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कोरोना पर राजनीति शुरू, स्वास्थ्य मंत्री ने केंद्र से मांगी राशि, बीजेपी ने कहा- दिल्ली से मिले पैसे खर्च नहीं कर पाती झारखंड सरकार

देश में एक बार फिर से कोरोना की रफ्तार बढ़ने की आशंका (Fear of increasing the speed of Corona) जताई जा रही है. स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट किया जा रहा है. इस बीच केंद्र और राज्यों के बीच योगदान को लेकर भी राजनीति शुरू हो गई है.

Fear of increasing the speed of Corona
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Published : Dec 24, 2022, 8:37 PM IST

Updated : Dec 24, 2022, 10:25 PM IST

मंत्री और नेताओं के बयान

रांची: झारखंड में राजनीति करने का कोई भी मौका नेता चूकते नहीं है. अब जब कोरोना के वैरियंट ओमिक्रोन के नए सब वैरियंट BF.7 (Omicron new sub variant BF7) से संक्रमण बढ़ने की संभावना है तो इधर कोरोना के बहाने राजनीति भी तेज हो गयी है.

ये भी पढ़ें- कोरोना को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया की हाई लेवल बैठक, बन्ना गुप्ता ने मांगे बकाया 110 करोड़ रुपये

स्वास्थ्य मंत्री पर बीजेपी हमलावर: शुक्रवार को जैसे ही झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता (Health Minister Banna Gupta) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से पिछले कोरोना काल का 110 करोड़ रुपये की मांग की तो भारतीय जनता पार्टी ने पिछले पांच वर्षों में NHM के तहत राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मिली राशि का जिक्र करते हुए कहा कि भारत सरकार ने 7,966 करोड़ राशि दी जिसमें से सिर्फ 4680 करोड़ ही खर्च हुए. बाकी का लगभग 3300 करोड़ खर्च ही नहीं हुआ. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सरोज सिंह यहीं नहीं रुकें, उन्होंने कहा कि कोरोना के पहले लहर में भारत सरकार ने 285 करोड़, दूसरे लहर में 227 करोड़ और तीसरे लहर की संभावना को देखते हुए 199 करोड़ रुपये झारखंड को दिए हैं. सरोज सिंह ने कहा कि कोरोना काल के दौरान वेंटिलेटर, वैक्सीन से लेकर सभी सुविधाएं केंद्र सरकार ने दी तो झारखंड सरकार ने राज्य के लोगों के लिए क्या किया?



भेदभाव कर रही है केंद्र की सरकार- कांग्रेस: झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कोरोनाकाल की बकाया राशि की मांग को जायज बताते हुए कहा कि जिन प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं है, वहां वह जान बूझकर हक की राशि भी नहीं देती. कांग्रेस नेता ने कहा कि चाहे GST का राज्यांश बकाया हो या फिर कोरोना जैसे महामारी के दौरान का बकाया, केंद्र की सरकार, राशि राज्य को देने में टालमटोल करती रहती है.

आइये! जानें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कब-कब कितनी राशि मिली और कितनी खर्च कर पाई सरकार

  • वर्ष 2017-18 में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 1301.35 करोड़ राशि मिली लेकिन खर्च 609.92 करोड़ खर्च हुआ.
  • वर्ष 2018-19 में केंद्र से 1553.93 करोड़ की राशि मिली जिसमें से खर्च सिर्फ 857.87 करोड़ हुआ.
  • वर्ष 2019-20 में भारत सरकार से NHM के तहत 1724.91 करोड़ की राशि मिली जिसमें से खर्च सिर्फ 1041.31 करोड़ हुआ.
  • वर्ष 2020-21 में भारत सरकार ने राज्य को NHM के तहत 1692.28 करोड़ दिए, लेकिन खर्च हुए 1071.30 करोड़.
  • वर्ष 2021-22 में राज्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 1694.43 करोड़ की राशि मिली लेकिन खर्च सिर्फ 1100 करोड़ हुए.

स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़े ही बताते हैं कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिछले पांच वर्षों में 7966.9 करोड़ की भारी भरकम राशि मिली लेकिन बेपटरी स्वास्थ्य व्यवस्था वाले राज्य झारखंड में सरकार सिर्फ 4680.54 करोड़ खर्च कर पाई. यानि 3286.36 करोड़ रुपए जो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए केंद्र से मिला था वह खर्च ही नहीं हुए.


अब जब कोरोना के नए सब वैरियंट की वजह से एक बार फिर संक्रमण बढ़ने का खतरा सामने है तो भले ही राजनीतिक दलों की राजनीतिक बयानबाजी बढ़ी हो पर जिन पांच वर्षों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से मिली भारी भरकम राशि खर्च नहीं करने का जिक्र है उसमें राज्य में NDA की भी सरकार थी और अब UPA की सरकार है. ऐसे में सवाल दोनों दलों से होना चाहिए कि राज्य की जनता के स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मिली राशि खर्च नहीं करने के लिए जिम्मेवार कौन है?

मंत्री और नेताओं के बयान

रांची: झारखंड में राजनीति करने का कोई भी मौका नेता चूकते नहीं है. अब जब कोरोना के वैरियंट ओमिक्रोन के नए सब वैरियंट BF.7 (Omicron new sub variant BF7) से संक्रमण बढ़ने की संभावना है तो इधर कोरोना के बहाने राजनीति भी तेज हो गयी है.

ये भी पढ़ें- कोरोना को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ मनसुख मांडविया की हाई लेवल बैठक, बन्ना गुप्ता ने मांगे बकाया 110 करोड़ रुपये

स्वास्थ्य मंत्री पर बीजेपी हमलावर: शुक्रवार को जैसे ही झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता (Health Minister Banna Gupta) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया से पिछले कोरोना काल का 110 करोड़ रुपये की मांग की तो भारतीय जनता पार्टी ने पिछले पांच वर्षों में NHM के तहत राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मिली राशि का जिक्र करते हुए कहा कि भारत सरकार ने 7,966 करोड़ राशि दी जिसमें से सिर्फ 4680 करोड़ ही खर्च हुए. बाकी का लगभग 3300 करोड़ खर्च ही नहीं हुआ. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सरोज सिंह यहीं नहीं रुकें, उन्होंने कहा कि कोरोना के पहले लहर में भारत सरकार ने 285 करोड़, दूसरे लहर में 227 करोड़ और तीसरे लहर की संभावना को देखते हुए 199 करोड़ रुपये झारखंड को दिए हैं. सरोज सिंह ने कहा कि कोरोना काल के दौरान वेंटिलेटर, वैक्सीन से लेकर सभी सुविधाएं केंद्र सरकार ने दी तो झारखंड सरकार ने राज्य के लोगों के लिए क्या किया?



भेदभाव कर रही है केंद्र की सरकार- कांग्रेस: झारखंड कांग्रेस के प्रदेश महासचिव राकेश सिन्हा ने कोरोनाकाल की बकाया राशि की मांग को जायज बताते हुए कहा कि जिन प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी की सरकार नहीं है, वहां वह जान बूझकर हक की राशि भी नहीं देती. कांग्रेस नेता ने कहा कि चाहे GST का राज्यांश बकाया हो या फिर कोरोना जैसे महामारी के दौरान का बकाया, केंद्र की सरकार, राशि राज्य को देने में टालमटोल करती रहती है.

आइये! जानें कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कब-कब कितनी राशि मिली और कितनी खर्च कर पाई सरकार

  • वर्ष 2017-18 में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए 1301.35 करोड़ राशि मिली लेकिन खर्च 609.92 करोड़ खर्च हुआ.
  • वर्ष 2018-19 में केंद्र से 1553.93 करोड़ की राशि मिली जिसमें से खर्च सिर्फ 857.87 करोड़ हुआ.
  • वर्ष 2019-20 में भारत सरकार से NHM के तहत 1724.91 करोड़ की राशि मिली जिसमें से खर्च सिर्फ 1041.31 करोड़ हुआ.
  • वर्ष 2020-21 में भारत सरकार ने राज्य को NHM के तहत 1692.28 करोड़ दिए, लेकिन खर्च हुए 1071.30 करोड़.
  • वर्ष 2021-22 में राज्य को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 1694.43 करोड़ की राशि मिली लेकिन खर्च सिर्फ 1100 करोड़ हुए.

स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़े ही बताते हैं कि राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए पिछले पांच वर्षों में 7966.9 करोड़ की भारी भरकम राशि मिली लेकिन बेपटरी स्वास्थ्य व्यवस्था वाले राज्य झारखंड में सरकार सिर्फ 4680.54 करोड़ खर्च कर पाई. यानि 3286.36 करोड़ रुपए जो सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए केंद्र से मिला था वह खर्च ही नहीं हुए.


अब जब कोरोना के नए सब वैरियंट की वजह से एक बार फिर संक्रमण बढ़ने का खतरा सामने है तो भले ही राजनीतिक दलों की राजनीतिक बयानबाजी बढ़ी हो पर जिन पांच वर्षों में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन से मिली भारी भरकम राशि खर्च नहीं करने का जिक्र है उसमें राज्य में NDA की भी सरकार थी और अब UPA की सरकार है. ऐसे में सवाल दोनों दलों से होना चाहिए कि राज्य की जनता के स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए मिली राशि खर्च नहीं करने के लिए जिम्मेवार कौन है?

Last Updated : Dec 24, 2022, 10:25 PM IST
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