रांची: झारखंड एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ का शिष्टमंडल बुधवार को झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के महामंत्री सुनील कुमार साह के नेतृत्व में कार्मिक सचिव वंदना डाडेल से मिला. इस दौरान शिष्टमंडल ने राज्य में कार्यरत 1626 एमपीडब्ल्यू की सेवा अविलंब नियमित करने का अनुरोध (Demand for Regularization of Service) किया.
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ज्ञापन सौंपकर मांगों पर विस्तार से चर्चा कीः शिष्टमंडल द्वारा कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग के प्रधान सचिव (Vandana Dadel) को ज्ञापन सौंपकर अपनी मांगों पर विस्तार से चर्चा की. शिष्टमंडल में महासंघ के महामंत्री सुनील कुमार साह, एमपीडब्ल्यू कर्मचारी संघ के अध्य्क्ष पवन कुमार, महासचिव कार्तिक उरांव, कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार, कोषाध्यक्ष रौशन टोप्पो और राज तिर्की शामिल थे. संघ के महासचिव ने प्रधान सचिव को 1626 एमपीडब्ल्यू को नियमित करने के लिए संलेख समर्पित किया. संलेख के साथ स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता द्वारा निर्गत पीत पत्र की प्रति, मुख्यमंत्री सचिवालय झारखंड सरकार द्वारा निर्गत पत्र और 2020 में जारी कार्मिक प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग झारखंड सरकार की चिठ्ठी की प्रति भी सौंपी.
वर्ष 2008 में हुई थी एमपीडब्ल्यू की नियुक्तिः एमपीडब्ल्यू की नियुक्ति वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के कार्यकाल में संविदा पर हुई थी. 14 वर्षों से संविदा पर कार्यरत इन एमपीडब्ल्यू को आज राज्य कोषागार से प्रतिमाह 21316 रुपए राज्य सरकार द्वारा दी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग में एमपीडब्ल्यू पूरे राज्यभर के अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत है.
कोविड महामारी और मलेरिया उन्मूलन में एमपीडब्ल्यू ने दिया योगदानः संघ के महामंत्री सुनील कुमार साह ने कहा कि कोरोना काल में जब सरकारी निर्देश था घर पर रहें सुरक्षित रहें, तब उस समय ये एमपीडब्ल्यू सभी अस्पतालों, सार्वजनिक स्थानों, चौक-चौराहों, राज्य की सभी सीमाओं पर कोविड जांच करने, टीकाकरण अभियान में शामिल थे. साथ ही एमपीडब्ल्यू के बदौलत मलेरिया उन्मूलन में झारखंड को तीसरा स्थान मिला है.फाइलेरिया उन्मूलन अभियान अभी राज्य भर में जारी है. राज्य भर के एमपीडब्ल्यू उन्मूलन कार्य में व्यस्त हैं. एमपीडब्ल्यू की सेवा भाव को सरकार भी जानती है. शिष्टमंडल से प्रधान सचिव वंदना दादेल ने कहा कि आपकी मांगों पर विचारोपरांत निर्णय लिया जायेगा.