रांची: झारखंड में मनरेगा की योजनाओं के क्रियान्वयन में 51.29 करोड़ की वित्तीय गड़बड़ी की बात सामने आ चुकी है. भविष्य में ऐसा ना हो इसको रोकने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने एक फार्मूला निकाला है.
विभाग चाहता है कि मनरेगा की चलती योजनाओं के दौरान भी निगरानी का प्रावधान होना चाहिए. वैसे अधिनियम में व्यवस्था की गई है कि मनरेगा के तहत कार्य पूरा होने के बाद ही सोशल ऑडिट का काम ग्राम सभा के माध्यम से हो सकता है. इस व्यवस्था की वजह से वित्तीय गड़बड़ी की संभावना ज्यादा बनी रहती थी. इन बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामीण विकास विभाग के सूचीबद्ध ऑडिटर्स का उन्मुखीकरण कार्यक्रम आज प्रोजेक्ट बिल्डिंग सभागार में हुआ. ग्रामीण विकास विभाग के सचिव डॉ मनीष रंजन की अध्यक्षता में विभाग के सभी योजनाओं की आगामी ऑडिट की रुपरेखा पर चर्चा की गई . ऑडिटर्स को योजनाओं से जुड़ी जानकारी दी गई.
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मनरेगा आयुक्त राजेश्वरी बी ने ऑडिट में अपेक्षित कार्यों और उससे जुड़े अन्य विषयों पर प्रस्तुती दी. उन्होंने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा के तहत व्यापक तौर पर मजदूरों और प्रवासी मजदूरों को काम देने की योजना तैयार की है. सभी मजदूरों को सही समय पर काम मिले और उसका वाजिब दाम समय पर मिल पाए इसी के लिए विभाग ने ऑडिट के माध्यम से अंकेक्षण का काम भी शुरू किया है . ताकि ज्यादा योजना चले और ज्यादा से ज्यादा लोगों को काम मिले.
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झारखण्ड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी की सीईओ नैन्सी सहाय ने डीआरडीए के माध्यम से नन इन्टेन्सिव प्रखण्डों में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के संचालन के लिए राज्य से उपलब्ध कराई गई राशि के उपयोग और ऑडिट की जानकारी दी. उन्होनें जिलों में ऑडिट के दौरान ध्यान देने वाली खास बातों का भी जिक्र किया. ऑडिटर के ओरियंटेशन प्रोग्राम के दौरान PMAGY और SAGY योजना का प्रस्तुतीकरण नोडल पदाधिकारी नीतीश सिन्हा और विजय मिश्रा ने दिया.