रांचीः पत्थर खदान लीज से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को जवाब देने के लिए 10 दिन का समय दिया है. चुनाव आयोग की कॉपी रांची स्थित निर्वाचन विभाग के सीईओ ऑफिस में भी आ गई है.
मंगलवार को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग के नोटिस की मियाद पूरी हो रही थी. इससे पहले ही झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस ने संयुक्त रूप से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात की घोषणा की थी कि पूरे मामले में चुनाव आयोग से जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा गया है. इस घोषणा के कुछ घंटे बाद ही चुनाव आयोग की तरफ से सीएम को जवाब देने के लिए 10 दिन का और समय दिया गया. हालांकि मुख्यमंत्री की तरफ से ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में चुनाव आयोग के नोटिस का जवाब देने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा गया था.
ये है पूरा मामलाः इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने फरवरी में राज्यपाल रमेश बैस से मिलकर शिकायत की थी कि सीएम के पद पर रहते हुए जेएमएम कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने माइनिंग लीज ली है. इस पर राज्यपाल रमेश बैस ने धारा 191 और 192 के तहत अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए शिकायती पत्र को चुनाव आयोग के पास भेजा था. इसके बाद चुनाव आयोग ने झारखंड के मुख्य सचिव से खदान लीज आवंटन रिपोर्ट मांगी थी.
मुख्य सचिव ने आयोग की ओर से निर्धारित अवधि से तीन दिन पहले ही रिपोर्ट भेज दी थी. इसके बाद भारत निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस भेजकर पूछा था कि कारण स्पष्ट करिये कि खुद को पत्थर खदान का पट्टा आवंटित करने के मामले में आपके खिलाफ कार्रवाई क्यों न की जाए. भारत निर्वाचन आयोग के नोटिस में यह भी कहा था कि प्रथम दृष्टया आपकी ओर से किया गया कार्य आरपी एक्ट की धारा 9A का उल्लंघन करता प्रतीत होता है. यह धारा जन प्रतिनिधि की अयोग्यता से संबंधित है.
आज खत्म हो गई थी जवाब देने की अवधिः भारत निर्वाचन आयोग के नोटिस का जवाब देने की आज यानी दस मई को आखिरी तारीख थी. इसके बाद से अटकलों का बाजार गर्म था कि सीएम क्या जवाब देते हैं. लेकिन इससे पहले ही सीएम हेमंत सोरेन की ओर से निर्वाचन आयोग से इस नोटिस का जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की गई. इसे निर्वाचन आयोग ने स्वीकार कर लिया. हालांकि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से नोटिस का जवाब देने के लिए एक माह का समय मांगा गया था. निर्वाचन आयोग ने दस दिन की ही मोहलत दी.