

रांची: एक तरफ झारखंड में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है तो दूसरी तरफ लोगों को टीका लेने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. कई अस्पतालों के गेट पर पर्चा लगा दिया गया है, कि वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. रांची में धुर्वा स्थित एचईसी के वेलनेस सेंटर पर लगे पर्चे में लिखा हुआ है 'वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा वैक्सीन सप्लाई नहीं किया जा रहा. इस कारण वैक्सीनेशन बंद रहेगा'. नौबत ऐसी आ गई कि स्वास्थ्य विभाग को यहां-वहां से टीका मंगवाना पड़ रहा है.

इसे भी पढ़ें: झारखंड में तीन दिन में खत्म हो जाएगा वैक्सीन का स्टॉक, रेमडेसिविर उपलब्ध कराने में असम सरकार ने की मदद

अब तक गुमला से 4000, देवघर से 3880 और गढ़वा से एक हजार डोज वापस मंगवाकर जमशेदपुर को 3880, कोडरमा को 4000 और धनबाद को एक हजार डोज मुहैया कराया गया है. इसकी वजह है वैक्सीन की कमी है. स्वास्थ्य सचिव केके सोन का कहना है कि फिलहाल सिर्फ साढ़े तीन लाख डोज उपलब्ध है. सवाल है कि अब तक झारखंड को वैक्सीन का कितना डोज केंद्र सरकार से मिला है और कितना खपत हुआ है. दरअसल, 13 जनवरी 2021 को वैक्सीन की पहली खेप झारखंड पहुंची थी. अब तक झारखंड को कोविशिल्ड का 20,74,760 डोज और कोवैक्सीन का 2,27,760 डोज यानी कुल 23,02,520 डोज उपलब्ध हुआ है. वहीं 4 अप्रैल तक 15,94,804 लोगों को पहला डोज और 2,63,735 लोगों को दूसरा डोज लग चुका है. यानी कुल 18,58,539 लोगों को टीका लगा है. इसकी तुलना में अब सिर्फ 4,43,981 डोज बचा होना चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक सिर्फ साढ़े तीन लाख डोज बचा हुआ है. अब सवाल है कि शेष 93,981 डोज कहां है. दरअसल, वैक्सीनेशन के दौरान वेस्टेज भी होता है। आमतौर पर वैक्सीन के वेस्टेज का राष्ट्रीय औसत 6.5% होता है. इस लिहाज से झारखंड में 5 प्रतिशत से भी कम डोज वेस्टेज हुआ है. इस वजह से 93981 डोज का हिसाब नहीं मिल पाएगा. यानी झारखंड में टीकाकरण का अभियान बहुत सावधानी के साथ चल रहा है. यही वजह है कि झारखंड में राष्ट्रीय औसत से भी कम डोज बर्बाद हुआ है.

झारखंड में कब-कब आई वैक्सीन की खेप

कोरोना वैक्सीनेशन अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ था. तब सिर्फ हेल्थ कोयर वर्कर्स को टीका लग रहा था. बाद के दिनों में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, 45 साल से ज्यादा उम्र के वैसे लोग जो दूसरी बीमारियों से ग्रसित थे को टीका लगना शुरू हुआ. साथ ही कोरोना वारियर्स को भी इससे जोड़ा गया. 1 अप्रैल से 45 साल से ज्यादा उम्र के सामान्य लोगों को भी टीका देना शुरू किया गया. इसकी वजह से टीका लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ, लेकिन उसकी तुलना में टीका उपलब्ध नहीं हुआ. झारखंड में 13 जनवरी 2021 को कोविशिल्ड, 20 जनवरी को कोविशिल्ड, 23 जनवरी को कोवैक्सीन, 8 फरवरी को कोवैक्सीन, 11 फरवरी को कोविशिल्ड, 25 फरवरी को कोविशिल्ड, 8 मार्च को कोवैक्सीन, 15 मार्च को कोविशिल्ड, 24 मार्च को कोवैक्सीन, 26 मार्च को कोविशिल्ड और 1 अप्रैल को कोविशिल्ड की खेप आई थी. फिलहाल झारखंड को टीका की बेहद जरूरत है. इस दिशा में अगर केंद्र सरकार ने अपेक्षित सहयोग नहीं किया तो झारखंड के लोगों को भारी मुसीबत उठानी पड़ सकती है.

रांची: एक तरफ झारखंड में तेजी से कोरोना का संक्रमण फैल रहा है तो दूसरी तरफ लोगों को टीका लेने के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. कई अस्पतालों के गेट पर पर्चा लगा दिया गया है, कि वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. रांची में धुर्वा स्थित एचईसी के वेलनेस सेंटर पर लगे पर्चे में लिखा हुआ है 'वर्तमान में राज्य सरकार द्वारा वैक्सीन सप्लाई नहीं किया जा रहा. इस कारण वैक्सीनेशन बंद रहेगा'. नौबत ऐसी आ गई कि स्वास्थ्य विभाग को यहां-वहां से टीका मंगवाना पड़ रहा है.

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अब तक गुमला से 4000, देवघर से 3880 और गढ़वा से एक हजार डोज वापस मंगवाकर जमशेदपुर को 3880, कोडरमा को 4000 और धनबाद को एक हजार डोज मुहैया कराया गया है. इसकी वजह है वैक्सीन की कमी है. स्वास्थ्य सचिव केके सोन का कहना है कि फिलहाल सिर्फ साढ़े तीन लाख डोज उपलब्ध है. सवाल है कि अब तक झारखंड को वैक्सीन का कितना डोज केंद्र सरकार से मिला है और कितना खपत हुआ है. दरअसल, 13 जनवरी 2021 को वैक्सीन की पहली खेप झारखंड पहुंची थी. अब तक झारखंड को कोविशिल्ड का 20,74,760 डोज और कोवैक्सीन का 2,27,760 डोज यानी कुल 23,02,520 डोज उपलब्ध हुआ है. वहीं 4 अप्रैल तक 15,94,804 लोगों को पहला डोज और 2,63,735 लोगों को दूसरा डोज लग चुका है. यानी कुल 18,58,539 लोगों को टीका लगा है. इसकी तुलना में अब सिर्फ 4,43,981 डोज बचा होना चाहिए, लेकिन स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक सिर्फ साढ़े तीन लाख डोज बचा हुआ है. अब सवाल है कि शेष 93,981 डोज कहां है. दरअसल, वैक्सीनेशन के दौरान वेस्टेज भी होता है। आमतौर पर वैक्सीन के वेस्टेज का राष्ट्रीय औसत 6.5% होता है. इस लिहाज से झारखंड में 5 प्रतिशत से भी कम डोज वेस्टेज हुआ है. इस वजह से 93981 डोज का हिसाब नहीं मिल पाएगा. यानी झारखंड में टीकाकरण का अभियान बहुत सावधानी के साथ चल रहा है. यही वजह है कि झारखंड में राष्ट्रीय औसत से भी कम डोज बर्बाद हुआ है.

झारखंड में कब-कब आई वैक्सीन की खेप

कोरोना वैक्सीनेशन अभियान 16 जनवरी को शुरू हुआ था. तब सिर्फ हेल्थ कोयर वर्कर्स को टीका लग रहा था. बाद के दिनों में 60 साल से ज्यादा उम्र के बुजुर्ग, 45 साल से ज्यादा उम्र के वैसे लोग जो दूसरी बीमारियों से ग्रसित थे को टीका लगना शुरू हुआ. साथ ही कोरोना वारियर्स को भी इससे जोड़ा गया. 1 अप्रैल से 45 साल से ज्यादा उम्र के सामान्य लोगों को भी टीका देना शुरू किया गया. इसकी वजह से टीका लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ, लेकिन उसकी तुलना में टीका उपलब्ध नहीं हुआ. झारखंड में 13 जनवरी 2021 को कोविशिल्ड, 20 जनवरी को कोविशिल्ड, 23 जनवरी को कोवैक्सीन, 8 फरवरी को कोवैक्सीन, 11 फरवरी को कोविशिल्ड, 25 फरवरी को कोविशिल्ड, 8 मार्च को कोवैक्सीन, 15 मार्च को कोविशिल्ड, 24 मार्च को कोवैक्सीन, 26 मार्च को कोविशिल्ड और 1 अप्रैल को कोविशिल्ड की खेप आई थी. फिलहाल झारखंड को टीका की बेहद जरूरत है. इस दिशा में अगर केंद्र सरकार ने अपेक्षित सहयोग नहीं किया तो झारखंड के लोगों को भारी मुसीबत उठानी पड़ सकती है.

Last Updated : Apr 5, 2021, 9:42 PM IST
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