रांची: मगध और आम्रपाली कोल परियोजना में टेरर फंडिंग मामले (Terror Funding Case) में आरोपी ट्रांसपोर्टर व कोयला कारोबारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है. एनआईए ने ट्रांसपोर्टर महेश अग्रवाल को गिरफ्तार (Transporter Mahesh Agarwal arrested) किया है. आधुनिक कंपनी के एमडी महेश अग्रवाल पर एनआईए ने पूर्व में चार्जशीट दायर की थी. हालांकि लंबे समय से हाई कोर्ट में व्यवसायियों ने कोर्ट के संज्ञान पर रोक लगाने की मांग की थी. एनआईए सूत्रों के मुताबिक, महेश को गिरफ्तारी के बाद ट्रांजिट रिमांड पर रांची लाया जा सकता है. हालांकि एनआईए अधिकारियों ने महेश अग्रवाल की गिरफ्तारी की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है. गौरतलब है कि चतरा के मगध और आम्रपाली कोल परियोजनाओं में विस्थापितों की शांति समिति, टीपीसी उग्रवादियों के नेतृत्व में चलायी जाती थी. इस शांति समिति को ट्रांसपोर्टरों के द्वारा फंडिंग की जाती थी.
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जनवरी 2020 में हुई थी चार्जशीट: रांची के चतरा के टंडवा स्थित मगध-आम्रपाली कोयला परियोजना से टेरर फंडिंग मामले में एनआईए ने आधुनिक कॉरपोरेशन लिमिटेड के एमडी महेश अग्रवाल, (NIA arrested Mahesh Agarwal in Terror funding case) वीकेवी कंपनी के विनीत अग्रवाल व सोनू अग्रवाल, व्यवसायी सुदेश केडिया और ट्रांसपोर्टर अजय उर्फ अजय सिंह के खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की थी. इस मामले में फिलहाल सुदेश केडिया जमानत पर बाहर हैं. वहीं सीसीएल व उग्रवादियों के मध्यस्थ सुभान मियां, ट्रांसपोर्टर छोटू सिंह, टीपीसी उग्रवादी कोहराम समेत एक दर्जन से अधिक आरोपी जेल में बंद हैं. जनवरी 2020 में ही दाखिल पूरक चार्जशीट पर एनआईए के तत्कालीन विशेष न्यायाधीश नवनीत कुमार की अदालत ने संज्ञान लिया था. इसके बाद एनआईए ने अग्रवाल बंधुओं के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट भी प्राप्त कर लिया था. सीसीएल, पुलिस, उग्रवादी और शांति समिति के बीच समन्वय बैठाने की आड़ में मोटी रकम लेवी के रूप में वसूली जाती थी. एनआइए ने टंडवा थाने में दर्ज प्राथमिकी (कांड संख्या 22/18) को टेक ओवर करते हुए कांड संख्या 3/2018 दर्ज किया था.
क्या है आरोप: तृतीय प्रस्तुति कमेटी (टीपीसी) को फंड देने कि पुष्टि एनआईए जांच में हुई थी. टीपीसी को लेवी देने के लिए ही उसने ऊंची दर पर मगध और आम्रपाली प्रोजेक्ट से कोयला ढुलाई का ठेका लिया गया था. खुलासा हुआ था कि टीपीसी नेता आक्रमण उर्फ नेताजी की अनुशंसा पर ही यह ठेका दिया जाता था. ऊंची दर पर ली गई राशि का अधिकतर हिस्सा टीपीसी को जाता था.