रांची: झारखंड की सरकार को एक लाख तीन हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा की राशि के खर्च का हिसाब-किताब नहीं मिल रहा है (No account of expenditure in government departments). यह राशि बीते 16 वर्षों के दौरान सरकार ने अपने विभिन्न विभागों को दी है. विभागों ने सरकार से मिली रकम खर्च भी कर दी, लेकिन इसका पूरा ब्योरा यानी उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूटिलिटी सर्टिफिकेट) जमा ही नहीं किया. इतना ही नहीं, विभागों के अफसरों ने इस बाबत सरकार की ओर से बार-बार भेजे गये रिमाइंडर को नजरअंदाज कर दिया है. अब राज्य सरकार के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने इसे लेकर सभी विभागों के सचिवों को पत्र लिखकर गंभीर चिंता जताई है और उन्हें सरकारी राशि के खर्च का पेंडिंग यूटिलिटी सर्टिफिकेट जमा कराने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है.
ये भी पढ़ें- झारखंड में फट सकता है एक आध एटम बम, सीएम से जुड़े ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले पर बोले राज्यपाल
मुख्य सचिव के पत्र (CS letter to secretaries) के मुताबिक, राज्य के विभिन्न विभागों में कुल एक लाख तीन हजार चार सौ उनसठ करोड़ 14 लाख (103459.14) की राशि का यूटिलिटी सर्टिफिकेट पेंडिंग है. इसे लेकर राज्य के ऑडिटर जनरल ने 26 जुलाई 2022 को राज्य सरकार को पत्र लिखा था. इस पत्र में सरकारी राशि के खर्च की पेंडिंग यूटिलिटी सर्टिफकेट का पूरा विवरण दिया गया है. इसके मुताबिक राज्य में कुल 39 हजार से अधिक योजनाओं या मदों में दी गई राशि का यूटिलिटी सर्टिफिकेट विभागों ने नहीं जमा किया है.
बता दें कि सरकारों के वित्तीय प्रबंधन में ट्रांसपेरेंसी के लिए यूटिलिटी सर्टिफिकेट को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. इसी सर्टिफिकेट के आधार पर यह तय होता है कि सरकार ने किसी भी मद में जो राशि जारी की, उसका किस तरह से उपयोग हुआ. यह सरकारी राशि के खर्च का फाइनल हिसाब-किताब माना जाता है. नियम यह भी है कि सभी विभाग साल भर में सरकार से मिली राशि का यूटिलिटी सर्टिफिकेट जमा करेंगे, तभी अगले वर्ष के लिए उन्हें राशि दी जायेगी. इसकी प्रति राज्य के एकाउंटेंट जनरल को भेजनी होती है. इसे झारखंड की अब तक की सरकारों का वित्तीय कुप्रबंधन ही कहेंगे कि हर साल बड़ी संख्या में योजनाओं और विभिन्न मदों में दी जाने वाली राशि का यूटिलिटी सर्टिफिकेट पेंडिंग रह जाता है. यही वजह है कि वर्ष 2006-07 से 2021-22 तक बगैर यूटिलिटी सर्टिफिकेट के खर्च की गई राशि एक लाख हजार करोड़ से ज्यादा पहुंच गई है. केवल इस साल 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2021-222 की बात करें तो विभिन्न विभागों ने 15 हजार 406 करोड़ रुपये का फाइनल हिसाब नहीं जमा किया. एकाउंटेंट जनरल ने वर्ष 2019 के सितंबर माह से उपयोगिता प्रमाण पत्र (यूसी) सबमिट करने की ऑनलाइन व्यवस्था भी लागू की है. इसके बावजूद विभागों के अफसर इसमें कोताही कर रहे हैं.
आंकड़े के मुताबिक सरकारी राशि के खर्च का फाइनल हिसाब-किताब जमा करने में राज्य का रूरल डेवलपमेंट डिपार्टमेंट सबसे फिसड्डी है. इस विभाग ने 14 हजार 361 करोड़ रुपये का यूटिलिटी सर्टिफिकेट नहीं जमा किया है. इसी तरह कृषि विभाग ने 611 करोड़, ऊर्जा विभाग ने 9234 करोड़ रुपये के खर्च का फाइनल विवरण नहीं जमा किया है. अन्य विभागों की भी यही हालत है.
झारखंड के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने सचिवों को लिखे पत्र में कहा है कि कई निर्देश के बाद भी बड़ी राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं जमा किया जाना गंभीर विषय है. उन्होंने सचिवों को निर्देश दिया है कि वे इस मामले में लगातार मॉनिटरिंग करें और ऑनलाइन यूटिलिटी सर्टिफिकेट सबमिशन की रिपोर्ट सरकार को दें.