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झारखंड में नई उत्पाद नीति पर रार! कैबिनेट की मंजूरी से पहले ही शुरू हुआ विरोध

झारखंड में नई उत्पाद नीति का विरोध शुरू हो गया है. आलम यह है कि अभी तक कैबिनेट की मंजूरी मिलने से पहले इसकी खामियां गिनाई जा रही है. झारखंड राज्य खुदरा शराब विक्रेता संघ ने नई उत्पाद नीति से झारखंड में शराब महंगी होने की संभावना व्यक्त की है.

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झारखंड
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Published : Feb 25, 2022, 4:02 PM IST

रांचीः झारखंड सरकार द्वारा लाया जा रहा नई उत्पाद नीति पर भले ही विभागीय मंत्री जगरनाथ महतो की मंजूरी मिल गई है. लेकिन सरकार इस पर हो रहे विरोध को देखते हुए गंभीरता से विचार कर रही है. यही वजह है कि गुरुवार को कैबिनेट की मंजूरी मिलने की चर्चा सिर्फ चर्चा ही बनकर रह गया. कैबिनेट बैठक से बाहर निकलने के बाद जब विभागीय मंत्री से इसपर पूछा गया तो वो बेहद ही नाखुश दिखे. उनको भी लग रहा है कि यह होगा या नहीं. झारखंड राज्य खुदरा शराब विक्रेता संघ ने इसका विरोध करते हुए शराब महंगी होने की आशंका जताई है, जिससे खपत और राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना जताई है.

इसे भी पढ़ें- राजस्व बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ की शराब नीति को अन्य राज्यों ने किया पसंद

नई उत्पाद नीति पर कैबिनेट की मंजूरी मिलने से पहले विरोध के स्वर तेज हो गए हैं. झारखंड राज्य खुदरा शराब विक्रेता संघ ने सरकार को नीति की खामियों को बताते हुए राजस्व क्षति के साथ झारखंड में शराब महंगी होने की संभावना जताई है. झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्प लिमिटेड यानी सीएसएमसीएल को परामर्शी नियुक्त करने के संबंध में नई उत्पाद नीति पर विभागीय मंत्री को ज्ञापन देते हुए एतराज जताया है. संघ ने कहा है कि सीएसएमसीएल के द्वारा जो भी परामर्श दिए जाएंगे वो उनके राज्य की जनसांख्यिकी, सामाजिक ओर सांस्कृतिक संरचना, शराब सेवन की आदत पर आधारित होंगे और इस तरह वो झारखंड के संदर्भ में कहां तक उपयोगी व सार्थक होंगे यह संदेह का विषय है.

जानकारी देते मंत्री

मंत्री को सौंपे ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि सीएसएमसीएल द्वारा गठित समिति के सदस्यों में सभी छत्तीसगढ़ राज्य के उत्पाद विभाग व सीएसएमसीएल के पदाधिकारी हैं. इसमें झारखंड के उत्पाद विभाग के एक भी पदाधिकारी नहीं हैं. इस समिति ने यह भी कहा है कि शराब के थोक-खुदरा व्यापार को राज्य के अधीन करने से पहले वर्ष में 15 से 20 प्रतिशत तक राजस्व में वृद्धि का अनुमान है. झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ का मानना है कि 2020-21 में 1811 करोड़ रुपए उत्पाद राजस्व की प्राप्ति हुई थी इसमें वैट या वाणिज्य कर की राशि शामिल नहीं है. वर्ष 2021-22 में कितना उत्पाद राजस्व प्राप्त होगा इसका भी उल्लेख समिति के प्रतिवेदन में नहीं है. समिति ने प्रतिवेदन में कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं किया है कि विभाग द्वारा निर्धारित उत्पाद राजस्व का लक्ष्य 2300 करोड़ की प्राप्ति कैसे होगी. समिति ने भारत द्वारा निर्मित विदेशी शराब व बियर में 10 से 14 प्रतिशत वृद्धि की अनुशंशा की है, इसका प्रतिकूल प्रभाव शराब की खपत व राजस्व पर पड़ सकता है.


शराब विक्रेता संघ का सुझावः झारखंड राज्य खुदरा शराब विक्रेता संघ ने ज्ञापन के माध्यम से सुझाव दिया है कि वर्तमान में लागू उत्पाद नीति में कोई संशोधन किए बिना वर्ष 2022-23 के लिए 2300 करोड़ लक्ष्य निर्धारित किया जाए. उसके आधार पर विभिन्न प्रकार की अनुज्ञप्तियों के अनुज्ञा शुल्क में यथोचित वृद्धि करते हुए न्यूनतम उत्पाद राजस्व निर्धारित किया जाए. उसी के आधार पर वर्ष 2022-23 के लिए दुकानों की बंदोबस्ती निजी व्यक्तियों, फर्माें, कंपनियों के साथ की जाए. संघ ने आश्वस्त किया कि 2300 करोड़ रुपए उत्पाद राज्स्व की प्राप्ति हो सकती है.

रांचीः झारखंड सरकार द्वारा लाया जा रहा नई उत्पाद नीति पर भले ही विभागीय मंत्री जगरनाथ महतो की मंजूरी मिल गई है. लेकिन सरकार इस पर हो रहे विरोध को देखते हुए गंभीरता से विचार कर रही है. यही वजह है कि गुरुवार को कैबिनेट की मंजूरी मिलने की चर्चा सिर्फ चर्चा ही बनकर रह गया. कैबिनेट बैठक से बाहर निकलने के बाद जब विभागीय मंत्री से इसपर पूछा गया तो वो बेहद ही नाखुश दिखे. उनको भी लग रहा है कि यह होगा या नहीं. झारखंड राज्य खुदरा शराब विक्रेता संघ ने इसका विरोध करते हुए शराब महंगी होने की आशंका जताई है, जिससे खपत और राजस्व पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना जताई है.

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नई उत्पाद नीति पर कैबिनेट की मंजूरी मिलने से पहले विरोध के स्वर तेज हो गए हैं. झारखंड राज्य खुदरा शराब विक्रेता संघ ने सरकार को नीति की खामियों को बताते हुए राजस्व क्षति के साथ झारखंड में शराब महंगी होने की संभावना जताई है. झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ ने सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्प लिमिटेड यानी सीएसएमसीएल को परामर्शी नियुक्त करने के संबंध में नई उत्पाद नीति पर विभागीय मंत्री को ज्ञापन देते हुए एतराज जताया है. संघ ने कहा है कि सीएसएमसीएल के द्वारा जो भी परामर्श दिए जाएंगे वो उनके राज्य की जनसांख्यिकी, सामाजिक ओर सांस्कृतिक संरचना, शराब सेवन की आदत पर आधारित होंगे और इस तरह वो झारखंड के संदर्भ में कहां तक उपयोगी व सार्थक होंगे यह संदेह का विषय है.

जानकारी देते मंत्री

मंत्री को सौंपे ज्ञापन में यह भी कहा गया है कि सीएसएमसीएल द्वारा गठित समिति के सदस्यों में सभी छत्तीसगढ़ राज्य के उत्पाद विभाग व सीएसएमसीएल के पदाधिकारी हैं. इसमें झारखंड के उत्पाद विभाग के एक भी पदाधिकारी नहीं हैं. इस समिति ने यह भी कहा है कि शराब के थोक-खुदरा व्यापार को राज्य के अधीन करने से पहले वर्ष में 15 से 20 प्रतिशत तक राजस्व में वृद्धि का अनुमान है. झारखंड खुदरा शराब विक्रेता संघ का मानना है कि 2020-21 में 1811 करोड़ रुपए उत्पाद राजस्व की प्राप्ति हुई थी इसमें वैट या वाणिज्य कर की राशि शामिल नहीं है. वर्ष 2021-22 में कितना उत्पाद राजस्व प्राप्त होगा इसका भी उल्लेख समिति के प्रतिवेदन में नहीं है. समिति ने प्रतिवेदन में कहीं पर भी यह उल्लेख नहीं किया है कि विभाग द्वारा निर्धारित उत्पाद राजस्व का लक्ष्य 2300 करोड़ की प्राप्ति कैसे होगी. समिति ने भारत द्वारा निर्मित विदेशी शराब व बियर में 10 से 14 प्रतिशत वृद्धि की अनुशंशा की है, इसका प्रतिकूल प्रभाव शराब की खपत व राजस्व पर पड़ सकता है.


शराब विक्रेता संघ का सुझावः झारखंड राज्य खुदरा शराब विक्रेता संघ ने ज्ञापन के माध्यम से सुझाव दिया है कि वर्तमान में लागू उत्पाद नीति में कोई संशोधन किए बिना वर्ष 2022-23 के लिए 2300 करोड़ लक्ष्य निर्धारित किया जाए. उसके आधार पर विभिन्न प्रकार की अनुज्ञप्तियों के अनुज्ञा शुल्क में यथोचित वृद्धि करते हुए न्यूनतम उत्पाद राजस्व निर्धारित किया जाए. उसी के आधार पर वर्ष 2022-23 के लिए दुकानों की बंदोबस्ती निजी व्यक्तियों, फर्माें, कंपनियों के साथ की जाए. संघ ने आश्वस्त किया कि 2300 करोड़ रुपए उत्पाद राज्स्व की प्राप्ति हो सकती है.

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