रांची: भारत सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमत को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं, इसलिए राज्य के थोक बाजार में प्याज की कीमत में 12 से 15 रुपये प्रति किलो की कमी आई है. लेकिन क्या इस कमी का असर उन ग्राहकों पर पड़ेगा, जो सब्जी मंडी से एक किलो और आधा किलो प्याज खरीदते हैं?
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राजधानी रांची की सब्जी मंडियों में प्याज की स्थिति जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने अरगोड़ा सब्जी मंडी का जायजा लिया. जब ईटीवी भारत की टीम मंडी पहुंची तो पता चला कि दुकानदारों ने प्याज की खुदरा कीमत में कोई कटौती नहीं की है. जहां थोक प्याज बाजार में प्याज 35 रुपये प्रति किलो बिका, वहीं खुदरा सब्जी बाजार में प्याज की कीमत दोगुनी होकर 70 रुपये प्रति किलो हो गई है. पहले से ही अनाज की बढ़ती कीमतों से परेशान जनता को थोक बाजार में प्याज की कीमतों में कमी का कोई फायदा नहीं मिल रहा है. रांची की ज्यादातर खुदरा सब्जी मंडियों में प्याज की कीमत 55 रुपये प्रति किलो से 80 रुपये प्रति किलो के बीच है.
लोगों को अभी भी खरीदना पड़ रहा महंगा प्याज: अरगोड़ा सब्जी मंडी में सब्जी खरीदने आयी चांदनी देवी ने कहा कि उन्हें अभी भी महंगा प्याज खरीदना पड़ रहा है. सरकार को जनता को राहत देने के लिए कदम उठाना चाहिए. थोक बाजार में प्याज की कीमत कम होने के बावजूद खुदरा बाजार में कीमत कम नहीं होने को सब्जी विक्रेता उर्मीला देवी और रेशमा देवी ने सही ठहराते हुए कहा कि वे खुद प्याज की खरीद नहीं करती हैं. बल्कि बीच में और भी व्यापारी हैं, जिनसे हम प्याज खरीदते और बेचते हैं.'
प्याज की भिन्न-भिन्न कीमतों से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. मुनाफाखोरी का भी आरोप लगाया जा रहा है. लोगों का आरोप है कि मुनाफाखोरी के कारण थोक बाजार में प्याज के दाम कम होने के बाद भी खुदरा बाजार में कीमतों में कोई कमी नहीं आई है.