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स्याही खत्म होने से रेलवे स्टेशन पर नहीं लग रही होम क्वॉरेंटाइन की मुहर, अधिकारी मौन - प्रवासी मजदूर झारखंड

रांची के रेलवे स्टेशनों पर घोर लापरवाही बरती जा रही है. बुधवार सुबह 6 ट्रेनें पहुंचीं, लेकिन ना तो यात्रियों की थर्मल स्क्रीनिंग हुई और ना ही होम क्वॉरेंटाइन के लिए स्याही लगाई गई. ऐसे में कोरोना महामारी फैलने का खतरा और बढ़ गया है.

negligence at railway stations of ranchi, invitation to corona
बड़ी लापरवाही: रेलवे स्टेशन्स पर स्याही के अभाव में नहीं लग रहा यात्रियों को होम क्वारंटीन का मुहर, अधिकारी मौन
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Published : May 19, 2021, 11:44 AM IST

रांची: एक तरफ जहां कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई कदम उठाने की बात कह रही हैं, तो वहीं कुछ लोगों की लापरवाही से महामारी धीरे-धीरे और बढ़ने की आशंका है. रांची रेलवे स्टेशन पर स्याही के अभाव में ट्रेन से उतरे यात्रियों को होम क्वॉरेंटाइन की मुहर तक नहीं लगाई गई.


इसे भी पढ़ें- बड़ी लापरवाही: कोरोना ड्यूटी में तैनात कर्मी के खाने में मिली छिपकली, स्वास्थ्य कर्मियों ने खाना खाने से किया इंकार

दरअसल रेलवे स्टेशनों पर कभी पुलिस बल के अभाव में यात्री बिना जांच के लिए गंतव्य के लिए निकल जाते हैं, तो कभी स्याही खत्म होने से होम क्वारंटीन की मुहर नहीं लगाई जाती है. कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए देश भर से प्रवासी मजदूर झारखंड लौट रहे हैं. ट्रेन के जरिए इन श्रमिकों को एक बार फिर लाया जा रहा है.

पिछले वर्ष की व्यवस्था भी लागू
पुरानी व्यवस्था के तहत श्रमिकों को रेलवे स्टेशन से ही सीधे क्वारंटीन करने के लिए नजदीकी सेंटर लाया जा रहा है और उन्हें आइसोलेट किया जा रहा है. हालांकि होम क्वारंटीन की व्यवस्था भी इन मजदूरों को दी जा रही है. सोमवार से स्टेशनों पर दूसरे राज्य से आने वाले यात्रियों को होम क्वारंटीन का मुहर लगाने का कार्य शुरू हुआ, लेकिन दूसरे ही दिन व्यवस्था ध्वस्त हो गई. जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन के पास इन यात्रियों को होम क्वारंटीन को लेकर मुहर लगाने के लिए स्याही खत्म हो गई थी और इस वजह से लोगों को ऐसे ही जाने दिया गया और तो और ना तो किसी यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग की गई और ना ही किसी को कोरोना जांच के लिए रोका गया. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर गांव तक कोरोना महामारी किस कदर फैले रही है.


स्याही के अभाव में लापरवाही

बताते चलें कि लगातार ट्रेनों की आवाजाही हो रही है. मंगलवार को गोरखपुर हटिया मौर्य एक्सप्रेस, पटना हटिया सुपरफास्ट, भागलपुर रांची, दिल्ली-रांची राजधानी एक्सप्रेस, जम्मू तवी एक्सप्रेस, आसनसोल पैसेंजर, रांची स्टेशन पहुंची. इन ट्रेनों से आने वाले यात्रियों को ना तो होम क्वारंटाइन की मुहर लगाई गई और ना ही इनकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई. बुधवार की सुबह भी वही नजारा देखने को मिला. धनबाद से इंटरसिटी रांची-गोरखपुर-रांची एक्सप्रेस पहुंची, हावड़ा से भी एक ट्रेन रांची पहुंची. ऐसे कुल 6 ट्रेनें रांची पहुंची है.

इसे भी पढ़ें- कोरोना इफेक्टः तीर्थयात्रा पैकेज बंद, राजस्व और रोजगार पर असर

अधिकारियों के पास नहीं है जवाब

लापरवाही का आलम ये है कि इस मामले पर जिला प्रशासन या रेलवे प्रशासन से पूछा जाता है, तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता है. स्टेशनों पर मौजूद प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी कहते हैं कि एक साथ यात्रियों की आवाजाही होने से परेशानी बढ़ गई है और इसे रोक पाना संभव नहीं है.

ई-पास बनी समस्या

दूसरी ओर स्टेशनों पर ऑटो चालकों की मनमानी भी बढ़ गई है. वो मुंह मांगा किराया यात्रियों से वसूल रहे हैं और इस पर भी प्रशासन की कोई नकेल नहीं है. ई-पास नियम लागू होने से लोग अपने पर्सनल वाहन स्टेशन मंगवाने में असमर्थ हैं और उनको ऑटो से ही ट्रैवल करना पड़ रहा है, लेकिन ऑटो चालकों की मनमानी के कारण उनसे पांच गुना अधिक किराया रेलवे स्टेशन से कई जगहों पर जाने के लिए वसूला जा रहा है.

रांची: एक तरफ जहां कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए केंद्र और राज्य सरकार कई कदम उठाने की बात कह रही हैं, तो वहीं कुछ लोगों की लापरवाही से महामारी धीरे-धीरे और बढ़ने की आशंका है. रांची रेलवे स्टेशन पर स्याही के अभाव में ट्रेन से उतरे यात्रियों को होम क्वॉरेंटाइन की मुहर तक नहीं लगाई गई.


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दरअसल रेलवे स्टेशनों पर कभी पुलिस बल के अभाव में यात्री बिना जांच के लिए गंतव्य के लिए निकल जाते हैं, तो कभी स्याही खत्म होने से होम क्वारंटीन की मुहर नहीं लगाई जाती है. कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए देश भर से प्रवासी मजदूर झारखंड लौट रहे हैं. ट्रेन के जरिए इन श्रमिकों को एक बार फिर लाया जा रहा है.

पिछले वर्ष की व्यवस्था भी लागू
पुरानी व्यवस्था के तहत श्रमिकों को रेलवे स्टेशन से ही सीधे क्वारंटीन करने के लिए नजदीकी सेंटर लाया जा रहा है और उन्हें आइसोलेट किया जा रहा है. हालांकि होम क्वारंटीन की व्यवस्था भी इन मजदूरों को दी जा रही है. सोमवार से स्टेशनों पर दूसरे राज्य से आने वाले यात्रियों को होम क्वारंटीन का मुहर लगाने का कार्य शुरू हुआ, लेकिन दूसरे ही दिन व्यवस्था ध्वस्त हो गई. जानकारी के मुताबिक जिला प्रशासन के पास इन यात्रियों को होम क्वारंटीन को लेकर मुहर लगाने के लिए स्याही खत्म हो गई थी और इस वजह से लोगों को ऐसे ही जाने दिया गया और तो और ना तो किसी यात्री की थर्मल स्क्रीनिंग की गई और ना ही किसी को कोरोना जांच के लिए रोका गया. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि आखिर गांव तक कोरोना महामारी किस कदर फैले रही है.


स्याही के अभाव में लापरवाही

बताते चलें कि लगातार ट्रेनों की आवाजाही हो रही है. मंगलवार को गोरखपुर हटिया मौर्य एक्सप्रेस, पटना हटिया सुपरफास्ट, भागलपुर रांची, दिल्ली-रांची राजधानी एक्सप्रेस, जम्मू तवी एक्सप्रेस, आसनसोल पैसेंजर, रांची स्टेशन पहुंची. इन ट्रेनों से आने वाले यात्रियों को ना तो होम क्वारंटाइन की मुहर लगाई गई और ना ही इनकी थर्मल स्क्रीनिंग की गई. बुधवार की सुबह भी वही नजारा देखने को मिला. धनबाद से इंटरसिटी रांची-गोरखपुर-रांची एक्सप्रेस पहुंची, हावड़ा से भी एक ट्रेन रांची पहुंची. ऐसे कुल 6 ट्रेनें रांची पहुंची है.

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अधिकारियों के पास नहीं है जवाब

लापरवाही का आलम ये है कि इस मामले पर जिला प्रशासन या रेलवे प्रशासन से पूछा जाता है, तो उनके पास कोई जवाब नहीं होता है. स्टेशनों पर मौजूद प्रशासन के अधिकारी और कर्मचारी कहते हैं कि एक साथ यात्रियों की आवाजाही होने से परेशानी बढ़ गई है और इसे रोक पाना संभव नहीं है.

ई-पास बनी समस्या

दूसरी ओर स्टेशनों पर ऑटो चालकों की मनमानी भी बढ़ गई है. वो मुंह मांगा किराया यात्रियों से वसूल रहे हैं और इस पर भी प्रशासन की कोई नकेल नहीं है. ई-पास नियम लागू होने से लोग अपने पर्सनल वाहन स्टेशन मंगवाने में असमर्थ हैं और उनको ऑटो से ही ट्रैवल करना पड़ रहा है, लेकिन ऑटो चालकों की मनमानी के कारण उनसे पांच गुना अधिक किराया रेलवे स्टेशन से कई जगहों पर जाने के लिए वसूला जा रहा है.

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