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रांची: मानवता हुई शर्मसार, किसी ने नहीं ली दिव्यांग की सुध - रांची में दिव्यांग ने लगाई मदद की गुहार

रांची में रेलवे स्टेशन एक दिव्यांग लोगों से घर जाने के लिए मदद की गुहार लगा रहा है. लेकिन कोई भी अधिकारी उसकी मदद के लिए आगे नहीं आ रहा है. जिसके कारण दिव्यांग को घर जाने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

No one helped handicapped man
बसंतलाल
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Published : Jun 1, 2020, 5:35 PM IST

रांची: जिले के रेलवे स्टेशन पर मानवता शर्मसार हुई. इंसानियत के नाते भी विकलांग बुजुर्ग को नियम और कानून का हवाला देते हुए ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया गया. वह लाख मिन्नतें करते रहा. लेकिन उसे धकेलकर रेलवे स्टेशन से बाहर निकाल दिया गया. अभी भी वह रेलवे स्टेशन के बाहर इस आस में बैठा है कि कोई ट्रेन आएगा और उसे गंतव्य के लिए भेजा जाएगा.

देखें पूरी खबर

लोगों से मांगी मदद

व्यक्ति बसंतलाल है जो 65 वर्ष के हैं और दिव्यांग है. लेकिन इनकी दुर्दशा और विवशता को देख कर भी लोगों के मन में दया नहीं आया स्टेशन मास्टर ध्रुव कुमार को यह व्यक्ति लाखों मिन्नतें करता रहा, आरपीएफ कर्मचारियों का पैर पकड़ता रहा. मामले को लेकर कई लोगों ने डीआरएम, डीसीएम, डीओएम, एडीआरएम समेत कई रेलवे के पदाधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई. लेकिन किसी ने भी इसका सूद नहीं लिया. अंत में यह व्यक्ति रांची रेलवे स्टेशन के बाहर बैठकर ट्रेन आने के इंतजार में है और चाह रहे हैं किसी तरह इन्हें गंतव्य के लिए भेजा जाए.

गोमो जाना चाहते हैं बसंतलाल

बसंतलाल को पटना रेलवे स्टेशन से गुमराह करके वहां के रेल कर्मचारियों ने ट्रेन में बैठा दिया और उनसे कहा गया कि यह ट्रेन आपको धनबाद ले जाएगी. लेकिन वे ट्रेन से रांची पहुंच गए. और वहां बसंतलाल लोगों से लगातार मिन्नतें कर रहे हैं ताकि कोई उन्हें उनके घर पहुंचा दे.

ये भी पढ़ें-डायन करार देकर हुई थी सात लोगों की हत्या, 15 साल बाद 16वां आरोपी गिरफ्तार

खानापूर्ति कर रहे हैं अधिकारी

कोविड-19 महामारी के दौरान श्रमिकों, मजदूरों, दिव्यांगों और ऐसे ही लोगों के लिए सरकारी मिसाल पेश करने की बात कह रहे हैं, मानवता की दुहाई दे रहे हैं. लेकिन अधिकारी सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति में जुटे हैं और कोई भी बसंतलाल की सुध नहीं ले रहा है.

रांची: जिले के रेलवे स्टेशन पर मानवता शर्मसार हुई. इंसानियत के नाते भी विकलांग बुजुर्ग को नियम और कानून का हवाला देते हुए ट्रेन में चढ़ने नहीं दिया गया. वह लाख मिन्नतें करते रहा. लेकिन उसे धकेलकर रेलवे स्टेशन से बाहर निकाल दिया गया. अभी भी वह रेलवे स्टेशन के बाहर इस आस में बैठा है कि कोई ट्रेन आएगा और उसे गंतव्य के लिए भेजा जाएगा.

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लोगों से मांगी मदद

व्यक्ति बसंतलाल है जो 65 वर्ष के हैं और दिव्यांग है. लेकिन इनकी दुर्दशा और विवशता को देख कर भी लोगों के मन में दया नहीं आया स्टेशन मास्टर ध्रुव कुमार को यह व्यक्ति लाखों मिन्नतें करता रहा, आरपीएफ कर्मचारियों का पैर पकड़ता रहा. मामले को लेकर कई लोगों ने डीआरएम, डीसीएम, डीओएम, एडीआरएम समेत कई रेलवे के पदाधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई. लेकिन किसी ने भी इसका सूद नहीं लिया. अंत में यह व्यक्ति रांची रेलवे स्टेशन के बाहर बैठकर ट्रेन आने के इंतजार में है और चाह रहे हैं किसी तरह इन्हें गंतव्य के लिए भेजा जाए.

गोमो जाना चाहते हैं बसंतलाल

बसंतलाल को पटना रेलवे स्टेशन से गुमराह करके वहां के रेल कर्मचारियों ने ट्रेन में बैठा दिया और उनसे कहा गया कि यह ट्रेन आपको धनबाद ले जाएगी. लेकिन वे ट्रेन से रांची पहुंच गए. और वहां बसंतलाल लोगों से लगातार मिन्नतें कर रहे हैं ताकि कोई उन्हें उनके घर पहुंचा दे.

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खानापूर्ति कर रहे हैं अधिकारी

कोविड-19 महामारी के दौरान श्रमिकों, मजदूरों, दिव्यांगों और ऐसे ही लोगों के लिए सरकारी मिसाल पेश करने की बात कह रहे हैं, मानवता की दुहाई दे रहे हैं. लेकिन अधिकारी सिर्फ और सिर्फ खानापूर्ति में जुटे हैं और कोई भी बसंतलाल की सुध नहीं ले रहा है.

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