रांची: कहते हैं हौसले अगर बुलंद हो तो कामयाबी जरूर पैर चूमती है. कुछ ऐसा ही राजधानी के नामकुम के काली नगर मोहल्ले की रहने वाली कुछ महिलाओं ने कर दिखाने का प्रयास किया है. काली नगर के नामकुम में मध्यमवर्ग परिवार की कुछ महिलाओं ने लॉकडाउन में अपने पति की नौकरी खत्म होने के बाद अपने बल पर स्वरोजगार की शुरुआत कर एक मिसाल पेश कर रही हैं. इन महिलाओं ने ईटीवी भारत की टीम ने बात की, जिसमें उन्होंने अपनी दास्तान सुनाया.
आत्मनिर्भरता की ओर महिलाएं
ईटीवी भारत की टीम ने जब इन महिलाओं से बात की तो महिलाओं ने बताया कि लगभग 3 महीने के लॉकडाउन में पति की नौकरी अचानक समाप्त हो गई, अगर किसी की नौकरी बच भी गई तो उन्हें उनके कंपनी के मालिक उन्हें सिर्फ इंतजार करने के लिए रहे हैं, लेकिन कंपनी से ना तो तनख्वाह दी जा रही है और ना ही आर्थिक मदद, जिस कारण तनख्वाह के सहारे जीने वाले परिवारों की स्थिति दिन प्रतिदिन दयनीय होते चली गई. छोटे बच्चे और परिवार की दयनीय स्थिति को देखते हुए काली नगर की रहने वाली पुष्पा चौधरी नाम की एक महिला ने कुछ अलग करने का प्रयास किया और अपने हुनर को वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से ढालते हुए मोहल्ले की सभी महिलाओं को एकजुट कर पीपीई किट और मास्क बनाने का निर्णय लिया. इस निर्णय के बाद पुष्पा चौधरी को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी मजबूत इरादों ने उन्हें कहीं भी कमजोर नहीं होने दिया, इसीलिए उनकी मजबूत इरादे को देखते हुए परिस्थितियां भी उन्हीं के अनुरूप ढलने लगी.
महिलाएं बना रही पीपीई किट और मास्क
पुष्पा चौधरी बताती हैं कि पहले भी वह अपने पति और परिवार को मदद करने के लिए सिलाई-कढ़ाई का काम किया करती थी, लेकिन जब से कोरोना का संकट आया लोगों ने सिलाई-कढ़ाई का काम बंद करवा दिया है, इसीलिए पिछले 3 महीने से ना तो सिलाई कढ़ाई का ऑर्डर आ रहा था और न ही किसी तरह का काम मिल रहा था, इसीलिए अपने हुनर को वर्तमान परिस्थिति के हिसाब से ढालने का प्रयास किया, क्योंकि फिलहाल कोरोना के संकट को देखते हुए पीपीई किट और मास्क का काफी डिमांड है इसीलिए हम सभी महिलाओं ने मास्क औए पीपीई किट बनाने का जिम्मा लिया है. वहीं उन्होंने बताया कि हमने जब इसकी शुरुआत की तो कई कठिनाइयां भी सामने आई, सिलाई मशीन खरीदने के लिए पैसे नहीं थे तो हमने आस पड़ोस में रहने वाली महिलाओं से उधार मशीन मांग कर काम शुरू किया और कुछ डॉक्टरों से विनती अनुरोध कर ऑर्डर लिया जिसके बाद काम तो हमारा शुरू हो गया है, लेकिन इसकी गति अभी तक तेज नहीं हो पाई है.
सरकार से मदद की गुहार
महिलाओं का समर्थन कर रही है समाजसेवी प्रज्ञा कुमारी बताती हैं प्रधानमंत्री ने आत्मनिर्भर बनने का जो आह्वाहन किया है, उनकी आह्वाहन पर हम महिलाओं ने एक प्रयास शुरू की है, हम अपने प्रयास से लोगों को नौकरी दे सकते हैं, अपने बल पर पैसा कमा कर सरकार की मदद कर सकते हैं, लेकिन इसके लिए हमें शुरुआती दौर में राज्य सरकार और केंद्र सरकार से मदद की आवश्यकता है. वहीं पूनम पांडे और मंजू पांडे बताती हैं कि लॉकडाउन में पति की नौकरी खत्म होने के कारण पूरा परिवार भुखमरी की कगार पर पहुंच गया था, लेकिन पुष्पा चौधरी के प्रयासों ने हमें फिर से एक नई उम्मीद जगाई और हम उनके इस संस्था से जुड़कर अपने जीवन का भरण पोषण कर रहे हैं.पीपीई कीट बनानेवाली कलावती देवी बताती हैं कि पति के गुजर जाने के बाद लगातार आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा था, लेकिन अचानक कोरोना का संकट आने से हम और भी मजबूर हो गए थे, लेकिन पुष्पा चौधरी और प्रज्ञा कुमारी ने हमें रोजगार दिया है, जिससे हमारा जीवन धीरे धीरे पटरी पर आ रहा है. सभी महिलाओं ने एक स्वर में यही कहा कि प्रधानमंत्री के आह्वाहन और देश की स्थिति को देखकर हमलोगों ने आत्मनिर्भर बनने की दिशा में कदम बढ़ाया है, हम अब यही उम्मीद करते हैं कि राज्य सरकार और केंद्र सरकार हमारे प्रयासों पर ध्यान देकर हमें संसाधन मुहैया कराएं ताकि हम आने वाले समय में देश के लिए रोजगार का सृजन कर सकें. इन महिलाओं की मांग है कि राज्य सरकार हमें ज्यादा से ज्यादा ऑर्डर दिलवाए, ताकि हम कम से कम पैसे में मास्क और पीपीई किट बनाकर जरूरतमंदों तक पहुंचा सकें.
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महिलाओं के पति भी दे रहे पत्नी का साथ
वहीं लॉकडाउन में अपनी नौकरी गंवा चुके पुष्पा चौधरी के पति चिरंजीवी चौधरी बताते हैं कि नौकरी समाप्त होने के बाद हम लोगों को काफी परेशानियां होने लगी, घर में परिवार के सभी सदस्यों को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ रहा था, लेकिन हमारी पत्नी ने हमारी हिम्मत बढ़ाने का काम किया और खुद आगे बढ़कर आत्मनिर्भर बनने का संकल्प लिया, जिसमें वह सफलता भी पा रही है, अब हम भी इनके साथ हाथ से हाथ मिलाकर इनका मदद कर रहे हैं और सरकार से मांग करते हैं कि इन्हें संसाधन मुहैया कराए ताकि और लॉकडाउन में आर्थिक संकट से गुजर रहे और भी लोगों को रोजगार मुहैया करा सके. वहीं पूनम पांडे के पति मनोज पांडे बताते हैं कि नौकरी गंवाने के बाद हम लोग मानसिक परेशानियों से गुजर रहे थे, लेकिन हमारी पत्नि ने हमारा हौसला बढ़ाया और वह खुद घर से बाहर निकल कर आत्मनिर्भर बन रही है, जो निश्चित रूप से हम पतियों के भी मनोस्थिति और भरोसे को बढ़ाने का काम कर रहा है.
महिलाओं के जज्बे को सलाम
पुष्पा चौधरी और समाजसेवी प्रज्ञा कुमारी जैसी महिलाएं इस संकट की घड़ी में भी अपने परिवार का हौसला बढ़ाने के लिए लगातार विपरीत परिस्थितियों में लड़ने का काम कर रही हैं, जो निश्चित रूप से राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है. ऐसी महिलाओं की हिम्मत और जज्बे को ईटीवी भारत सलाम करता .