रांची: झारखंड के सरकारी स्कूलों में फंड नहीं है. विभिन्न मदों में खर्च करने के लिए स्कूल प्रबंधकों के पास पैसे नहीं है. इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से स्कूल प्रबंधकों को कई जिम्मेदारी दी गई है. जिससे शिक्षक काफी असंतोष की स्थिति में हैं. राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों के लिए जारी किए गए एक फरमान के बाद शिक्षकों में असंतोष है.
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झारखंड के शिक्षकों में नाराजगी
दरअसल, शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी स्कूल प्रबंधकों को कहा गया है कि वह अपने स्तर से स्कूलों को रंग रोगन करें. जबकि स्कूलों के पास कोई फंड है ही नहीं. सीएमसी, एमडीएम, विद्यालय विकास समिति का फंड भी विद्यालय में नहीं होने के कारण राज्य के सरकारी विद्यालय अव्यवस्थित हैं. स्कूलों को व्यवस्थित रखने में शिक्षकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने तमाम स्कूलों को रंग रोगन करने की जिम्मेदारी शिक्षकों को दी है. साथ ही कहा गया है कि शिक्षक अपने स्तर से स्कूलों को साफ सफाई के साथ-साथ एमडीएम, एसएमसी और अन्य कामों को जल्द से जल्द निपटाए. इससे जुड़ी हुई राशि के लिए विभागीय स्तर पर अप्लाई करें. उन्हें एक मुस्त में फंड दे दी जाएगी. लेकिन सवाल यह है कि इन शिक्षकों के पास फंड है ही नहीं, तो वो स्कूलों को व्यवस्थित कैसे कर पाएंगे.
राज्य के शिक्षकों ने शिक्षा विभाग पर सवाल खड़े करते हुए कहा है कि फिलहाल झारखंड की शिक्षा व्यवस्था कई मायनों में पिछड़ी हुई है. व्यवस्थित तरीके से कोई भी योजना संचालित नहीं हो रही है. स्कूलों में विभिन्न मदों में फंड की कमी के कारण परेशानी और बढ़ गई है. राज्य सरकार को इस पर संज्ञान लेते हुए ध्यान देने की जरूरत है. शिक्षक कहां से अपने स्तर से स्कूलों को रंग रोगन करेंगे, साफ-सफाई करेंगे या फिर एमडीएम और सीएमसी से जुड़े राशि खर्च करेंगे. इस बारे में सरकार ध्यान नहीं दे रही है. क्या शिक्षक अपने वेतन मद से यह खर्च करेंगे. ऐसे और भी कई सवालों को लेकर शिक्षकों ने राज्य सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द सरकार अपने स्तर से तमाम मद्द के फंड मुहैया कराए. नहीं तो हालत और खराब होगी.
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झारखंड में स्कूलों में हेडमास्टर नहीं हैं
दूसरी ओर राज्य में सर्व शिक्षा अभियान के तहत संचालित 9898 उत्क्रमित मिडिल स्कूलों में अरसे से हेड मास्टर नहीं है. बगैर प्रिंसिपल के ही स्कूल का संचालन हो रहा है. इनमें पद सृजित नहीं है. केंद्र सरकार की शर्तों के मुताबिक अभियान के अंतर्गत प्रत्येक उत्क्रमित स्कूल में 3 संविदा आधारित पदों का सृजन किया गया है. इन पर पारा शिक्षक कार्यरत है. राज्य के 10 जिले हैं. जहां प्रधानाध्यापक के कुल 711 पद स्वीकृत है. लेकिन इनमें से एक में भी अभी कोई कार्यरत नहीं है. हेड मास्टर के अभाव में पठन-पाठन सेवाओं पर असर पड़ रहा है. वहीं स्कूल प्रबंधकों के पास फंड नहीं होने के कारण स्कूल संचालन में भी कई परेशानियां आ रही हैं.