रांची: शिक्षा विभाग के सभी पदाधिकारियों, शिक्षा मंत्री और निजी स्कूल एसोसिएशन के बैठक के दौरान जो निर्णय आया है. उसके खिलाफ अभिभावक मंच के अध्यक्ष अजय राय ने न्यायालय की शरण में जाने की बात कही है. उन्होंने कहा है कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग अभिभावकों के साथ खेल रही है और यह अभिभावकों के अधिकार का हनन है, निजी स्कूलों के सामने शिक्षा मंत्री ने आत्मसमर्पण कर दिया है.
झारखंड में प्राइवेट स्कूलों ने अभिभावकों से सिर्फ ट्यूशन फी लेने पर सहमति जताई है. वैश्विक कोरोना महामारी के जंग के कारण पूरा देश लॉकडाउन था. इस दौरान सभी स्कूल और शिक्षण संस्थान बंद था. झारखंड में भी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों की मांग थी कि उन्हें भी सरकार राहत देने के लिए स्कूल फी माफ करे, जिसपर पिछले 2 महीनों से ज्यादा समय से विवाद चल रहा था, जहां निजी स्कूल प्रबंधन किसी भी कीमत पर फीस माफ करने को तैयार नही थे, वहीं राज्य के शिक्षा मंत्री के फीस माफी के आह्वान को भी निजी स्कूल प्रबंधन ने दरकिनार कर अभिभावकों पर फीस जमा करने को लेकर लगातार दवाब बना रहे थे, जिसके बाद सूबे के शिक्षा मंत्री ने इस समस्या का निदान निकालने के लिए निजी स्कूल एसोसिएशन और विभिन्न अभिभावक संगठनों के साथ वार्ता करने की कोशिश कर रहे थे. मंगलबार को विभिन्न अभिभावक संगठनों और निजी स्कूल एसोसिएशन के साथ शिक्षा मंत्री ने अलग-अलग बैठक कर रास्ता निकालने की कोशिश की. मंत्री ने कहा की इसका रास्ता निकल आएगा. वहीं अभिभावक संगठन ने भी इस वार्ता को सकारात्मक बताते हुए सभी फीस माफी की उम्मीद जताई, लेकिन निजी स्कूल एसोसिएशन ने वार्ता के बाद लॉकडाउन के अवधि का केवल ट्यूशन फीस लेने की बात कही.
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अभिभावक मंच ने कहा कि साफ तौर पर लग रहा है की सरकार ने सूबे के आम आदमियों के कंधे पर ट्यूशन फीस का बोझ डालते हुए निजी स्कूलों की लॉबी के सामने हथियार डाल दिया है. अभिभावक मंच के झारखंड चैप्टर के अध्यक्ष अजय राय ने इसे झारखंड के अभिभावकों के साथ धोखा बताते हुए इस मामले को लेकर न्यायालय की शरण में जाने की बात कही है.