रांचीः झारखंड के 24 में से 16 जिलों में जहां इन दिनों डेंगू का प्रकोप फैला है, वहीं दूसरी तरफ पिछले सप्ताह पूर्वी सिंहभूम में चिकनगुनिया के 10 कंफर्म केस ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है. राज्य में इस वर्ष 1761 संदेहास्पद रोगियों की जांच में 131 सैंपल में चिकनगुनिया की पुष्टि हो चुकी है. इस वर्ष 28 अगस्त तक के आंकड़े के अनुसार सबसे अधिक 51 चिकनगुनिया के मामले पूर्वी सिंहभूम में मिले हैं. जबकि रांची में 31, रामगढ़ में 08, सरायकेला खरसावां में चिकनगुनिया के 10 कंफर्म केस मिले हैं. अन्य जिले जैसे बोकारो, देवघर, दुमका, गिरिडीह, जामताड़ा में चिकनगुनिया के एक-एक कंफर्म केस मिले हैं. वहीं चतरा, गोड्डा, खूंटी, लोहरदगा, पलामू और पश्चिम सिंहभूम में चिकनगुनिया के दो-दो केस मिल चुके हैं. वहीं गुमला और कोडरमा में चिकनगुनिया के तीन-तीन केस इस वर्ष मिल चुके हैं. वहीं धनबाद, हजारीबाग में चिकनगुनिया के चार-चार केस की पुष्टि हो चुकी है.
कैसे फैलता है चिकनगुनियाः सदर अस्पताल रांची के पूर्व उपाधीक्षक और जनरल फिजिशियन डॉ एके झा कहते हैं कि चिकनगुनिया भी मच्छरों के काटने से फैलने वाला एक विषाणु जनित रोग है. इसके भी लक्षण कमोबेश डेंगू के समान ही होते हैं. डॉ ए के झा ने बताया कि चिकनगुनिया वायरस की वजह से संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार, जोड़ों में तेज दर्द, सिर में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, शरीर पर लाल रेशेनुमा दाग और पाचन तंत्र में गड़बड़ी जैसे लक्षण हो सकते हैं. उन्होंने बताया कि सामान्यतः चिकनगुनिया जीवन के लिए घातक नहीं होने के बावजूद खतरनाक इसलिए है, क्योंकि यह पीड़ित व्यक्ति को असहनीय पीड़ा देने के साथ-साथ उसकी कार्य क्षमता को भी प्रभावित करता है. क्योंकि वायरस के संक्रमण से मुक्त होने के बावजूद लंबे दिनों तक शरीर खास कर कोहनी, घुटनों, कमर में तीव्र दर्द बना रहता है.
चिकित्सक ने फोन पर बातचीत करते हुए ईटीवी भारत को बताया कि वायरल डिजीज चिकनगुनिया की जांच के लिए RTPCR टेस्ट किया जाता है. लक्षण के आधार पर दवाएं दी जाती हैं और मरीज संक्रमण मुक्त हो जाता है. उन्होंने कहा कि कई केस में लक्षण खासकर शरीर का दर्द जाने में लंबा समय लग जाता है. डॉ एके झा ने कहा कि जब भी चिकनगुनिया के लक्षण दिखे या तेज बुखार के साथ शरीर में खासकर जोड़ो में दर्द हो तो तत्काल नजदीकी अस्पताल जाकर योग्य चिकित्सक की सलाह से इलाज कराना चाहिए.
स्वास्थ्य महकमा भी अलर्टः डेंगू और चिकनगुमिया के बढ़ते मामले को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग भी पूरी तरह चौकस है. लोगों से मच्छर से बचाव के सभी साधनों का उपयोग करने का आग्रह किया जा रहा है. वहीं सभी जिले के सिविल सर्जन को विशेष निर्देश जारी किए गए हैं. जिन इलाकों में डेंगू या चिकनगुनिया के संदिग्ध मरीज मिले हैं उस इलाके में एंटी लार्वा का छिड़काव सुनिश्चित करने को कहा गया है. अभियान चलाकर संदिग्धों की जांच, लार्वा रोधी दवाओं का छिड़काव, घरों और आसपास इलाकों में जमा पानी को हटाया जा रहा है. साथ ही बर्तनों,टायरों ,गमलों को साफ करवाने की एक्टिविटी भी नगर निगम की सहायता से स्वास्थ्य विभाग चला रहा है.
साफ जमा पानी में पनपता है एडीस का मच्छरः चिकनगुनिया की बीमारी भी एडीज एजिप्टी मच्छर और एलबो पिक्ट्स मच्छर के काटने से फैलता है. ये मच्छर साफ जमा पानी में ही पनपते हैं. इसलिए साफ-सफाई, घर के आसपास, छत पर पानी जमा नहीं होने देने और मच्छरों से बचाव कर इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है. राज्य में वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के स्टेट नोडल हेड डॉ बीके सिंह ने बताया कि डेंगू के मुकाबले चिकनगुनिया के मामले कम जरूर मिले हैं, लेकिन पिछले सप्ताह जमशेदपुर में 10 कंफर्म केस मिलने के बाद विभाग चिकनगुनिया को लेकर भी चौकस है. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े के अनुसार वर्ष 2023 में 28 अगस्त तक चिकनगुनिया के 1761 संदेहास्पद रोगियों के सैम्पल की जांच में 131 कन्फर्म केस मिले हैं. अभी भी राज्य में चिकनगुनिया के 10 एक्टिव केस हैं.