रांची: कोरोना काल में बेरोजगार हो रहे लोगों के लिए 14 अगस्त 2020 को शुरू की गई मुख्यमंत्री श्रमिक योजना का लाभ अब ग्रामीण इलाके के साथ- साथ शहरी इलाके के लोगों को भी मिलने लगा है. मनरेगा के तर्ज पर शुरू की गई इस योजना के तहत राज्य के 51 नगर निकायों में निवास करने वाले गरीबों और श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराना इसका मुख्य उदेश्य है. इस योजना से शहरी जनसंख्या के गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे करीब 31 प्रतिशत लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है.
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रोजगार नहीं मिलने पर मिलेगा भत्ता
मुख्यमंत्री श्रमिक योजना से पांच लाख से अधिक शहरी गरीब परिवार लाभान्वित हो रहे हैं. इस योजना में रोजगार मिलने की गारंटी है. श्रमिकों को निबंधन के साथ 15 दिन के अंदर रोजगार देना है. ऐसा नहीं होने की स्थिति में लाभुक को बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा. जारी आंकड़ों के मुताबिक योजना शुरू होने के आठ महीने बाद 25 हजार 515 आवेदन श्रमिकों के मिले हैं, जिसमें से 18 हजार 983 जॉब कार्ड श्रमिकों को दिए गए हैं. 2797 श्रमिकों ने सरकार से काम मांगा और 2407 शहरी श्रमिकों को कार्य का आवंटन भी हुआ. सबसे अधिक 4779 धनबाद और रांची से 1882 आवेदन काम की मांग से संबंधित प्राप्त हुए हैं. कार्य की मांग करने वाले सभी श्रमिकों को अमृत योजना के तहत आधारभूत संरचना निर्माण, सड़क, नाली निर्माण, पौधारोपण, पार्क सौंदर्यीकरण, स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता कार्य, नदी तालाब सौंदर्यीकरण कार्य, प्रधानमंत्री शहरी आवास योजना के तहत भवन निर्माण कार्य, वर्षा जल संचयन, निर्माण कार्य और अन्य विभागों के ओर से विकास क्षेत्र में संचालित विभिन्न योजनाओं में कार्य उपलब्ध कराया जा रहा है.
इन्हें मिलेगा लाभ
यदि किसी शहरी अकुशल श्रमिक की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है, तो मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के तहत वो निःशुल्क जॉब कार्ड, एक वित्तीय वर्ष में अधिकतम 100 दिनों की रोजगार गारंटी और काम की मांग के 15 दिनों के अंदर अपने निकाय क्षेत्र में ही रोजगार प्राप्त कर सकते हैं. वैसे ग्रामीण श्रमिक जो मजदूरी करने शहर आते हैं और जिनका मनरेगा जॉब कार्ड नहीं है, वे भी इस योजना का लाभ ले सकते हैं. निःशुल्क जॉब कार्ड प्रज्ञा केंद्र, स्वंय के ओर से ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से, सीआरपी दीदी या निकाय कार्यालय में लिखित आवेदन देकर प्राप्त किया जा सकता है.