रांची: झारखंड में ओमीक्रोन वेरिएंट ने दस्तक दे दी है. रिम्स से आईएलएस भुवनेश्वर भेजे गए सैंपल की जिनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट में झारखंड में ओमीक्रोन की पुष्टी हुई है. माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पदाधिकारी डॉ मनोज कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि झारखंड में भी अब कई मरीजों में भी ओमीक्रोन पहुंच चुका है. दिसंबर में ही इस वेरिएंट ने दस्तक दे दी थी. अब लोगों को और भी सचेत रहने की जरूरत है. जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए झारखंड से कुल 87 सैंपल भेजे गए थे. जिसमें 14 में ओमीक्रोन, एक में डेल्टा और 32 में अलग अलग वैरियंट ऑफ कंसर्न मिले हैं. एक जनवरी को ही राज्य भर के सैंपल को कलेक्ट कर के जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट 15 जनवरी को मिली है.
ये भी पढ़ें- झारखंड में मिनी लॉकडाउन: 31 जनवरी तक के लिए बढ़ी पाबंदियां, बंद रहेंगे स्कूल कॉलेज
17 जनवरी को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए फिर ILS भेजा जाएगा 100 सैंपल: रिम्स के माइक्रो बायोलॉजी विभाग में 1200 के करीब पॉजिटिव सैंपल अभी एकत्रित हैं जिसमें से 100 के करीब सैंपल को जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए 17 जनवरी को आईएलएस भुवनेश्वर भेजा जाएगा.
राज्य में होती जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन तो नहीं लगता इतना वक्त: सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिन कोरोना संक्रमितों के सैंपल जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए आईएलएस भुवनेश्वर भेजे गए थे उनमें से ज्यादेतर ठीक हो गए हैं. क्योंकि की रिपोर्ट आने में 15 दिन लग गए. अगर राज्य में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लगी होती तो ये नतीजे काफी पहले आ गए होते. रिम्स में जीनोम सिक्वेंसिंग मशीन लगाने की सरकारी घोषणा अभी प्रक्रियाओं में ही फंसी है.
डॉक्टर्स और विशेषज्ञ पहले से ही ओमीक्रोन संक्रमण की लगा रहे थे अनुमान: भले ही झारखंड में ओमीक्रोन वैरियंट के दस्तक देने की पुष्टि आज आईएलएस भुवनेश्वर ने की हो. लेकिन पिछले एक पखवाड़े से राज्य में जिस तेजी से कोरोना संक्रमण फैल रहा है उसे देखते हुए और रोगियों में उभरने वाले लक्षण का क्लिनिकल अध्ययन के आधार पर राज्य के डॉक्टर पहले से ही संक्रमण की तेजी के पीछे की वजह ओमीक्रोन होने का अनुमान लगा रहे थे.