रांचीः ईडी ने खनन लीज मामले (Mining lease case) में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 17 नवंबर को पूछताछ के लिए दफ्तर आने का दूसरी बार समन भेजा है (ED Summons CM Hemant Soren). सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसके बाद फिर से झामुमो के नेता और कार्यकर्ता रांची में महाजुटान की तैयारी (Preparation for Mahajutan) में जुट गए हैं. यह और बात है कि पार्टी की ओर से इसकी अधिकृत जानकारी कोई नेता नहीं दे रहे हैं, लेकिन अंदर ही अंदर यह तैयारी चल रही है.
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इसके पहले तीन नवंबर को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईडी ने भेजा था समनः इसके पहले तीन नवंबर को ईडी (Enforcement Directorate) ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को समन भेजा था. जिसके बाद मुख्यमंत्री की ओर से व्यस्त शिड्यूल का हवाला देकर समय की मांग की गई थी. वहीं तीन नवंबर को झामुमो के नेताओं का रांची में महाजुटान (JMM Mahajutan) हुआ था. जहां सड़क पर हजारों झामुमो नेताओं और कार्यकर्ताओं की उपस्थिति में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने हुंकार भरी थी.
अलग-अलग जिले से झामुमो के नेता और कार्यकर्ता 17 को पहुंचेंगे रांची के मोरहाबादी मैदानः सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अलग-अलग जिले से झामुमो के नेता और कार्यकर्ता रांची पहुंचेंगे और मोरहाबादी मैदान में 17 नवंबर को महाजुटान होगा. उसके बाद आगे की कार्य योजना की जानकारी दी जाएगी. सूत्र बताते हैं कि संभव है कि इस बार मोरहाबादी मैदान में ही बड़ा महाजुटान होगा. वहीं से जनता तक यह बात पहुंचायी जाएगी कि किस तरह राज्य में लोकतांत्रिक तरीके से जीतकर आयी एक लोकप्रिय सरकार को भाजपा और केंद्र की सरकार अस्थिर करने पर तुली है.
केंद्र के इशारे पर की जा रही कार्रवाई: झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता पहले से ही ईडी की कार्रवाई को केंद्र के इशारे पर की जा रही कार्रवाई बताते हुए इसका हर मोर्चे पर विरोध करने की बात कहते रहे हैं. इस संबंध में झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता और केंद्रीय समिति सदस्य मनोज पांडे से जब Etv भारत ने महाजुटान को लेकर सवाल किया तो उन्होंने फोन पर सिर्फ इतना कहा कि 17 और 18 नवंबर को महाजुटान रांची के मोरहाबादी में होगा. बताया कि पहले 16 नवंबर को रांची में कार्यक्रम तय था. जिसे स्थगित कर अब 17 और 18 तारीख कर दिया गया है. उन्होंने बताया कि केंद्र के खिलाफ झामुमो का महाजुटान कार्यक्रम है.
भाजपा पर लगाया राज्य सरकार को अस्थिर करने का आरोपः पूर्व में भी झामुमो नेता कहते रहे हैं कि जब भी हम अपना हक और अधिकार मांगते हैं और राज्य के विकास के लिए जनकल्याणकारी योजना लाते हैं, तब भाजपा राज्य सरकार को अस्थिर करने में लग जाती है. राज्य में एक आदिवासी के बेटे को मुख्यमंत्री के रूप में भाजपा सहन नहीं कर पा रही है. इसलिए षड्यंत्र कर के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को परेशान किया जा रहा है.