रांचीः बढ़ती आबादी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अंधाधुंध हो रहे माइनिंग पर आए दिन सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में विकल्प के तौर पर ग्रीन माइनिंग को दुनिया अपनाने में लगी है. माइनिंग एरिया में इसे अपनाने के लिए केंद्र सरकार लगातार कोल कंपनियों पर दबाव बनाने में जुटी है ऐसे में झारखंड में ग्रीन माइनिंग के जरिए ना केवल उत्पादकता बढ़ने की संभावना है बल्कि खनन क्षेत्र में पर्यावरण भी संरक्षित होगी. यह मानना है इक्फाई विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित नेशनल सेमिनार में देश के विभिन्न भागों से आए जानकारों का.
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ग्रीन माइनिंग पर सेमिनारः नेशनल सेमिनार में जानकारों ने ग्रीन माइनिंग पर व्याख्यान देकर जानकारी साझा की. सीसीएल के सहयोग से इक्फाई विश्वविद्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में सेंट्रल इंस्टीट्यूट आफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च यानी सिंफर धनबाद के निदेशक ए के मिश्रा, सीसीएल के सीएमडी पीएम प्रसाद, सीएमपीडीआई के सीएमडी मनोज कुमार, इक्फाई विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. ओआरएस राव ने ग्रीन माइनिंग के बारे में विस्तार से जानकारी साझा की.
उदघाटन सत्र के बाद दो अलग अलग विषयों पर केंद्रित टेक्निकल सेशन में दो दर्जन से अधिक जानकारों ने व्याख्यान दिया. सेमिनार में सीसीएल के चीफ मैनेजर संजीव कुमार, बीआईटी मेसरा के इंद्रजीत रॉय, बीआईटी सिंदरी के एसोसिएट प्रोफेसर मंतोष कुमार, मुकुंद हमीरवासिया, रोशन कुमार, सीएमपीडीआई के डिप्टी मैनेजर जसवीर सिंह बीसीसीएल के मनोज कुमार राय यूनिवर्सिटी झारखंड के मृत्युंजय कुमार, बीआईटी मेसरा के डी बसु, सीएमपीडीआई के राहुल कुमार, एनटीपीसी के सूर्यमणि, बीआईटी मेसरा के एस चक्रवर्ती, बीआईटी सिंदरी के मानस मलिक आदि ने कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए.
टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ग्रीन माइनिंग का लाभ लेने पर जोरः बदलते समय के साथ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर ग्रीन माइनिंग का लाभ लेने पर जोर देते हुए वक्ताओं ने कहा कि यूरोप वर्तमान समय में ग्रीन माइनिंग बाजार पर हावी है. इसके जरिए बिजली कटौती, रखरखाव में कटौती, उत्सर्जन में कटौती, पानी में कटौती एवं अन्य प्रकार की सुविधाएं प्राप्त होंगी. इसके लिए भूमिगत खनन और भूतल खनन पर जोर देना होगा. अभी तक ग्लोबल ग्रीन माइनिंग मार्केट उत्तरी अमेरिका, यूरोप, एशिया प्रशांत, दक्षिण अमेरिका, मध्य पूर्व और अफ्रीका में है. एक अनुमान के मुताबिक 2029 तक ग्लोबल ग्रीन माइनिंग मार्केट का बाजार 18.53 बिलियन डालर हो जाएगा.
वर्ष 2025-26 तक कोल इंडिया 1000 मिलियन टन करेगा उत्पादनः देश में समय के साथ बढ़ रही कोयले की मांग को पूरी करने के लिए वर्ष 2025-26 तक कोल इंडिया ने 1000 मिलियन टन कोल उत्पादन का लक्ष्य तय किया है. जिसे चरणबद्ध हर वर्ष में बढ़ाने का लक्ष्य बनाया गया है. 2023 यानी इस साल 760 मिलियन टन, 2024 में 870 मिलियन टन और 2025 में 1000 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य, इसी तरह सीसीएल ने 2023 में 87 मिलियन टन, 2024 में 101 मिलियन टन और 2025 में 135 मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया है. लक्ष्य की प्राप्ति के लिए वार्षिक ग्रोथ 18% करना होगा तभी जाकर लक्ष्य की प्राप्ति 2025 में होगी. ऐसे में कोल इंडिया ने ग्रीन माइनिंग पर सर्वाधिक जोर दिया है. जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ सुरक्षित माइनिंग समयबद्ध तरीके से हो सके.