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रांचीः RIMS में लगातार बढ़ रही डेंगू मरीजों की संख्या, जमीन पर मरीजों का हो रहा इलाज

राजधानी रांची में लगातार फैल रहे डेंगू के प्रकोप से रिम्स में मरीजों की संख्य बढ़ती ही जा रही है. हालात ये हो गए हैं कि मरीजों का इलाज जमीन पर गद्दे डाल कर करना पड़ रहा है. अस्पताल प्रशासन भी मरीजों का इलाज करने में असमर्थ दिख रही है.

रिम्स में जमीन पर हो रहा इलाज
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Published : Nov 13, 2019, 10:07 PM IST

रांचीः राज्य में डेंगू का प्रकोप लगातार जारी है. राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. रिम्स में डेंगू मरीजों के लिए आइसोलेटेड वार्ड बनाया गया है. इस वार्ड में कुल 36 मरीजों की ही व्यवस्था की गई है, लेकिन लगातार बढ़ रहे डेंगू के प्रकोप से 50 से ज्यादा मरीज भर्ती हुए हैं. हालात ये हो गए हैं कि उनका इलाज जमीन में ही गद्दे डालकर करना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

जमीन पर हो रहा मरीजों का इलाज
डेंगू वार्ड की सिस्टर इंचार्ज रामरेखा का कहना है कि अस्पताल में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिससे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जैसे ही बेड खाली हो रहे हैं, उस हिसाब से मरीजों को बेड मुहैया कराया जा रहा है. कम बेड होने के कारण जमीन पर इलाज करना पड़ रहा है. वहीं, नर्सों और डॉक्टरों के कमी के कारण अस्पताल प्रबंधन बेहतर इलाज करने में भी असक्षम दिख रही है. बेड नहीं मिलने की वजह से हमें अपना इलाज जमीन पर ही करवाना पड़ रहा है.

रिम्स में 330 से ज्यादा मरीज
इस सीजन में डेंगू से ग्रसित मरीजों के रिम्स में भर्ती होने की संख्या 330 से भी ज्यादा आंकी जा रही है. राजधानी रांची के अलावा देवघर, गुमला, पलामू, कोडरमा सहित अन्य राज्यों से भी डेंगू के मरीज लगातार रांची के रिम्स अस्पताल पहुंच रहे हैं, जहां उनका इलाज किया जा रहा है.

पुलिस जवान भी हो रहे हैं डेंगू से ग्रसित
रिम्स के डेंगू वार्ड में आम मरीज के साथ-साथ पुलिस के जवान भी देखे गए. पुलिस के जवानों के बारे में डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि जंगलों में गस्ती करने वाले जवानों को डेंगू का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि जंगलों और गंदी जगहों पर डेंगू मच्छर ज्यादा पाए जाते हैं.

रिम्स के आसपास गंदगी से मरीजों को खतरा
रिम्स के आस-पास की गंदगी भी डेंगू के मरीजों को हानि पहुंचा रही है, रिम्स इमरजेंसी के बाहर बना एंबुलेंस गैरेज सहित कई जगहों पर गंदगी का अंबार लगा रहता है जिस वजह से भी डेंगू के मरीजों को और भी ज्यादा खतरा बना हुआ है. इसको लेकर प्रबंधन को संज्ञान लेने की जरूरत है लेकिन अभी तक रिम्स प्रबंधन इस पर बेसुध दिख रही है.

बता दें कि डेंगू मच्छर के मादा एडीज इजिप्टी प्रजाति के काटने से होता है इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसे धारियां होती है और यह मच्छर खासकर दिन में काटते हैं. डेंगू के मच्छर बरसात के मौसम या उसके तुरंत बाद ज्यादा देखे जाते हैं. क्योंकि बरसात का पानी गंदे जगहों पर जमा होता है और गंदे पानी में डेंगू मच्छर ज्यादा पैदा होते हैं. इस मौसम में डेंगू मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं, इसीलिए जुलाई से अक्टूबर महीने के बीच डेंगू सबसे ज्यादा फैलता है.

डेंगू होने के लक्षण:-

  • अचानक तेज बुखार आना
  • सिर में आगे की ओर और पेट में तेज दर्द होना
  • मांसपेशियों जोड़ों में दर्द होना
  • भूख ना लगना
  • शरीर पर लाल दाग, खून की सफेद कोशिकाओं की कमी होना


कैसे करें उपचार:-

  • मरीजों को आराम की सलाह देना
  • मरीज को ओआरएस का घोल समय-समय पर देना
  • भूख के अनुसार पर्याप्त मात्रा में भोजन करना
  • गंदा पानी जमा नहीं होने दें
  • घर में समय-समय पर कीटनाशक दवा छिड़कना
  • रोगी को डेंगू का पता चलते ही उपचार के लिए तुरंत निकट के अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना
  • दिन और रात में मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करना
  • डेंगू के इलाज के बाद 1 महीने तक मसालेदार एवं तेल वाले भोजन करने से करें परहेज

रांचीः राज्य में डेंगू का प्रकोप लगातार जारी है. राजधानी रांची के रिम्स अस्पताल में डेंगू मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. रिम्स में डेंगू मरीजों के लिए आइसोलेटेड वार्ड बनाया गया है. इस वार्ड में कुल 36 मरीजों की ही व्यवस्था की गई है, लेकिन लगातार बढ़ रहे डेंगू के प्रकोप से 50 से ज्यादा मरीज भर्ती हुए हैं. हालात ये हो गए हैं कि उनका इलाज जमीन में ही गद्दे डालकर करना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

जमीन पर हो रहा मरीजों का इलाज
डेंगू वार्ड की सिस्टर इंचार्ज रामरेखा का कहना है कि अस्पताल में लगातार मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जिससे परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. जैसे ही बेड खाली हो रहे हैं, उस हिसाब से मरीजों को बेड मुहैया कराया जा रहा है. कम बेड होने के कारण जमीन पर इलाज करना पड़ रहा है. वहीं, नर्सों और डॉक्टरों के कमी के कारण अस्पताल प्रबंधन बेहतर इलाज करने में भी असक्षम दिख रही है. बेड नहीं मिलने की वजह से हमें अपना इलाज जमीन पर ही करवाना पड़ रहा है.

रिम्स में 330 से ज्यादा मरीज
इस सीजन में डेंगू से ग्रसित मरीजों के रिम्स में भर्ती होने की संख्या 330 से भी ज्यादा आंकी जा रही है. राजधानी रांची के अलावा देवघर, गुमला, पलामू, कोडरमा सहित अन्य राज्यों से भी डेंगू के मरीज लगातार रांची के रिम्स अस्पताल पहुंच रहे हैं, जहां उनका इलाज किया जा रहा है.

पुलिस जवान भी हो रहे हैं डेंगू से ग्रसित
रिम्स के डेंगू वार्ड में आम मरीज के साथ-साथ पुलिस के जवान भी देखे गए. पुलिस के जवानों के बारे में डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि जंगलों में गस्ती करने वाले जवानों को डेंगू का खतरा ज्यादा रहता है, क्योंकि जंगलों और गंदी जगहों पर डेंगू मच्छर ज्यादा पाए जाते हैं.

रिम्स के आसपास गंदगी से मरीजों को खतरा
रिम्स के आस-पास की गंदगी भी डेंगू के मरीजों को हानि पहुंचा रही है, रिम्स इमरजेंसी के बाहर बना एंबुलेंस गैरेज सहित कई जगहों पर गंदगी का अंबार लगा रहता है जिस वजह से भी डेंगू के मरीजों को और भी ज्यादा खतरा बना हुआ है. इसको लेकर प्रबंधन को संज्ञान लेने की जरूरत है लेकिन अभी तक रिम्स प्रबंधन इस पर बेसुध दिख रही है.

बता दें कि डेंगू मच्छर के मादा एडीज इजिप्टी प्रजाति के काटने से होता है इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसे धारियां होती है और यह मच्छर खासकर दिन में काटते हैं. डेंगू के मच्छर बरसात के मौसम या उसके तुरंत बाद ज्यादा देखे जाते हैं. क्योंकि बरसात का पानी गंदे जगहों पर जमा होता है और गंदे पानी में डेंगू मच्छर ज्यादा पैदा होते हैं. इस मौसम में डेंगू मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती हैं, इसीलिए जुलाई से अक्टूबर महीने के बीच डेंगू सबसे ज्यादा फैलता है.

डेंगू होने के लक्षण:-

  • अचानक तेज बुखार आना
  • सिर में आगे की ओर और पेट में तेज दर्द होना
  • मांसपेशियों जोड़ों में दर्द होना
  • भूख ना लगना
  • शरीर पर लाल दाग, खून की सफेद कोशिकाओं की कमी होना


कैसे करें उपचार:-

  • मरीजों को आराम की सलाह देना
  • मरीज को ओआरएस का घोल समय-समय पर देना
  • भूख के अनुसार पर्याप्त मात्रा में भोजन करना
  • गंदा पानी जमा नहीं होने दें
  • घर में समय-समय पर कीटनाशक दवा छिड़कना
  • रोगी को डेंगू का पता चलते ही उपचार के लिए तुरंत निकट के अस्पताल व स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना
  • दिन और रात में मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करना
  • डेंगू के इलाज के बाद 1 महीने तक मसालेदार एवं तेल वाले भोजन करने से करें परहेज
Intro:राज्य में डेंगू का प्रकोप लगातार जारी है, राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

रिम्स में डेंगू मरीजों के लिए आइसोलेटेड वार्ड बनाया गया है जहां कुल 36 मरीजों की क्षमता रखी गई है लेकिन राज्य में लगातार बढ़ रहे डेंगू के प्रकोप से फिलहाल 50 से ज्यादा मरीज को भर्ती किया गया है जिस वजह से मरीजों का इलाज जमीन पर लिटा कर करना पड़ रहा है।


Body:इसको लेकर डेंगू वार्ड की सिस्टर इंचार्ज रामरेखा बताती हैं कि लगातार मरीजों की बढ़ रही संख्या से इलाज करने में लगातार परेशानी आ रही है जैसे जैसे बेड खाली हो रहे हैं उस हिसाब से मरीजों को बेड मुहैया कराया जा रहा है लेकिन कम बेड होने के कारण जमीन पर इलाज कराना पड़ रहा है।

वहीं मरीजों ने भी बताया कि रिम्स में मरीजों की बढ़ रही संख्या के एवं नर्सों और डॉक्टरों के कमी के कारण अस्पताल प्रबंधन बेहतर इलाज करने में भी असक्षम दिख रहा है।

बेड नहीं मिलने की वजह से हमें अपने मरीजों का इलाज जमीन पर लिटा कर करना पड़ रहा है।

आपको बता दें कि इस सीजन में डेंगू से ग्रसित मरीजों के रिम्स में भर्ती होने की संख्या 330 से भी ज्यादा आंकी जा रही है।

राजधानी रांची के अलावा देवघर,गुमला, पलामू,कोडरमा सहित अन्य राज्यों से भी डेंगू के मरीज लगातार रांची के रिम्स अस्पताल पहुंच रहे हैं जहां उनका इलाज किया जा रहा है।

पुलिस जवान भी हो रहे हैं डेंगू से ग्रसित।
रिम्स के डेंगू वार्ड में आम मरीज के साथ-साथ पुलिस के जवान भी देखे गए, पुलिस के जवानों के बारे में डॉक्टर ने जानकारी देते हुए बताया कि जंगलों में गस्ती करने वाले जवानों को डेंगू का खतरा ज्यादा रहता है क्योंकि जंगलों और गंदे जगहों पर इस मच्छर को ज्यादा देखा जाता है।

रिम्स के आसपास पसरी गंदगी भी डेंगू के मरीजों को पहुंचा रहा है हानि।
रिम्स में पसरी आस-पास की गंदगी भी डेंगू के मरीजों को हानि पहुंचा रही है, रिम्स इमरजेंसी के बाहर बना एंबुलेंस गैरेज सहित कई जगहों पर गंदगी का अंबार लगा रहता है जिस वजह से भी डेंगू के मरीजों को और भी ज्यादा खतरा बना हुआ रहता है इसको लेकर प्रबंधन को संज्ञान लेने की जरूरत है लेकिन अभी तक रिम्स प्रबंधन इस पर बेसुध दिख रहा है।









Conclusion:आपको बता दें कि डेंगू मच्छर के मादा एडीज इजिप्टी प्रजाति के काटने से होता है इन मच्छरों के शरीर पर चीते जैसे धारियां होती है और यह मच्छर खासकर दिन में काटते हैं।

डेंगू के मच्छर बरसात के मौसम या उसके तुरंत बाद ज्यादा देखी जाती है क्योंकि बरसात का पानी गंदे जगहों पर जमा होता है और गंदे पानी में डेंगू मच्छर ज्यादा पैदा होते हैं क्योंकि इस मौसम में डेंगू मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल परिस्थितियां होती है,इसीलिए जुलाई से अक्टूबर में डेंगू के मरीज सबसे ज्यादा देखे जाते हैं।

डेंगू होने के लक्षण:-
अचानक तेज बुखार आना।
सिर में आगे की ओर और पेट में तेज दर्द होना।
मांस पेशियों जोड़ों में दर्द होना।
स्वाद का पता ना चल ना व भूख न लगना।
शरीर पर खून के छत्ते एवं खून की सफेद कोशिकाओं की कमी होना।
कैसे करें उपचार:-
मरीजों को आराम की सलाह देना।
मरीज को ओआरएस का घोल समय-समय पर देना
भूख के अनुसार पर्याप्त मात्रा में भोजन करना।
गंदे पानी का जमा नहीं होने दें।
घर में समय-समय पर कीटनाशक दवा छिड़कना।
रोगी को डेंगू का पता चलते ही उपचार के लिए तुरंत निकट के अस्पताल वह स्वास्थ्य केंद्र में ले जाना।
दिन और रात में मच्छरों से बचने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करना।
डेंगू के इलाज के बाद 1 महीने तक मसालेदार एवं तेल वाले भोजन करने से करें परहेज

बाइट- राम रेखा कुमारी, सिस्टर इंचार्ज, डेंगू वार्ड।
बाइट- मरीज के परिजन।





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