रांची: रामगढ उपचुनाव में एनडीए की ओर से आजसू का प्रत्याशी चुनाव मैदान में होगा. गुरुवार शाम बीजेपी प्रदेश कार्यालय पहुंचे आजसू प्रमुख सुदेश महतो के साथ बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के साथ हुई बैठक में इसपर सैद्धांतिक सहमति बनी है. बीजेपी प्रदेश कार्यालय में हुई इस बैठक में दोनों दल के नेताओं ने एनडीए की मजबूती और रामगढ़ चुनाव पर काफी देर तक बातचीत की. बातचीत के दौरान राज्य की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर जहां चर्चा हुई वहीं रामगढ उपचुनाव हर हाल में जीतने की रणनीति बनाई गई. बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से दोनों दल के नेताओं ने कहा कि यह उपचुनाव एनडीए मजबूती के साथ लड़ेगा. इसके लिए रणनीति बनाई गई है और इस संबंध में आगे भी बैठक जारी रहेगी.
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2019 में आजसू-बीजेपी अलग अलग लड़ा था चुनाव: 2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन नहीं होने की वजह से भारतीय जनता पार्टी और आजसू दोनों की ओर से प्रत्याशी खड़े किए गए थे, जिस वजह से एनडीए की स्थिति अच्छी नहीं रही और अंततः हार का सामना करना पड़ा. यूपीए प्रत्याशी ममता देवी कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज करने में सफल हो गई. कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी 2014 में आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी को सर्वाधिक 98,987 मत लाने के रिकॉर्ड को ध्वस्त करते हुए 99,944 मत प्राप्त कर चुनाव जीतने में कामयाब रही थी. उन्होंने 28718 वोट से जीत हासिल की थी. आजसू के परंपरागत वोटों का बिखराव हो गया और 35 वर्षाें के बाद कांग्रेस इस सीट पर जीत दर्ज करने में सफल हुई थी.
ममता देवी ने लगातार इस सीट से प्रतिनिधित्व कर मंत्री रहे चंद्रप्रकाश चौधरी की पत्नी सुनीता देवी को चुनाव में कड़ी शिकस्त दी थी. 2019 के विधानसभा चुनाव परिणाम पर नजर दौड़ाएं तो कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी को 99944 वोट मिले थे, वहीं आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी को 71226 वोट और भाजपा प्रत्याशी रणंजय कुमार को 31874 वोट मिले थे. जानकारों का मानना है कि एनडीए यदि एकजुट रहता तो परिणाम अलग होते. शायद यही वजह है कि उपचुनाव ही सही मगर इस बार एनडीए वो गलती नहीं दुहरायेगा जो उसने 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान किया था.