रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव में 'दलबदलू' और 'खामोश' राजनेता सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के उम्मीदवारों का 'विजय रथ' रोकने में काफी अहम भूमिका निभा सकते हैं. दरअसल, यह दो श्रेणी वैसे नेताओं की है, जिन्होंने टिकट नहीं मिलने के बाद अपना दल छोड़कर दूसरे राजनीतिक दल में ठौर तलाश ली. वहीं, दूसरी तरफ खामोश राजनेता वैसे कथित उम्मीदवारों की है जिन्हें उनके दल ने मौका नहीं दिया और वह साइलेंट हो गए हैं.
बीजेपी, कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा समेत सभी राजनीतिक दलों में ऐसे 'दल बदलू' और 'साइलेंट' नेताओं की बड़ी संख्या है. शुरुआत अगर सत्तारूढ़ बीजेपी से करें तो पार्टी ने पिछले 5 साल में बीजेपी ज्वाइन करने वाले एक दर्जन विधायकों को टिकट दिया है. वहीं, आजसू भी इसी कतार में शामिल है, जिसने बीजेपी और झारखंड मुक्ति मोर्चा से आने वाले नेताओं को विधानसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार बनाने का फैसला किया है.
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कुछ का कटा टिकट और कुछ ने पाला बदला
सत्तारूढ़ बीजेपी में 11 सिटिंग विधायकों का टिकट काटा गया है. वहीं, कुछ सीटें ऐसी हैं जहां नए चेहरे मैदान में उतारे गए हैं. जिन सिटिंग विधायकों का टिकट कटा है उनमें 5 एसटी सीट है. वहीं, उनमें से एक ने बीजेपी छोड़ आजसू का दामन थाम लिया है. नए चेहरों की बात करें तो बीजेपी ने 17 नए प्रत्याशी उतारे हैं, उनमें छतरपुर से पुष्पा देवी समेत अन्य 16 शामिल हैं.
सभी दल बदलू भी होंगे चुनावी समर में उम्मीदवार
विपक्षी दल की बात करें तो जेएमएम के 2 विधायक कुणाल सारंगी और जेपी पटेल ने पाला बदला है और बीजेपी में शामिल हो गए. कांग्रेस से भी दो विधायक, बरही से मनोज यादव और लोहरदगा से सुखदेव भगत भी बीजेपी में शामिल हो गए हैं. वहीं, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा के सांसद रहे प्रदीप बलमूचू भी आजसू में शामिल हो गए हैं. जबकि जेएमएम के पूर्व विधायक अकील अख्तर और बीजेपी के निवर्तमान विधायक राधा कृष्ण किशोर भी आजसू खेमे में शामिल हो गए हैं. साथ ही पक्ष और विपक्ष के कई ऐसे नेता हैं जिन्हें टिकट की आस लगा रखी थी और उन्हें मौका नहीं मिला है वह खामोश हो गए हैं. हैरत की बात यह है कि अपना दल छोड़कर दूसरे दल में शामिल होंने वाले सभी वैसे नेता चुनावी मैदान में हैं.
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इन विधानसभा क्षेत्रों पर पड़ सकता है असर
प्रदेश के 81 में से कम से कम एक दर्जन ऐसे विधानसभा इलाके हैं जहां इन 'दलबदलू' और 'साइलेंट' राजनेता अपना प्रभाव डाल सकते हैं. उनमें मांडू, लोहरदगा, बहरागोड़ा, चंदनक्यारी, छतरपुर, घाटशिला, गुमला, मांडर समेत कुछ अन्य विधानसभा शामिल हैं.
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क्या मत है राजनीतिक दल से जुड़े नेताओं का
इस बाबत बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव साफ तौर पर कहते हैं कि उनकी पार्टी अनुशासन वाली पार्टी है. ऐसे में जिन्हें टिकट नहीं मिला उन्हें थोड़ी देर तक तकलीफ होती है, लेकिन उसके बाद वह समर्पित कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय हो जाते हैं. उन्होंने कहा जहां विचारधारा की बात होती है वहां व्यक्ति मौन हो जाता है. वहीं, झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि चुनाव में वैसे नेताओं की मौजूदगी से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यकर्ता अभी भी नीति और सिद्धांतों के हिसाब से काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि पूरा चुनाव गठबंधन के साथ लड़ा जाएगा.