रांची: झारखंड में हड़ताल पर गए मनरेगा कर्मियों पर नो वर्क नो पे लागू कर दिया गया है. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव आराधना पटनायक ने राज्य के सभी डीसी और डीडीसी को मनरेगा के तहत संचालित योजनाओं पर अविलंब काम शुरू करने का निर्देश दिया है. साथ ही लंबित योजनाओं पर भी समय रहते काम कराने को कहा है.
मनरेगा मजदूरों को लेकर झारखंड सरकार ने बड़ा निर्णय लिया है. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव आराधना पटनायक ने कहा है कि कोविड-19 के दौरान राज्य या बाहर से आए प्रवासी मजदूरों को काम उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है. रोजगार के अभाव में श्रमिको का पलायन नहीं हो, इसे सुनिश्चित करने को कहा गया है. विभाग की तरफ से दावा किया गया है कि मनरेगा कर्मी संघ की तरफ से 27 जून से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की गई थी, लेकिन हड़ताल के 24 घंटे के भीतर 60 फीसदी से ज्यादा मनरेगा कर्मी काम करने लगे हैं.
उन्होंने कहा कि वर्तमान में पूरा देश कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है. ऐसी स्थिति में मनरेगा के जरिए ही ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है. ऐसी स्थिति में मनरेगा कर्मियों को अपने दायित्वों के प्रति लापरवाही अत्यंत खेदजनक है. फिलहाल, मनरेगा कार्यों का क्रियान्वयन प्रखंड विकास पदाधिकारी की देखरेख में प्रधानमंत्री आवास योजना के ब्लॉक कोऑर्डिनेटर प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी का कार्य करेंगे. जनसेवक और पंचायत सचिव रोजगार सेवक के कार्य को देखेंगे. स्वयं सहायता समूह के सदस्यों की ओर से वैकल्पिक व्यवस्था के अंतर्गत लिया जाय, ताकि गरीब ग्रामवासियों को उनके काम के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराया जा सके.
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क्या तर्क है मनरेगा कर्मचारी संघ का
ईटीवी भारत ने झारखंड मनरेगा कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव जॉन पीटर बागे से फोन पर बात की. विभाग के दावों का हवाला देते हुए उनसे पूछा गया कि क्या वाकई 60 फीसदी से ज्यादा कर्मचारी हड़ताल से वापस लौट गए हैं ? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि राज्य के सभी जिलों के मनरेगा कर्मचारी एकजुट हैं और कोई भी काम पर नहीं लौटा है. उन्होंने कहा कि मनरेगा से जुड़े एमआईएस रिपोर्ट से साफ हो जाएगा कि मनरेगा कर्मियों के हड़ताल पर जाने से काम कितना प्रभावित हुआ है.