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Rupa Tirkey Case: गठित न्यायिक आयोग के पास नहीं पहुंचा एक भी आवेदन, आखिर कब सुलझेगी गुत्थी

रूपा तिर्की मौत की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग के पास एक भी आवेदन नहीं पहुंचा है. आयोग की ओर से इस केस की सुनवाई की तारीख 16 सितंबर निर्धारित की गई है.

Rupa Tirkey Case
रूपा तिर्की मौत
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Published : Aug 12, 2021, 5:04 PM IST

Updated : Aug 12, 2021, 5:26 PM IST

रांचीः रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत मामले में पीड़ित परिवार लगातार सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से सीबीआई के बजाय न्यायिक आयोग गठित कर मामले की जांच शुरू करवा दी गई है.

इसे भी पढ़ें- Rupa Tirkey Case: मामले की गुत्थी सुलझाने जांच आयोग पहुंची साहिबगंज, घटनास्थल का लिया जायजा

मगर पीड़ित परिवार या कोई भी रूपा तिर्की को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करनेवाले लोग अब तक आयोग के पास नहीं पहुंचे हैं. आयोग ने पब्लिक नोटिस जारी कर इस केस में जानकारी देने के लिए 31 अगस्त तक आवेदन देने को कहा है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि 15 दिन बाद भी आयोग तक एक भी आवेदन नहीं पहुंचा है. इस केस की अगली सुनवाई की तारीख 16 सितंबर निर्धारित आयोग की ओर से गई है.

साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत की गुत्थी सुलझाने में लगी न्यायिक आयोग अब तक किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. राज्य में पहली बार हत्या या आत्महत्या के केस के लिए किसी न्यायिक आयोग का गठन हुआ है. हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विनोद कुमार गुप्ता के नेतृत्व में गठित इस आयोग का कार्यकाल 06 महीने का है.

जिसमें डेढ़ महीने से अधिक हो चुका है. इस दौरान आयोग ने राज्य के गृहसचिव, डीजीपी से पड़ताल करने के बाद आयोग की ओर से साहिबगंज में घटनास्थल की जांच भी की जा चुकी है. मगर पीड़ित परिवार से कोई भी या न्याय की मांग करने वाला कोई भी आयोग तक नहीं पहुंचा है.

रूपा के परिजन न्यायिक आयोग के बदले सीबीआई जांच की कर रहे हैं मांग

रूपा तिर्की केस की जांच सीबीआई से कराने की मांग लगातार हो रही है. परिजन मुख्यमंत्री से लेकर राजभवन तक का गुहार लगा चुके हैं. परिजनों का मानना है कि पुलिस अनुसंधान में भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है. रूपा तिर्की की मौत को लेकर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि ये आत्महत्या नहीं बल्कि उसकी हत्या है.

रूपा तिर्की केस में जांच कम, राजनीति ज्यादा
बहुचर्चित रूपा तिर्की मौत मिस्ट्री केस में एक तरफ जांच की रफ्तार धीमी है, वहीं इस मामले पर राजनीति तेज है. बीजेपी न्यायिक आयोग के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करते हुए सरकार पर इसे जनता का ध्यान भटकाने के लिए आयोग का गठन करने की बात कही है. दूसरी तरफ सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है कि उन्हें पुराने दिनों को भुलाकर आगे की बात सोचनी चाहिए. सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन सोच समझकर किया है.

देखें पूरी खबर

इसे भी पढ़ें- रूपा तिर्की मौत मामला: सीबीआई जांच होने को लेकर 13 अगस्त को फैसला संभव, जानिए बुधवार की सुनवाई में क्या हुआ


रूपा तिर्की मौत की मिस्ट्री
साल 2018 में बतौर एसआई के रूप में साहिबगंज में पोस्टिंग हुई. जिसके बाद रूपा तिर्की महिला थाना प्रभारी के रूप में पदस्थापित हुई थी. जिसकी 3 मई को संदेहास्पद मौत हो गई. पुलिस ने जांच के दौरान प्रेम-प्रसंग में हुई आत्महत्या मान रही है. घटना के बाद से लगातार इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग हो रही है.


रांची के रातू की रहनेवाली रूपा तिर्की स्वभाव से काफी मिलनसार और मृदभाषी थीं. रूपा जॉब करने से पहले घर के आसपास के बच्चों को टयूशन पढ़ाती थी. ट्यूशन के साथ पढ़ाई करते-करते रूपा का चयन बैक ऑफ इंडिया में पीओ के पद पर हुआ था. बतौर बैक अधिकारी रूपा ने बीओआई सिसई (BOI Sisai) में भी काम किया था. बैंक में नौकरी करते हुए वह पुलिस सेवा के लिए प्रयास करती रहीं.

रांचीः रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत मामले में पीड़ित परिवार लगातार सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से सीबीआई के बजाय न्यायिक आयोग गठित कर मामले की जांच शुरू करवा दी गई है.

इसे भी पढ़ें- Rupa Tirkey Case: मामले की गुत्थी सुलझाने जांच आयोग पहुंची साहिबगंज, घटनास्थल का लिया जायजा

मगर पीड़ित परिवार या कोई भी रूपा तिर्की को न्याय दिलाने के लिए आंदोलन करनेवाले लोग अब तक आयोग के पास नहीं पहुंचे हैं. आयोग ने पब्लिक नोटिस जारी कर इस केस में जानकारी देने के लिए 31 अगस्त तक आवेदन देने को कहा है. लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि 15 दिन बाद भी आयोग तक एक भी आवेदन नहीं पहुंचा है. इस केस की अगली सुनवाई की तारीख 16 सितंबर निर्धारित आयोग की ओर से गई है.

साहिबगंज महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की संदेहास्पद मौत की गुत्थी सुलझाने में लगी न्यायिक आयोग अब तक किसी खास नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है. राज्य में पहली बार हत्या या आत्महत्या के केस के लिए किसी न्यायिक आयोग का गठन हुआ है. हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विनोद कुमार गुप्ता के नेतृत्व में गठित इस आयोग का कार्यकाल 06 महीने का है.

जिसमें डेढ़ महीने से अधिक हो चुका है. इस दौरान आयोग ने राज्य के गृहसचिव, डीजीपी से पड़ताल करने के बाद आयोग की ओर से साहिबगंज में घटनास्थल की जांच भी की जा चुकी है. मगर पीड़ित परिवार से कोई भी या न्याय की मांग करने वाला कोई भी आयोग तक नहीं पहुंचा है.

रूपा के परिजन न्यायिक आयोग के बदले सीबीआई जांच की कर रहे हैं मांग

रूपा तिर्की केस की जांच सीबीआई से कराने की मांग लगातार हो रही है. परिजन मुख्यमंत्री से लेकर राजभवन तक का गुहार लगा चुके हैं. परिजनों का मानना है कि पुलिस अनुसंधान में भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है. रूपा तिर्की की मौत को लेकर उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि ये आत्महत्या नहीं बल्कि उसकी हत्या है.

रूपा तिर्की केस में जांच कम, राजनीति ज्यादा
बहुचर्चित रूपा तिर्की मौत मिस्ट्री केस में एक तरफ जांच की रफ्तार धीमी है, वहीं इस मामले पर राजनीति तेज है. बीजेपी न्यायिक आयोग के अस्तित्व पर सवाल खड़ा करते हुए सरकार पर इसे जनता का ध्यान भटकाने के लिए आयोग का गठन करने की बात कही है. दूसरी तरफ सत्तारूढ़ दल कांग्रेस ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा है कि उन्हें पुराने दिनों को भुलाकर आगे की बात सोचनी चाहिए. सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन सोच समझकर किया है.

देखें पूरी खबर

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रूपा तिर्की मौत की मिस्ट्री
साल 2018 में बतौर एसआई के रूप में साहिबगंज में पोस्टिंग हुई. जिसके बाद रूपा तिर्की महिला थाना प्रभारी के रूप में पदस्थापित हुई थी. जिसकी 3 मई को संदेहास्पद मौत हो गई. पुलिस ने जांच के दौरान प्रेम-प्रसंग में हुई आत्महत्या मान रही है. घटना के बाद से लगातार इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग हो रही है.


रांची के रातू की रहनेवाली रूपा तिर्की स्वभाव से काफी मिलनसार और मृदभाषी थीं. रूपा जॉब करने से पहले घर के आसपास के बच्चों को टयूशन पढ़ाती थी. ट्यूशन के साथ पढ़ाई करते-करते रूपा का चयन बैक ऑफ इंडिया में पीओ के पद पर हुआ था. बतौर बैक अधिकारी रूपा ने बीओआई सिसई (BOI Sisai) में भी काम किया था. बैंक में नौकरी करते हुए वह पुलिस सेवा के लिए प्रयास करती रहीं.

Last Updated : Aug 12, 2021, 5:26 PM IST
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