रांची: राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स को वर्ष 2004 से ही दिल्ली एम्स की तर्ज पर विकसित करने की कोशिशें लगातार होती रही है लेकिन कई बार इस अस्पताल के डॉक्टरों, नर्सों और कर्मियों के चलते यह सवाल उठता है कि क्या वास्तव में राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल एम्स बन पाएगा.
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मरीज के प्रति नहीं दिखी संवेदना
बुधवार को रिम्स में इमरजेंसी के पास मुख्य गेट पर जो दृश्य दिखा उसने एक बार फिर यह सोचने को मजबूर कर दिया कि क्या रिम्स के कर्मचारियों में संवेदना मर गई है. दरअसल, तेज दर्द के चलते एक युवक खुद से खड़ा होने तक की स्थिति में नहीं था. उसके परिजन जब उसे सहारा देकर उठाने की कोशिश करते तो दर्द के चलते उसकी चीख निकल रही थी. वहां रिम्स के कुछ कर्मचारी भी थे. इसके बावजूद किसी कर्मचारी ने व्हील चेयर तो दूर पास में रखा स्ट्रेचर भी देना उचित नहीं समझा.
मरीजों के परिजन ने रिम्स की व्यवस्था से निराश होकर कहा कि कई बार गुहार लगाने के बावजूद किसी ने उनकी नहीं सुनी. एक व्हील चेयर तक उपलब्ध नहीं हुआ. किसी तरह वह मरीज को दिखा कर लौट रहे हैं. जब रिम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा को यह बात बताई गई और इसको लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह काफी दुखद मामला है. इस मामले में दोषियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी.