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मुख्यधारा में लौटे पूर्व नक्सली परेशान, एसएसपी से लगाई मदद की गुहार

झारखंड में आत्मसमर्पण नीति (Surrender Policy) के तहत कई नक्सलियों ने पुलिस के सामने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आए हैं. लेकिन उन्हें सरकार की ओर से मिलने वाली सुविधा अब तक नहीं मिल पाई है. मंगलवार को आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली और उनके परिवार ने रांची के एसएसपी से मुलाकात की और अपनी समस्याओं से अवगत कराया.

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पूर्व नक्सली की एसएसपी से गुहार
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Published : Sep 21, 2021, 8:06 PM IST

Updated : Sep 21, 2021, 8:28 PM IST

रांची: झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति (Surrender Policy) से प्रभावित होकर हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने वाले पूर्व नक्सलियों के सामने कई तरह की परेशानियां हैं. कई के पैसे बकाए हैं तो कई को आत्मसमर्पण के बाद मिलने वाली जमीन नहीं मिल पाई है. राजधानी रांची में आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली और उनके परिवार ने मंगलवार को रांची एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा से मुलाकात की और एसएसपी के सामने अपनी समस्याओं को रखा.

इसे भी पढे़ं: नक्सलियों का स्थापना दिवस सप्ताह शुरू, अलर्ट मोड में पुलिस



आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर रांची एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने समीक्षा की. इस दौरान रांची में पुलिस के सामने हथियार डालने वाले कई नक्सली खुद एसएसपी के पास पहुंचे थे. जबकि कई के परिवार वाले भी एसएसपी से मिलने पहुंचे थे. इस दौरान आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने हथियार डालने के बाद उन्हें किस तरह की समस्याओं को झेलना पड़ रहा है, इसके बारे में एसएसपी को विस्तार से बताया. समर्पण करने वाले नक्सलियों की बात सुनने के बाद एसएसपी ने डीएसपी हेडक्वार्टर एक को जिम्मेवारी दी है कि वे पूरे मामले में मॉनिटरिंग कर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की जो समस्याएं हैं उसे दूर करें.

पूर्व नक्सलियों ने एसएसपी से की मुलाकात

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मिला विवादित जमीन


आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राजधानी में 4 डिसमिल जमीन देने का प्रावधान है. लेकिन अब तक कई को जमीन उपलब्ध नहीं हो पाया है. वहीं कई को जमीन मिला भी है लेकिन वह विवादित है. आत्मसमर्पण करने वाली महिला नक्सली रश्मि को नगड़ी इलाके में 4 डिसमिल जमीन दिया गया है लेकिन रश्मि ने एसएसपी को बताया कि उस जमीन पर किसी और ने घर बना लिया है. कुछ इसी तरह का मामला आत्मसमर्पण कर चुके गुरुवारी महली, उर्मिला कुमारी और रामपदो का भी है.


कौन-कौन मिला एसएसपी से


मंगलवार को रांची के एसएसपी से मुलाकात करने वाले पूर्व नक्सलियों में रश्मि महली, गुरुवारी कुमारी, उर्मिला कुमारी, नैति कुमारी, राम पदों लोहरा और पूर्व नक्सली त्रिलोचन सिंह मुंडा का परिवार शामिल है.

इसे भी पढे़ं: Cyber Crime: 18 साइबर अपराधी गिरफ्तार, देवघर और जामताड़ा में हुई कार्रवाई



नैति की चाह जल्द मिले नौकरी

साल 2014 में रांची पुलिस के सामने हथियार डालने वाली महिला नक्सली नैति कुमारी फिलहाल बीए पार्ट वन में पढ़ाई कर रही हैं. नैति के अनुसार अभी तक उन पर चल रहे मामले लंबित हैं. जिसकी वजह से वह किसी भी नौकरी के लिए फॉर्म नहीं भर सकती हैं. उन्होंने एसएसपी से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द उनके ऊपर चल रहे मुकदमों को खत्म किया जाए. साथ ही जब तक मुकदमा चल रहा है तब तक रोजगार की कोई व्यवस्था की जाए.



पुनर्वास नीति के तहत कई तरह की सुविधाओं का मिलता है लाभ

झारखंड में आत्मसमर्पण करने के बाद पुनर्वास नीति के तहत कई तरह की सुविधाएं मुख्यधारा में लौटे नक्सलियों को मिलती है. जैसे मुकदमा का खर्चा, केस के निष्पादन की व्यवस्था, जिनकी जमीन नहीं है उनको जमीन, घर का किराया, बच्चों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण, परिवार का जीवन बीमा राशन कार्ड और केस खत्म होने पर नौकरी. लेकिन आत्मसमपर्ण के कई वर्ष बीत जाने के बाद भी ये सुविधाएं आत्मसमपर्ण करने वाले कई नक्सलियों को नहीं मिला पाया है.


इसे भी पढे़ं: लोहरदगा पुलिस ने PLFI के दो हार्डकोर उग्रवादियों को दबोचा, हथियार भी बरामद


जल्द दूर होंगी समस्याएं

समीक्षा के बाद रांची एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि सरेंडर पॉलिसी का कई लोगों को बेहतर लाभ मिल रहा है. कुछ लोगों को सरेंडर पॉलिसी के तहत मिलने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. इसे लेकर उन्होंने आज रिव्यू किया है. इस दौरान खुद भी कई पूर्व नक्सली उपस्थित हुए और अपनी समस्याएं उन्होंने बताई. समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि कई पूर्व नक्सलियों को पढ़ाई लिखाई में परेशानी आ रही है, तो कई को जमीन नहीं मिल पाया है. सभी समस्याओं को नोट कर लिया गया है और जल्द से जल्द इनका समाधान किया जाएगा.

रांची: झारखंड सरकार के आत्मसमर्पण नीति (Surrender Policy) से प्रभावित होकर हथियार डालकर मुख्यधारा में लौटने वाले पूर्व नक्सलियों के सामने कई तरह की परेशानियां हैं. कई के पैसे बकाए हैं तो कई को आत्मसमर्पण के बाद मिलने वाली जमीन नहीं मिल पाई है. राजधानी रांची में आत्मसमर्पण करने वाले कई नक्सली और उनके परिवार ने मंगलवार को रांची एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा से मुलाकात की और एसएसपी के सामने अपनी समस्याओं को रखा.

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आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मिलने वाली सुविधाओं को लेकर रांची एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने समीक्षा की. इस दौरान रांची में पुलिस के सामने हथियार डालने वाले कई नक्सली खुद एसएसपी के पास पहुंचे थे. जबकि कई के परिवार वाले भी एसएसपी से मिलने पहुंचे थे. इस दौरान आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने हथियार डालने के बाद उन्हें किस तरह की समस्याओं को झेलना पड़ रहा है, इसके बारे में एसएसपी को विस्तार से बताया. समर्पण करने वाले नक्सलियों की बात सुनने के बाद एसएसपी ने डीएसपी हेडक्वार्टर एक को जिम्मेवारी दी है कि वे पूरे मामले में मॉनिटरिंग कर आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की जो समस्याएं हैं उसे दूर करें.

पूर्व नक्सलियों ने एसएसपी से की मुलाकात

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को मिला विवादित जमीन


आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को राजधानी में 4 डिसमिल जमीन देने का प्रावधान है. लेकिन अब तक कई को जमीन उपलब्ध नहीं हो पाया है. वहीं कई को जमीन मिला भी है लेकिन वह विवादित है. आत्मसमर्पण करने वाली महिला नक्सली रश्मि को नगड़ी इलाके में 4 डिसमिल जमीन दिया गया है लेकिन रश्मि ने एसएसपी को बताया कि उस जमीन पर किसी और ने घर बना लिया है. कुछ इसी तरह का मामला आत्मसमर्पण कर चुके गुरुवारी महली, उर्मिला कुमारी और रामपदो का भी है.


कौन-कौन मिला एसएसपी से


मंगलवार को रांची के एसएसपी से मुलाकात करने वाले पूर्व नक्सलियों में रश्मि महली, गुरुवारी कुमारी, उर्मिला कुमारी, नैति कुमारी, राम पदों लोहरा और पूर्व नक्सली त्रिलोचन सिंह मुंडा का परिवार शामिल है.

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नैति की चाह जल्द मिले नौकरी

साल 2014 में रांची पुलिस के सामने हथियार डालने वाली महिला नक्सली नैति कुमारी फिलहाल बीए पार्ट वन में पढ़ाई कर रही हैं. नैति के अनुसार अभी तक उन पर चल रहे मामले लंबित हैं. जिसकी वजह से वह किसी भी नौकरी के लिए फॉर्म नहीं भर सकती हैं. उन्होंने एसएसपी से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द उनके ऊपर चल रहे मुकदमों को खत्म किया जाए. साथ ही जब तक मुकदमा चल रहा है तब तक रोजगार की कोई व्यवस्था की जाए.



पुनर्वास नीति के तहत कई तरह की सुविधाओं का मिलता है लाभ

झारखंड में आत्मसमर्पण करने के बाद पुनर्वास नीति के तहत कई तरह की सुविधाएं मुख्यधारा में लौटे नक्सलियों को मिलती है. जैसे मुकदमा का खर्चा, केस के निष्पादन की व्यवस्था, जिनकी जमीन नहीं है उनको जमीन, घर का किराया, बच्चों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण, परिवार का जीवन बीमा राशन कार्ड और केस खत्म होने पर नौकरी. लेकिन आत्मसमपर्ण के कई वर्ष बीत जाने के बाद भी ये सुविधाएं आत्मसमपर्ण करने वाले कई नक्सलियों को नहीं मिला पाया है.


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जल्द दूर होंगी समस्याएं

समीक्षा के बाद रांची एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि सरेंडर पॉलिसी का कई लोगों को बेहतर लाभ मिल रहा है. कुछ लोगों को सरेंडर पॉलिसी के तहत मिलने वाली सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाया है. इसे लेकर उन्होंने आज रिव्यू किया है. इस दौरान खुद भी कई पूर्व नक्सली उपस्थित हुए और अपनी समस्याएं उन्होंने बताई. समीक्षा के दौरान यह पाया गया कि कई पूर्व नक्सलियों को पढ़ाई लिखाई में परेशानी आ रही है, तो कई को जमीन नहीं मिल पाया है. सभी समस्याओं को नोट कर लिया गया है और जल्द से जल्द इनका समाधान किया जाएगा.

Last Updated : Sep 21, 2021, 8:28 PM IST
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