रांचीः झारखंड सरकार के प्रयास से मानव तस्करी की शिकार हुई 9 नाबालिग लड़कियों को दिल्ली से मुक्त करवा लिया गया है. सभी नाबालिग लड़कियां झारखंड के साहिबगंज की रहने वाली हैं. सभी को मुक्त करवा कर रांची लाया जा रहा है.
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क्या है पूरा मामलाः मानव तस्करी को लेकर झारखंड सरकार तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा दिल्ली में एकीकृत पुनर्वास संसाधन केंद्र चलाया जा रहा है. जिसके तहत मानव तस्करी के शिकार बच्चे एवं बच्चियों को मुक्त कराकर उनके जिलों में पुनर्वासित किया जाता है. केंद्र द्वारा दिल्ली एवं उसके निकटवर्ती सीमा क्षेत्र पर विशेष नजर रखी जाती है. इसी क्रम में इस बार बड़ी कामयाबी मिली और साहिबगंज जिले के 9 बच्चों को दिल्ली पुलिस के सहयोग से दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्र से (जो क्रमशः हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश से सटा है) से रेस्क्यू किया गया.
साहिबगंज जिला प्रशासन द्वारा यह पता चलते ही कि उनके बच्चे दिल्ली में रेस्क्यू किये गए हैं, इस मुददे पर त्वरित कार्रवाई करते हुए जिला समाज कल्याण पदाधिकारी सुमन गुप्ता के निर्देशन में जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया. ये टीम पिछले 4 दिनों से दिल्ली में कैंप करके रविवार को 09 बच्चों के साथ वापस ट्रेन द्वारा झारखंड लौट रही है. जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी पूनम कुमारी द्वारा यह जानकारी दी गयी कि इन सभी बच्चों को झारखंड सरकार की विभिन्न योजनाओं से जोड़ते हुए इनकी सतत निगरानी की जाएगी ताकि बच्चे दोबारा मानव तस्करी का शिकार ना होने पाए.
दलालों के माध्यम से करते हैं पलायनः दिल्ली में मुक्त करायी गई बच्चियों को दलाल के माध्यम से लाया गया था. झारखंड में ऐसे दलाल बहुत सक्रिय हैं जो छोटी बच्चियों को बहला-फुसलाकर दिल्ली में अच्छी जिंदगी जीने का लालच देकर उन्हें दिल्ली लाते हैं और विभिन्न घरों में उन्हें काम पर लगाने के बहाने से बेच देते हैं, जिससे उन्हें एक मोटी रकम प्राप्त होती है और इन बच्चियों की जिंदगी नर्क से भी बदतर बना दी जाती है.
मुक्त लोगों की होगी सतत निगरानीः महिला एवं बाल विकास विभाग के निदेशक द्वारा सभी जिले को सख्त निर्देश दिया गया है कि जिस भी जिले के बच्चों को दिल्ली में रेस्क्यू किया जाता है, जिले के समाज कल्याण पदाधिकारी एवं बाल संरक्षण पदाधिकारी द्वारा बालकों एवं बालिकाओं को वापस अपने जिले में पुनर्वास किया जाएगा.
झारखंड सरकार निर्देशानुसार झारखंड भेजे जा रहे बच्चों को जिले में संचालित कल्याणकारी योजनाओं स्पॉन्सरशिप, फॉस्टरकेयर, कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय से जोड़ते हुए उनकी ग्राम बाल संरक्षण समिति के माध्यम से सतत निगरानी की जाएगी, ताकि इन बच्चों को पुन: मानव तस्करी के शिकार होने से बचाया जा सके एवं झारखंड राज्य में मानव तस्करी रोकी जा सके.