रांची: नव वर्ष 2023 राजनीतिक दृष्टि से काफी अहम होगा. साल 2022 में जारी सियासी घमासान नये वर्ष में चरम पर होने की संभावना जताई जा रही है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी पिछले दिनों 2023 को चुनौतीभरा वर्ष माना है. इन सबके बीच नये वर्ष के स्वागत में झारखंड के माननीय भी जुटे हुए हैं. विधायक मंत्री के आवास पर नववर्ष की तैयारी पूरी हो चूकी है. हेमंत सरकार के अधिकांश मंत्री अपने अपने क्षेत्र में हैप्पी न्यू ईयर मनायेंगे.
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राज्यपाल और मुख्यमंत्री रांची में मनायेंगे नववर्ष: राज्यपाल रमेश बैस नववर्ष के मौके पर रांची राजभवन में रहेंगे. वहीं, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कांके रोड स्थित सीएम आवास पर ही रहेंगे. हालांकि इस दौरान विशेष आगंतुकों से मुख्यमंत्री मिलेंगे. इसके अलावे राज्य सरकार के अधिकांश मंत्री अपने अपने क्षेत्र में रहेंगे. ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम रांची में नववर्ष के मौके पर रहेंगे यहीं वे अपने पार्टी नेताओं और समर्थकों के साथ नववर्ष मनायेंगे. मंत्री मिथिलेश ठाकुर गढवा में, मंत्री हफिजुल अंसारी मधुपुर में, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता जमशेदपुर में और शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो अपने गृहक्षेत्र में नववर्ष पर रहेंगे. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता के अनुसार वे नववर्ष के मौके पर ना केवल अपने क्षेत्र की जनता बल्कि राज्य के लोगों के कुशलता की कामना करेंगे.
वैसे तो बीजेपी के नेता 1 जनवरी को मनाये जानेवाले नववर्ष को अंग्रेजी नववर्ष मानते हुए इसे स्वीकार नहीं करते हैं इसके बाबजूद इस मौके पर आनेवाले बधाई को स्वीकार करने से परहेज नहीं करते. जानकारी के मुताबिक बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश, सांसद संजय सेठ, विधायक सीपी सिंह रांची में नववर्ष के मौके पर रहेंगे. वहीं, बाबूलाल मरांडी के अपने क्षेत्र में रहने की संभावना है. बहरहाल साल 2023 के स्वागत में सभी लोग इस उम्मीद के साथ जुटे हैं कि आनेवाला वक्त अच्छा होगा.
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राजनीति के लिहाज से साल 2023 होगा अहम: झारखंड में केंद्रीय जांच एजेंसी की कार्रवाई 2023 में तेज होने की संभावना है. ईडी की कार्रवाई तेज होने से अवैध माइनिंग केस में फंसे हाईप्रोफाइल चेहरों की परेशानी बढ़ेगी. इसके अलावे राज्य में एक और उपचुनाव रामगढ़ में देखने को मिलेगा जो सत्तापक्ष के लिए लिटमस टेस्ट जैसा होगा. सत्तापक्ष झामुमो, कांग्रेस और राजद की एकजुटता का भी पता इस चुनाव में देखने को मिलेगा. वहीं, एनडीए में आजसू बीजेपी के बीच संबंध मधुर करने का काम रामगढ़ उपचुनाव करेगा. चुनावी वर्ष 2024 से ठीक पहले का यह साल चुनावी रणनीति बनाने का वर्ष भी होगा जिसमें हर दल मसगुल रहेंगे.