रांची: शीतकालीन सत्र के दौरान जहां सदन में विपक्ष का हमला सरकार झेल रही थी वहीं दूसरी ओर सड़क पर पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक सरकार को खरी- खोटी सुनाने में जुटे थे. कई महीनों से राजभवन के समक्ष आंदोलन कर रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ से जुड़े बड़ी संख्या में कर्मी सोमवार 18 दिसंबर को विधानसभा घेरने पहुंचे हुए थे.
हालांकि, विधानसभा से पहले जगन्नाथ मंदिर के समीप पुलिस कर्मियों के द्वारा लगाई गई घेराबंदी की वजह से उन्हें रुकना पड़ा. पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक के आंदोलन को देखते हुए प्रशासन के द्वारा भारी संख्या में पुलिस वालों की तैनाती की गई थी, जिस वजह से इन आंदोलनकारी को आगे जाने से रुकना पड़ा. अपनी मांगों के समर्थन में सरकार पर दबाव बनाने में जुटे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक संघ से जुड़े लोगों ने इस दौरान सरकार विरोधी नारे लगाए और सरकार की जमकर आलोचना की.
आंदोलन कर रहे पंचानन कहते हैं कि पिछली सरकार ने हमें नियोजित किया और इस सरकार ने हमें सड़क पर ला दिया. जिस उम्मीद के साथ राज्य में यह सरकार बनी वह पूरी तरह से विफल साबित हो रही है. कई महीनों से राजभवन के समक्ष हमारा आंदोलन जारी है मगर वार्ता के लिए कोई भी सरकारी प्रतिनिधि अब तक पहल नहीं की है. ऐसे में राज्य के हजारों पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक सरकार से यह पूछना चाहते हैं कि आखिर उनका दोष क्या है.
आंदोलनकारी प्रभात भूषण कहते हैं कि सचिवालय स्वयंसेवक के एक-एक लोगों का लाखों रुपया सरकार के पास बकाया है. इसे देने का काम नहीं किया जा रहा है, जबकि पिछली सरकार में निर्धारित मानदेय समय पर मिल जाता था, ऐसे में पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक की नाराजगी जायज है और सरकार अविलंब इनकी मांगों पर विचार करके समाधान करे.
18 हजार स्वयंसेवक कई महीनों से कर रहे हैं आंदोलन: रघुवर सरकार में राज्य में हर पंचायत में सचिवालय स्वयंसेवक की नियुक्ति की गई थी, जिनकी संख्या करीब 18,000 है. शुरू के समय में सरकार की योजनाओं को जमीन पर उतरने के लिए इन्हें मानदेय का समय पर भुगतान हो जाता था. मगर राज्य में जैसे ही सरकार बदली कामकाज के तौर तरीके भी बदल गए और पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक की परेशानी भी बढ़ गई. आंदोलन कर रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक स्थायीकरण के साथ पांच विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
ये भी पढ़ें-