रांची: झारखंड में चल रही है हेमंत सरकार के सहयोगी दलों ने जो रणनीति तैयार की है उसके अनुसार लोकसभा चुनाव में हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा एक सीट पर चुनाव लड़ेगी. झारखंड की राजनीति में सीट बंटवारे को लेकर के जिस तरीके से हेमंत गठबंधन के सहयोगियों ने सीटों का ऐलान किया है उसे 14 लोकसभा सीटों वाले राज्य में सिर्फ एक सीट ही बच रही है, जो झारखंड मुक्ति मोर्चा के खाते में जाएगी.
9 सीट का एलान कर चुकी है कांग्रेस: हेमंत गठबंधन के अहम सहयोगी दल कांग्रेस पार्टी ने झारखंड लोकसभा चुनाव में कुल 9 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. झारखंड कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की कई बार इस बात को कह चुके हैं कि कांग्रेस झारखंड के 9 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. पार्टी ने इसके लिए तैयारी भी शुरू कर दी है. वहीं कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध कांत सहाय ने भी इस बात को सार्वजनिक मंच से कहा है, कि झारखंड में हेमंत सोरेन बड़े भाई की भूमिका में होंगे लेकिन कांग्रेस झारखंड की कुल 9 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी.
4 सीटों पर राजद के दावा: झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल ने भी झारखंड में लोकसभा चुनाव को लेकर चार सीटों पर तैयारी शुरू की है. पार्टी के लोग लगातार इस बात को हर मंच से कह रहे हैं कि लोकसभा की चार सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल चुनाव लड़ेगी. झारखंड इकाई के नेता कहते हैंं कि इसके लिए पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से भी अनुमति ले ली गई है. पटना में इस बात को लेकर के चर्चा हुई है कि राष्ट्रीय जनता दल झारखंड की चार सीटों पर चुनाव लड़ेगा. साथ ही यह भी कहा गया है कि चार सीटों पर झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल अपनी चुनावी तैयारी में जुट गया है.
1 सीट हेमंत के लिए: झारखंड में चल रही गठबंधन की सरकार में शामिल राजनीतिक दलों ने लोकसभा चुनाव की सीटों का जिस तरीके से बंटवारा किया है उसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए सिर्फ एक सीट बच रही है. झारखंड में कुल 14 लोकसभा सीट हैं. अपसी बंटवारे में 9 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. चार सीटों पर राष्ट्रीय जनता दल ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है. ऐसे में 13 सीटें राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस ने अपने कोटे में रख ली है. सहयोगियों के बंटवारे की बात करें तो लोकसभा के सीटों की संख्या के आधार पर सिर्फ एक सीट झारखंड मुक्ति मोर्चा के लिए बच रही है.
बयानों का कोई मतलब नहीं: हालांकि सीट बंटवारे की बात और चल रही चर्चा को लेकर के झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह बताया की सीट बटवारा किसी भी व्यक्ति के कहने पर फाइनल नहीं होता है. बयान देने के लिए लोग चाहे जो बयान दें लेकिन सीटों का बंटवारा शीर्ष नेताओं के साथ बैठ करके टाइम होगा. ऐसे में जो भी बयान झारखंड में राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के नेता दे रहे हैं इसका कोई मतलब नहीं है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि छोटे नेताओं के बयान पर झारखंड मुक्ति मोर्चा कोई तबज्जो भी नहीं देता है.
झारखंड में सीट बटवारे की राजनीति को लेकर के वरिष्ठ राजनीतिक समीक्षक पत्रकार रंजीत कुमार का कहना है कि इस तरह की प्रैक्टिस कार्यकर्ता लगातार करते रहते हैं. गठबंधन में सीटों के बंटवारे वाली राजनीति में बहुत सारे कार्यकर्ता जो चुनाव लड़ने का सपना सजाए रहते हैं उनकी बलि चढ़ जाती है. क्योंकि पार्टी मजबूत करने के नाम पर सभी राजनीतिक दल जमीन और जनाधार को मजबूत करने की बात तो करते हैं, लेकिन चुनाव के समय में समझौते की जो राजनीति हो जाती है उसमें तैयारी कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को मायूसी हाथ लगती है. उन्होंने कहा कि झारखंड में कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने सीटों को लेकर अपनी जो ताल ठोकी है, उसे एक बात तो साफ है गठबंधन में किसी एक मुद्दे पर विभेद है.
पार्टी से कार्यकर्ताओं को पार्टी मजबूत करने का टास्क मिलता है. कार्यकर्ता पार्टी मजबूत करने में जुट जाते हैं, उम्मीद यही रहती है कि चुनाव लड़ेंगे लेकिन गठबंधन के समझौते की धर्म वाली राजनीति में यही कार्यकर्ता मारे भी जाते हैं. सीट दूसरे पार्टी को चली जाती है इनकी पूरी तैयारी पर पानी फिर जाता है. जो चर्चा दोनों दलों ने शुरू की है उसमें वे सभी नेता अपनी बात को पहले से ही रख रहे हैं उनकी तैयारी जोरो से है और पार्टी तैयारी क्यों कर रही है. उन्होंने कहा कि जब सीट बंटवारे की बात शुरू हुई है और लगातार इस तरह के बयान भी आ रहे हैं तो पार्टी के शीर्ष नेताओं को बैठकर एक बार चर्चा जरूर कर लेनी चाहिए. क्योंकि इससे महागठबंधन के आंतरिक समन्वय पर भी असर पड़ेगा और विपक्ष को हमला बोलने का मौका भी मिलता रहेगा.