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जेवीएम छोड़ कांग्रेस और बीजेपी का दामन थामने वाले विधायकों को नोटिस, 17 सितंबर तक मांगा जवाब - तीन विधायक को नोटिस जारी

रांची में झाविमो छोड़ बीजेपी और कांग्रेस का दामन थामने वाले विधायकों को नोटिस मिला है. इसी के तहत विधानसभा सचिवालय ने 17 सितंबर तक बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की से नोटिस का जवाब मांगा है.

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बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की
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Published : Aug 20, 2020, 12:18 PM IST

Updated : Aug 20, 2020, 12:52 PM IST

रांची: झारखंड विकास मोर्चा के चुनाव चिन्ह से जीतकर विधानसभा पहुंचे तीनों विधायकों, जिन्होंने कांग्रेस और बीजेपी का दामन थाम लिया उन्हें विधानसभा सचिवालय की तरफ से नोटिस जारी किया गया है. विधानसभा ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि तीनों के ऊपर दल-बदल का मामला बनता है. ऐसे में उन्हें 17 सितंबर तक अपना पक्ष रखने को कहा गया है.


तीनों विधायकों के ऊपर दल-बदल का मामला
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने इन मामलों को दल-बदल के तहत माना है. 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में तत्कालीन झारखंड विकास मोर्चा से बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की चुनाव जीते थे. बाबूलाल मरांडी ने झाविमो का बीजेपी में कथित तौर पर विलय कर लिया, जबकि बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस के साथ चले गए. बाबूलाल मरांडी फिलहाल बीजेपी विधायक दल के नेता भी हैं.

इसे भी पढ़ें-संसद का मानसून सत्र सितंबर के दूसरे सप्ताह में शुरू होने की उम्मीद

ईसी ने मरांडी को बीजेपी बाकी को निर्दलीय माना
झाविमो के बीजेपी ने विलय और अन्य 2 विधायकों के स्टेटस को लेकर इलेक्शन कमीशन (ईसी) ने राज्यसभा चुनाव में अपनी तरफ से स्थिति क्लीयर कर दिया था. झारखंड विधानसभा के निर्वाची पदाधिकारी को इस बाबत आयोग ने एक पत्र भेजा जिसमें मरांडी के भाजपा में विलय को वैध ठहराया. वहीं प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्दलीय विधायक माना था. मरांडी ने बीजेपी विधायक के तौर पर वोट डाला, जबकि बंधु तिर्की और प्रदीप यादव निर्दलीय विधायक के रूप में मतदान कर पाए.


बीजेपी कर रही है मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग
दरअसल बीजेपी में जेवीएम के विलय के बाद विधानसभा में दूसरे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी बीजेपी ने अपने विधायक दल नेता मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग की है. हालांकि यह मामला अभी भी स्पीकर के पास लंबित है. बीजेपी ने इस बाबत राजभवन का दरवाजा भी खटखटाया है. गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से बीजेपी ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष से स्टेटस क्लीयर करने की मांग की. वहीं गवर्नर ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष से भी बात की है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो विधानसभा सचिवालय ने महाधिवक्ता से भी इस विषय पर सलाह ली है.

रांची: झारखंड विकास मोर्चा के चुनाव चिन्ह से जीतकर विधानसभा पहुंचे तीनों विधायकों, जिन्होंने कांग्रेस और बीजेपी का दामन थाम लिया उन्हें विधानसभा सचिवालय की तरफ से नोटिस जारी किया गया है. विधानसभा ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि तीनों के ऊपर दल-बदल का मामला बनता है. ऐसे में उन्हें 17 सितंबर तक अपना पक्ष रखने को कहा गया है.


तीनों विधायकों के ऊपर दल-बदल का मामला
आधिकारिक सूत्रों की मानें तो स्पीकर रविंद्र नाथ महतो ने इन मामलों को दल-बदल के तहत माना है. 2019 में हुए विधानसभा चुनावों में तत्कालीन झारखंड विकास मोर्चा से बाबूलाल मरांडी, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की चुनाव जीते थे. बाबूलाल मरांडी ने झाविमो का बीजेपी में कथित तौर पर विलय कर लिया, जबकि बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस के साथ चले गए. बाबूलाल मरांडी फिलहाल बीजेपी विधायक दल के नेता भी हैं.

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ईसी ने मरांडी को बीजेपी बाकी को निर्दलीय माना
झाविमो के बीजेपी ने विलय और अन्य 2 विधायकों के स्टेटस को लेकर इलेक्शन कमीशन (ईसी) ने राज्यसभा चुनाव में अपनी तरफ से स्थिति क्लीयर कर दिया था. झारखंड विधानसभा के निर्वाची पदाधिकारी को इस बाबत आयोग ने एक पत्र भेजा जिसमें मरांडी के भाजपा में विलय को वैध ठहराया. वहीं प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को निर्दलीय विधायक माना था. मरांडी ने बीजेपी विधायक के तौर पर वोट डाला, जबकि बंधु तिर्की और प्रदीप यादव निर्दलीय विधायक के रूप में मतदान कर पाए.


बीजेपी कर रही है मरांडी को नेता प्रतिपक्ष बनाने की मांग
दरअसल बीजेपी में जेवीएम के विलय के बाद विधानसभा में दूसरे बड़े राजनीतिक दल के रूप में उभरी बीजेपी ने अपने विधायक दल नेता मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का दर्जा देने की मांग की है. हालांकि यह मामला अभी भी स्पीकर के पास लंबित है. बीजेपी ने इस बाबत राजभवन का दरवाजा भी खटखटाया है. गवर्नर द्रौपदी मुर्मू से बीजेपी ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष से स्टेटस क्लीयर करने की मांग की. वहीं गवर्नर ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष से भी बात की है. आधिकारिक सूत्रों की माने तो विधानसभा सचिवालय ने महाधिवक्ता से भी इस विषय पर सलाह ली है.

Last Updated : Aug 20, 2020, 12:52 PM IST
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