पलामू: कोरोना संक्रमण के पहले और दूसरे फेज ने जो तबाही मचाई है उससे सिर्फ आम लोगों में ही नहीं, नक्सली संगठनों में भी खौफ है. कोरोना के भय से नक्सली वो तमाम उपाय करने में जुटे हैं जिससे उनकी जान इस बीमारी से बच जाए. नक्सली संक्रमण से बचने के लिए कोरोना वैक्सीन की स्टॉक भी जमा करने की जुगत में लगे हैं.
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कोरोना वैक्सीन की जुगत में नक्सली
देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कमजोर पड़ गई है और तीसरी लहर को लेकर अलर्ट जारी किया गया है. ऐसे में पलामू से जो खबर आ रही है वो बेहद चौंकाने वाली है. दरअसल नक्सलियों को भी कोरोना का भय सता रहा है. प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, टीएसपीसी, जेजेएमपी जैसे नक्सल संगठन खुद को कोविड से बचाने के लिए न केवल दवाओं के स्टॉक को जमा कर रहे हैं बल्कि वैक्सीन की बड़ी खेप को भी हासिल करने की जुगत में हैं. पलामू में मनातू, नौडीहा बाजार, हरिहरगंज पिपरा जबकि लातेहार के गारु, महुआडांड़, बरवाडीह, छिपादोहर और गढ़वा के रंका, भंडरिया, बड़गड के इलाके से दवाओं की खरीद हो रही है. छत्तीसगढ़ और बिहार के इलाके से भी नक्सली संगठन दवाओं की खरीद कर रहे हैं.
झोला छाप डॉक्टरों के भरोसे नक्सली
नक्सली संगठन न सिर्फ दवाओं को खरीद रहे हैं बल्कि कोरोना से बचने के लिए झोला छाप डॉक्टरों की सलाह भी ले रहे हैं. नक्सली जहां बिहार के सीमावर्ती इलाकों इमामगंज, सलैया, ढिबरा, डुमरिया, शेरघाटी, देव, मदनपुर, आमस में इन ग्रामीण चिकित्सकों की सलाह ले रहे हैं, वहीं झारखंड के नौडीहा बाजार, सरईडीह, पिपरा, चक, मनातू, हरिहरगंज में नक्सली संगठन कोरोना से बचने के लिए ग्रामीण चिकित्सकों से संपर्क कर रहे हैं. जबकि बूढ़ा पहाड़ इलाके के नक्सली छत्तीसगढ़ के ग्रामीण चिकित्सकों का सहारा ले रहे हैं.
लेवी की रकम को कर रहे हैं सेनेटाइज
नक्सलियों के बीच कोरोना का खौफ कितना है और मौत से नक्सलियों को कितना डर लगता है, इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वे लेवी की रकम को भी सेनेटाइज कर रहे हैं. जाहिर है नक्सली इस बीमारी से काफी भयभीत हैं. हालांकि ये बात भी सच है कि अब तक किसी नक्सली की कोरोना से संक्रमित होने या कोरोना से मौत की खबर सामने नहीं आयी है.
जंगल से बाहर नहीं निकल रहे हैं नक्सली
कोविड-19 के संक्रमण के कारण नक्सली दस्ता या संगठन के सदस्य जंगलों से ज्यादा बाहर नहीं निकल रहे हैं. पलामू रेंज की बात करें तो हर महीने छोटे और बड़े 700 से 800 नक्सल अभियान चलाए जाते थे जो अब घटकर दो सौ के करीब रह गए हैं. नक्सलियों का दस्ता सुरक्षित जगह छोड़कर बाहर नहीं निकल रहा है. लेवी वसूलने के लिए भी नक्सली संगठन कूरियर का प्रयोग कर रहे हैं.
अलर्ट पर पलामू पुलिस
इस खबर के सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है. पुलिस को भी इसके बारे में जानकारी मिली है. इस संबंध में पलामू एसपी संजीव कुमार ने ई-टीवी भारत को अहम जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि कोविड-19 की वैक्सीन की हर किसी को जरूरत है. जाहिर है नक्सली इसकी कमी महसूस कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ऐसे समय में नक्सलियों को सरेंडर करना चाहिए नहीं तो वे महामारी का शिकार हो जाएंगे. उन्होंने कहा पलामू पुलिस भी लगातार अलर्ट मोड में है और उनके खिलाफ अभियान चला रही है. नक्सली कभी भी पुलिस की गोली का शिकार हो सकते हैं. इसके साथ ही एसपी ने नक्सलियों से सरकार की आत्मसमर्पण नीति का फायदा उठाने की भी अपील की.