रांची: झारखंड एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ के आह्वान पर शुक्रवार को राज्य के सभी एमपीडब्ल्यू कर्मचारी (MULTI PURPOSE WORKER) अपने-अपने जिलों में भूख हड़ताल कर विरोध दर्ज करा रहे हैं. सभी वेतन वृद्धि के साथ समायोजन के मसले की ओर सरकार का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि सभी कर्मचारी अपना अपना काम भी कर हैं. साथ ही काम करते हुए भूख हड़ताल कर सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने की मांग कर रहे हैं. इस अनोखे प्रोटेस्ट में करीब 1700 MPW हिस्सा ले रहे हैं.
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भूख हड़ताल कर रहे एमपीडब्ल्यू स्वास्थ्यकर्मियों ने बताया कि वर्ष 2008 में ही सभी एमपीडब्ल्यू की स्वास्थ्य विभाग में बहाली की गई थी. लेकिन करीब 13 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी आज तक एमपीडब्ल्यू का समायोजन विभाग में नहीं किया गया और न ही पिछले 6 वर्ष के दौरान एमपीडब्ल्यू के वेतन में एक रुपये की वृद्धि की गई है. एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष पवन कुमार ने बताया कि पिछले 2 वर्षों से राज्य भर के सभी एमपीडब्ल्यू वर्कर कोरोना की विपरीत परिस्थिति में सरकार एवं विभाग का साथ दे रहे हैं और फ्रंटलाइन वर्कर बन कर लोगों की मदद कर रहे हैं. इसके बावजूद भी विभाग द्वारा एमपीडब्ल्यू कर्मचारियों के हित के प्रति कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है.
आंदोलनरत मल्टी पर्पज वर्कर का कहना है कि सरकार के उदासीन रवैया के कारण काम कर रहे सभी कर्मचारियों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है. इसी को देखते हुए पिछले 5 दिनों से राज्य भर के सभी जिलों के मल्टी पर्पज वर्कर(MPW) अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज करा रहे हैं. इसी कड़ी में शुक्रवार को सभी एमपीडब्ल्यू कार्य करते हुए भूख हड़ताल पर हैं, ताकि सरकार इनकी मांगों पर जल्द से जल्द विचार करे. मिली जानकारी के अनुसार हड़ताल के साथ काम कर रहे धनबाद के दो कर्मचारी की हालत खराब हो गई है, वह काम करते-करते मूर्छित हो गए थे. जिनका इलाज कराया जा रहा है.
गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग में तैनात करीब 1700 एमपीडब्ल्यू कर्मचारी टीकाकरण,सैंपल कलेक्शन, लैब टेस्टिंग जैसे कार्यों में जुटे हैं. यदि यह सभी एमपीडब्ल्यू कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं तो स्वास्थ्य विभाग के कई काम ठप हो जाएंगे. झारखंड एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ ने सरकार को खुले शब्दों में कहा है कि यदि उनकी सभी मांगों पर जल्द से जल्द संज्ञान नहीं लिया जाता है तो आने वाले समय में उनका विरोध प्रदर्शन और भी उग्र होगा और उसके नुकसान की जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ सरकार की होगी.