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कोरोना इफेक्टः नक्सल अभियान पर लगा ब्रेक, लॉकडाउन में माओवादी बढ़ा रहे ताकत - नक्सल अभियान पर कोरोना का प्रभाव

झारखंड में कोरोना के बढ़ते कहर ने नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान पर ब्रेक लगा दिया है. नक्सल शाखा में सूचना तंत्र जुटाने के लिए काम करने वाले कई पुलिसकर्मी भी संक्रमित हैं. ऐसे में सभी गतिविधियां ठप पड़ी हैं.

नक्सली
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Published : Apr 28, 2021, 6:36 AM IST

रांचीः झारखंड में कोरोना संक्रमण की वजह से नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान पर ब्रेक लग गया है. कोरोना संक्रमण फैलने के बाद नक्सल प्रभाव वाले जिलों में कोई बड़ा अभियान नहीं चल रहा. एक तरफ जहां संक्रमण की वजह से अभियान प्रभावित हुआ है वहीं दूसरी तरफ नक्सली हाल के दिनों में बेहद आक्रमक हुए हैं.

सिर्फ मॉनिटरिंग कर रही है पुलिस

मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में पुलिस सिर्फ स्थानीय स्तर पर पुलिस नक्सलियों की गतिविधि की मॉनिटरिंग कर रही है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, राज्य पुलिस मुख्यालय व स्पेशल ब्रांच में कोरोना संक्रमण फैलने के कारण भी नक्सलियों के खिलाफ अभियान की रणनीति नहीं बन पा रही है.

यह भी पढ़ेंः चतरा में नक्सलियों का आतंक जारी, पांच हाईवा वाहन फूंके

स्पेशल ब्रांच में नक्सल अभियान और एसआईबी (स्पेशल इंटेलीजेंस ब्यूरो) की प्रभारी एसपी शिवानी तिवारी भी कोरोना संक्रमित हो गईं हैं. नक्सल शाखा में सूचना तंत्र जुटाने के लिए काम करने वाले कई पुलिसकर्मी भी संक्रमित हैं. ऐसे में माओवादियों के खिलाफ अभियान पर रणनीतिक काम नहीं हो पा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक, डीजीपी नीरज सिन्हा स्वयं भी संक्रमित हैं. ऐसे में माओवादियों के खिलाफ बड़े अभियान पर काम नहीं हो पा रहा है.

सीआरपीएफ व कोबरा भी बैकफुट पर

राज्य पुलिस के अधिकारियों की मानें तो हाल के दिनों में छतीसगढ़ में हुई माओवादी वारदात के बाद राज्य में भी सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन बैकफुट पर है. वहीं कोरोना संक्रमण के कारण भी अर्धसैनिक बल अभियान को लेकर बहुत अधिक सक्रिय नहीं है.

माओवादी कर रहे खुद को मजबूत

साल 2020 में कोरोना लॉकडाउन के बाद से झारखंड में माओवादी संगठन ने खुद को मजबूत किया है. कैडर की कमी से जूझ रहे माओवादियों को नए कैडर मिले हैं. वहीं हथियार को लेकर कमी झेल रहे माओवादी संगठन के पास अब पर्याप्त हथियार भी हैं. झारखंड के भाकपा माओवादियों ने बीते एक साल में जन मिलिशिया को काफी मजबूत किया है.

छतीसगढ़ के उग्रवादियों के सहयोग से कोल्हान व बूढ़ापहाड़ के इलाके में भाकपा माओवादी संगठन को कई नई तकनीकें हासिल हुई हैं, इसका खामियाजा भी पुलिस बलों को उठाना पड़ा है.

पुलिस अभियान पर ब्रेक लगने से माओवादियों को अंदरूनी तौर पर मजबूत होने में मदद मिल रही है. हाल के दिनों में माओवादियों ने सीधे मुठभेड़ के बजाय छद्म तरीके से सुरक्षाबलों को आईइडी लगाकर शिकार बनाया है.

रांचीः झारखंड में कोरोना संक्रमण की वजह से नक्सलियों के खिलाफ चल रहे अभियान पर ब्रेक लग गया है. कोरोना संक्रमण फैलने के बाद नक्सल प्रभाव वाले जिलों में कोई बड़ा अभियान नहीं चल रहा. एक तरफ जहां संक्रमण की वजह से अभियान प्रभावित हुआ है वहीं दूसरी तरफ नक्सली हाल के दिनों में बेहद आक्रमक हुए हैं.

सिर्फ मॉनिटरिंग कर रही है पुलिस

मिली जानकारी के अनुसार वर्तमान समय में पुलिस सिर्फ स्थानीय स्तर पर पुलिस नक्सलियों की गतिविधि की मॉनिटरिंग कर रही है. पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, राज्य पुलिस मुख्यालय व स्पेशल ब्रांच में कोरोना संक्रमण फैलने के कारण भी नक्सलियों के खिलाफ अभियान की रणनीति नहीं बन पा रही है.

यह भी पढ़ेंः चतरा में नक्सलियों का आतंक जारी, पांच हाईवा वाहन फूंके

स्पेशल ब्रांच में नक्सल अभियान और एसआईबी (स्पेशल इंटेलीजेंस ब्यूरो) की प्रभारी एसपी शिवानी तिवारी भी कोरोना संक्रमित हो गईं हैं. नक्सल शाखा में सूचना तंत्र जुटाने के लिए काम करने वाले कई पुलिसकर्मी भी संक्रमित हैं. ऐसे में माओवादियों के खिलाफ अभियान पर रणनीतिक काम नहीं हो पा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक, डीजीपी नीरज सिन्हा स्वयं भी संक्रमित हैं. ऐसे में माओवादियों के खिलाफ बड़े अभियान पर काम नहीं हो पा रहा है.

सीआरपीएफ व कोबरा भी बैकफुट पर

राज्य पुलिस के अधिकारियों की मानें तो हाल के दिनों में छतीसगढ़ में हुई माओवादी वारदात के बाद राज्य में भी सीआरपीएफ व कोबरा बटालियन बैकफुट पर है. वहीं कोरोना संक्रमण के कारण भी अर्धसैनिक बल अभियान को लेकर बहुत अधिक सक्रिय नहीं है.

माओवादी कर रहे खुद को मजबूत

साल 2020 में कोरोना लॉकडाउन के बाद से झारखंड में माओवादी संगठन ने खुद को मजबूत किया है. कैडर की कमी से जूझ रहे माओवादियों को नए कैडर मिले हैं. वहीं हथियार को लेकर कमी झेल रहे माओवादी संगठन के पास अब पर्याप्त हथियार भी हैं. झारखंड के भाकपा माओवादियों ने बीते एक साल में जन मिलिशिया को काफी मजबूत किया है.

छतीसगढ़ के उग्रवादियों के सहयोग से कोल्हान व बूढ़ापहाड़ के इलाके में भाकपा माओवादी संगठन को कई नई तकनीकें हासिल हुई हैं, इसका खामियाजा भी पुलिस बलों को उठाना पड़ा है.

पुलिस अभियान पर ब्रेक लगने से माओवादियों को अंदरूनी तौर पर मजबूत होने में मदद मिल रही है. हाल के दिनों में माओवादियों ने सीधे मुठभेड़ के बजाय छद्म तरीके से सुरक्षाबलों को आईइडी लगाकर शिकार बनाया है.

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